सुसंस्कृति परिहार
जन्माष्टमी के पावन पर्व पर कथित धवल साफ शफ्फ़ाक केजरीवाल सरकार के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर में और 30 से अधिक ठिकानों पर सीबीआई दाखिल हुई उसने केजरीवाल सरकार को हिला कर रख दिया। इससे पहले इस सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन पर भी इसी तरह की कार्रवाई हुई और आज वे जेल में हैं। दिल्ली सरकार की प्रसिद्धि के दोनों क्षेत्र शिक्षा और स्वास्थ्य के मंत्रियों पर यह हमला प्रथमत:तो ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार लोकप्रिय हो रहे प्रमुख लोगों को जिस तरह नकेल डाल रही है यह उसका हिस्सा है।ये भी हो सकता है इस लोकप्रियता की जड़ में कहीं केजरीवाल ही ना हों।जिस तरह बढ़ते कद वालों नितिन गडकरी, शिवराज सिंह और योगी आदित्यनाथ को संसदीय बोर्ड से हटाया गया कहीं यहां भी ऐसा तो नहीं है। आज की राजनीति की यह मात्र संभावना है वजह नहीं।
मुख्य और टके की बात तो यह है कि मनीष सिसोदिया के पास सिर्फ शिक्षा विभाग ही नहीं बल्कि अनेक विभाग हैं और उनमें प्रमुख आबकारी विभाग है इसमें जो परिवर्तन दिल्ली सरकार ने किया उसी से यह उपजा संकट है। यहां ये जानना जरूरी हो जाता है कि मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश एलजी वी के सक्सेना ने मुख्य सचिव की रिपोर्ट के आधार पर की है। मनीष सिसोदिया पर नई एक्साइज ड्यूटी में गड़बड़ी करने का आरोप है।मुख्य सचिव ने दो महीने पहले अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इस रिपोर्ट में GNCTD एक्ट 1991, ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स 1993, दिल्ली एक्साइज एक्ट 2009 और दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 के नियमों का उल्लंघन पाया गया था सिसोदिया पर आरोप तो ये भी लगा है कि कोरोना के बहाने लाइसेंस देने में नियमों की अनदेखी की गई। टेंडर के बाद शराब ठेकेदारों के 144 करोड़ रुपए से अधिक माफ किए गए। कहा जा रहा कि यही धनराशि पंजाब चुनाव में खर्च की गई।
इस मामले में मनीष सिसोदिया समेत 15 लोगों के खिलाफ सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की है। जिसमें आबकारी अधिकारियों, शराब कंपनी के अधिकारियों, डीलरों के साथ-साथ अज्ञात लोक सेवकों और निजी व्यक्तियों के नाम भी शामिल हैं. ये एफआईआर 120-B, 477-A और सेक्शन-7 के तहत दर्ज की गई है. इस नीति के तहत शराब की दुकान के लाइसेंस निजी कारोबारियों को सौंपे गए थे।
सीबीआई ने बताया कि आबकारी नीति मामले में दिल्ली, गुरुग्राम, चंडीगढ़, मुंबई, हैदराबाद, लखनऊ, बेंगलुरु सहित 31 स्थानों पर आज तलाशी ली जा रही है, जिसमें अब तक आपत्तिजनक दस्तावेज लेख, डिजिटल रिकॉर्ड आदि की बरामदगी हुई है. जांच चल रही है।सूत्र बता रहे हैं कि कि सी बीआई ने जो पांच आरोप लगाए हैं उनमें एक यह है कि शराब ठेकेदार से उनके करीबी ने एक करोड़ रुपए लिए।
यह तो सच है कि तमाम राजनैतिक दल आबकारी विभाग से भारी मात्रा में धनराशि लेकर ही चुनाव खर्च उठाते रहे हैं।अब तो मादक द्रव्यों की तस्करी जिस तरह गुजरात बंदरगाह पर सतत कारपोरेट की मदद से हो रही है पर उसे नज़र अंदाज़ किया जा रहा है। आबकारी विभाग से प्राप्त राजस्व ही इस छापे की बुनियाद में है।भारत सरकार नहीं चाहती कि उनके सिवा और कोई सरकार इस राजस्व से अपनी स्थिति मजबूत करें। कांग्रेस, तृणमूल राजद के जिन लोगों के यहां ई डी के छापे पड़े हैं और पड़ेंगे वे उनके फंडिंग स्थल ही होंगे।
कुल मिलाकर केजरीवाल के गुजरात में बढ़ते चरणों को लगाम लगाने का ये राजनैतिक पैंतरा है लेकिन यह बात भी सच है कि लोकपाल और भ्रष्टाचार की बात कहने वाली कथित ईमानदार पार्टी के रहस्यों से इस बात का पर्दा उठा है और आम आदमी पार्टी का चेहरा भी पिछली पार्टियों में शुमार हो गया है।तुम भी हम जैसे निकले अब ना कहो मैं नहीं माखन खायो——-मोदी।