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*मानसिक रोगी बनाती है दूसरों को खुश रखने की लत*

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       ~ नीलम ज्योति 

     पीपल प्लीजर कोई भी हो सकता है। पीपल प्लीजिंग करने वाले व्यक्ति आमतौर पर दूसरों को खुश करने के लिए किसी भी गतिविधि को करने के लिए तैयार रहता हैं, चाहे उस गतिविधि को करने में उसकी खुशी हो या न हो।

    आमतौर पर इसके लिए चाइल्डहुड ट्रॉमा, भावनात्मक आहत, कम उम्र में मां-बाप का गुजर जाना आदि जैसी अन्य घटनाएं जिम्मेदार हो सकती है। इसके अलावा कुछ व्यक्ति के स्वभाव में ही पीपल प्लीजिंग होती है।

    वे बचपन से ही ऐसी के साथ बड़े हुए होते हैं। हालांकि, यह किसी भी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल भी उचित नहीं है.

     अपने आत्म-सम्मान को बढ़ाने, उचित सीमाएं स्थापित करने और अपनी मानसिक और भावनात्मक भलाई को बनाए रखने के लिए एक कठिन लेकिन महत्वपूर्ण कदम हर किसी को खुश करने की कोशिश करने की आदत को छोड़ना है।

हर किसी को खुश करने की कोशिश से बचने के लिए आप ऐसे कुछ कदम उठा सकते हैं:

   *1. सेल्फ अवेयरनेस :*

सबसे पहला कदम अपने आप को स्वीकार करना है कि आप लोगों को खुश करने की प्रवृत्ति रखते हैं। पिछली परिस्थितियों पर विचार करें जहां आपने दूसरों को खुश करने के लिए अपनी जरूरतों और आदर्शों का त्याग किया था।

     अब अपने उस अनुभव से यह समझने की कोशिश करें कि आपको उस वक्त कैसा महसूस हुआ था। क्या आप बार-बार इस भावना को महसूस कर अपनी जिंदगी को इसी के इर्द-गिर्द बांधे रखना चाहते हैं या खुद की खुशियों को भी प्राथमिकता देना चाहते हैं। सेल्फ लव और सेल्फ अवेयरनेस से ही इस स्थिति से बाहर निकला जा सकता है।

*2.अपनी आवश्यकताओं को महत्व देना शुरू करें :*

      अपनी आवश्यकता, ऑब्जेक्टिव और वेलबिंग को प्राथमिकता देना शुरू करें। दूसरों की मदद करने से पहले अपना ख्याल रखना स्वार्थी होना नहीं होता, यदि आप शारीरिक और भावनात्मक रूप से स्वस्थ हैं, तो आप दूसरों का अधिक प्रभावी ढंग से समर्थन कर सकते हैं।

    लोगों से दूर होने के डर से चीजों को उनके हिसाब से करना बंद कर दें। अपनी आवश्यकताओं को और भावनाओं को महत्व देते हुए ही किसी भी कार्य को करें। लोगों की बातों में आकर उन्हें खुश करने के लिए कुछ भी न करें।

*3. न कहना सीखें :*

    लोगों को खुश करने वालों के लिए किसी को भी “न” कहना बहुत मुश्किल हो सकता है, लेकिन लोगों को मना करना और न कहना सीखना महत्वपूर्ण है।

    जब आवश्यक हो, इसे धीरे और दृढ़ता से कहने का अभ्यास करें, बिना यह महसूस किए कि आपको विस्तृत औचित्य प्रदान करने की आवश्यकता है।

*4. सीमाएं निर्धारित करें :*

     अपनी भावनाओं की देखभाल और दूसरों का सम्मान करने के बीच संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है। सीमाएं निर्धारित करना और दृढ़ रहना आपको स्वार्थी नहीं बनाता है।

    कई बार हम इसी गलतफहमी में बार बार दूसरों की वजह से अपनी भावनाओं को ठेस पहुंचाते रहते हैं। जैसे ही आप दूसरों के लिए एक सीमा रेखा निर्धारित कर लेते हैं आपको अधिक खुशहाल और वास्तविक जीवन जीने में मदद मिलती है।

*5. याद रखें, आप हर किसी को खुश नहीं रख सकते :*

      इसे समझना थोड़ा कठिन है, लेकिन आपको यह अपनाना होगा कि आप हर किसी को खुश नहीं कर सकते हैं। सरल सत्य यह है कि आप हर समय हर किसी को खुश नहीं रख सकते , क्योंकि हर व्यक्ति की ज़रूरतें अलग-अलग होती हैं।

     किसी एक व्यक्ति को खुश करने के लिए एक निश्चित तरीके से कार्य करना किसी अन्य व्यक्ति को परेशान या नाराज कर सकता है। ऐसे में दूसरों को नहीं अपनी भावनाओं को प्राथमिकता दें।

   हां, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि दूसरों को कोई परेशानी न हों परन्तु उन्हें खुश करने के लिए खुद को परेशान न करें।

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