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मोदीजी का दिनों-दिन डेमेज होता क्रेज 

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सुसंस्कृति परिहार 

एक दौर था जब कहा जा रहा था कि मोदीजी का डंका चारों दिशाओं में देश विदेश में बज रहा था किंतु अब जब तीसरी बार उनकी सरकार बैशाखियों पर है तब देश ही नहीं विदेश में भी उनकी हालत दयनीय हो गई है। तीसरी बार प्रधानमंत्री की हैसियत से वे जब पहली विदेश यात्रा में इटली गए वह भी विशेष आमंत्रित की हैसियत से, तो उनका हवाईतल पर जैसा स्वागत होता आया था वैसा नहीं हुआ ।कुल जमा पांच लोग जिसमें बैंड वाले भी शामिल हैं उन्हें रिसीव करने आए। इसे क्या कहा जाएगा और क्या निष्कर्ष निकाला जाएगा। इस तौहीन के बावजूद मोदीजी सम्मेलन में उपस्थित रहे जब लौटे तो भारत भू पर भी ऐसा ही हाल था। उन्हें रिसीव करने हमेशा आगे खड़े नड्डा जी भी नहीं आए। ये एक उदाहरण है। इससे पहले चुनावी भाषणों में मोदीजी की जैसी उपेक्षा अवाम ने की वह चुनाव परिणामों में साफ़ साफ़ देखी जा सकती है।

2014 और उसके बाद 2019 में मोदीजी की खूब तूती बोलती। 2024 चुनाव ने बता दिया कि जनता अर्श से फर्श पर कैसे ला पटकती है। ये ताकत हमारे संविधान ने हमें प्रदान की है। संसद सत्र के प्रथम दिवस मोदीजी के चेहरे पर मुर्दनी छाई हुई थी।उनकी जुबान उतनी नहीं फिसली जितना हमेशा होता रहा उनने बड़े ही बनावटी मधुर कंठ से सभी सांसदों से सदन शांतिपूर्ण चलाने का संदेश प्रेस के ज़रिए दिया।पर कहते हैं ना कि रस्सी जल गई पर ऐंठन नहीं गई वे यह कहना नहीं भूले कल 25जून है और आपातकाल के पचास साल हो रहे हैं हम संविधान को बचाने का पूरा प्रयास करेंगे। उन्होंने नीट परीक्षा,रेल दुर्घटना , कश्मीर में आतंकवाद बढ़ने, मणिपुर मामले पर कुछ नहीं कहा। इससे जनता में गलत संदेश गया।लगता है, सत्र शुरू करने के लिए वे 25जून आपातकाल की बरसी का इंतज़ार कर रहे थे ताकि संविधान बचाने वालों को आईना दिखा सकें।

उधर जब मोदीजी शपथ ले रहे थे तो विपक्ष ने संविधान की प्रतियां दिखाकर उन्हें संविधान के प्रति सजग रहने का संदेश दिया। पहले दिन संसद में विपक्ष ने दिखा दिया आने वाला कल इस सरकार के लिए कितना मुश्किल भरा होगा। अभी 26जून भी कशमकश भरा होना ही है।27जून के बाद दिल्ली का मौसम भले ठंडा हो जाए पर सदन गहमागहमी से गर्म रहेगा। पिछले दस साल विपक्ष की कमज़ोर उपस्थिति का जिस तरह फायदा मोदी सरकार ने उठाया वह अब नहीं मिलने वाला।उधर संघ की नकेल भी मोदीजी पर भारी पड़ने वाली है। इधर विपक्ष की नज़र, धर्मेंद्र प्रधान और अश्वनी वैष्णव के साथ अमित शाह को कई मामलों पर घेरनी की है।

कुल मिलाकर 2024 के चुनाव परिणाम ने मोदीजी की सरकार को आ बैल मुझे मार की स्थिति में खड़ा कर दिया है। चुनाव में हार  कुबूल कर लेते तो शायद फजीहत से बच जाते। अब तो रोज़ बा रोज़ सदन में   आज जैसा ही हाल रहेगा, उससे खराब भी हो सकता है। संविधान हटाने की कोशिश उन्हें ले डूबी।इधर तगड़ा विपक्ष,उधर संघ की दादागिरी और दो बैशाखियों का सहारा इन सबने मिलकर एक अकेला सब पर भारी का कचूमर निकाल दिया। विश्वगुरु का नकाब भी उतर चुका है।विदेश से लेकर देश तक में मोदीजी अब ग्रेस खो चुके हैं।जनता की मार वाकई बहुत बुरी होती है।

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