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कांग्रेस शासित राजस्थान में जियो और एयरटेल को अनेक रियायतें

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एस पी मित्तल, अजमेर

कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी का अक्सर यह आरोप रहता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसी नीतियां बनाते हैं, जिससे उनके उद्योगपति मित्र मुकेश अंबानी और गौतम अडानी को फायदाहो। राहुल गांधी इन दोनों उद्योगपतियों पर देश के संसाधन लूटने का आरोप भी लगाते हैं। सब जानते हैं कि राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार चल रही है। राजस्थान में 5जी नेटवर्क का लाइसेंस मुकेश अंबानी के मालिकाना हक वाली रिलायंस जियो और सुनी मित्तल के मालिकाना हक वाली एयरटेल कंपनी को मिला है। फाइबर लाइन बिछाने, मोबाइल टावर लगाने आदि के कार्य में रिलायंस जियो काफी आगे है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 7 जनवरी को जियो की 5 जी सेवा को लॉन्च भी किया। इस मौके पर गहलोत ने मुकेश अंबानी और उनके पुत्र आकाश अंबानी के कार्यों की प्रशंसा भी की। अब गहलोत सरकार ने एक ऐसा निर्णय लिया है, जिससे मुकेश अंबानी और सुनील मित्तल की कंपनियों को सीधा फायदा होगा। राजस्थान में अब तक प्रति मोबाइल लाइसेंस फीस 10 हजार रुपए थी, लेकिन अब इस वार्षिक फीस को घटा कर मात्र 2 हजार रुपए कर दिया है। यह लाइसेंस फीस स्थानीय निकाय संस्थाओं में जमा होती है। इतना ही नहीं अब अंबानी और मित्तल की कंपनियों के टावर कहीं भी लगाए जा सकते हैं। इन टावरों पर किसी भी नागरिक को एतराज करने का अधिकार नहीं होगा। कंपनियों को टावर लगाने की अनुमति भी लेने की जरुरत नहीं है। सिर्फ संबंधित निकाय को सूचना देनी होगी। फाइबर केबल बिछाने में भी रियायत दी गई है। अशोक गहलोत की सरकार इससे पहले उद्योगपति गौतम अडानी की पावर कंपनियों को भी फायदा पहुंचाने वाले निर्णय ले चुकी है। यहां तक सोलर पार्क के लिए रियायती दर पर हजार एकड़ भूमि भी दी गई है। गौतम अडानी तो सीएम गहलोत के सरकारी मेहमान भी बन चुके हैं। कांग्रेस शासित राजस्थान में अंबानी और अडानी को जो सुविधाएं दी गई हैं, उन्हें देखते हुए राहुल गांधी को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। यदि पीएम मोदी अंबानी-अडानी को फायदा पहुंचाने वाले निर्णय ले रहे हैं तो फिर राजस्थान में सीएम गहलोत क्या कर रहे हैं? राहुल गांधी में हिम्मत हो तो अशोक गहलोत पर आरोप लगा कर दिखाएं या फिर अडानी-अंबानी पर राजनीतिक नौटंकी बंद करें। जब राहुल गांधी अपनी पार्टी वाले मुख्यमंत्री पर कोई नियंत्रण नहीं कर सकते हैं तो फिर देश के प्रधानमंत्री पर हमला क्यों करते हैं? क्या राहुल गांधी की कथनी और करनी में अंतर है? राहुल गांधी भी राजस्थान में अशोक गहलोत की ताकत को अच्छी तरह जानते हैं। गहलोत को ही मुख्यमंत्री बनाए रखने के लिए कांग्रेस के 108 में से 91 विधायकों ने अपने इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को सौंप रखे हैं। गहलोत का इशारा मिलते ही राजस्थान में कांग्रेस की सरकार धराशाही हो जाएगी। राहुल गांधी राजनीतिक मजबूरियों के चलते अशोक गहलोत पर तो कार्यवाही करने की स्थिति में नहीं है, लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में देश के प्रधानमंत्री पर आरोप लगाते हैं। 

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