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बांग्लादेश में मीडिया की स्वतंत्रता संकट में

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बांग्लादेश की राजधानी ढाका में हुए हालिया विरोध प्रदर्शनों के बाद मीडिया पर लगातार हमले हो रहे हैं. इन विरोधों में खासकर युवाओं का गुस्सा दिखाई दिया, जो शेख हसीना की सरकार और मीडिया के एक बड़े तबके के खिलाफ था. लोगों का आरोप है कि मीडिया ने पिछले 15 सालों में सरकार का पक्ष लिया और जनता की आवाज को दबाने का काम किया है. इसी कारण कई न्यूज़ चैनलों पर हमले हुए, जैसे एकात्तोर टीवी और शोमोय टीवी. 

बांग्लादेश के वरिष्ठ पत्रकारों और बुद्धिजीवियों से बातचीत के दौरान ये बातें सामने आईं कि देश में मीडिया की स्वतंत्रता संकट में है. पत्रकारों के खिलाफ भी हत्या तक के मामले दर्ज किए गए हैं. 

डॉक्टर शाहिद उल आलम, जो एक जाने-माने पत्रकार और कलाकार हैं, बताते हैं कि कला और कार्टून कैसे प्रतिरोध का एक शक्तिशाली उपकरण बनते हैं. शेख हसीना के खिलाफ कार्टून और पोस्टर्स ने विरोध के स्वरूप को बदल दिया खासकर जब शेख हसीना ने छात्रों को “रजाकार” कहा, जिससे छात्रों में और गुस्सा भर गया. 

ढाका में ड्रिक गैलरी की यात्रा के दौरान, स्मिता शर्मा ने देखा कि कैसे कला का इस्तेमाल राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों को उजागर करने के लिए किया जा रहा है. जिसका संदेश था कि बांग्लादेश के लोगों को अपनी आवाज़ उठाने और मीडिया को स्वतंत्र और निष्पक्ष रखने की जरूरत है. 

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