नई दिल्ली: गृह मंत्रालय (एमएचए) ने अपने एक बयान में कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने बुधवार को “संगठित निवेश और कार्य-आधारित अंशकालिक नौकरी धोखाधड़ी” में शामिल 100 से अधिक वेबसाइटों को ब्लॉक कर दिया.इन प्रतिबंधित वेबसाइटों पर कथित तौर पर लोगों को “घर बैठे रोजाना 10,000 रुपये कमाएं” जैसे संदेश भेजे जाते हैं.
गृह मंत्रालय के अनुसार, नेशनल साइबर क्राइम थ्रेट एनालिटिक्स यूनिट (एनसीटीएयू), जो कि भारतीय साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) का एक समूह है, ने नौकरी धोखाधड़ी में शामिल 100 से अधिक वेबसाइट्स की पहचान की और “साइबर सुरक्षित भारत” बनाने के उद्देश्य से उन पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की. एमएचए के एक अधिकारी ने कहा कि सिफारिशों के बाद, एमईआईटीवाई ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत अपनी शक्ति का इस्तेमाल किया और इन वेबसाइटों को ब्लॉक कर दिया.
I4C देश में साइबर अपराध से समन्वित और व्यापक तरीके से निपटने के लिए गृह मंत्रालय की एक पहल है.एमएचए अधिकारी के अनुसार, प्रतिबंधित वेबसाइट कार्य-आधारित और अवैध निवेश-संबंधी आर्थिक अपराधों को सुविधाजनक बनाने वाली – डिजिटल विज्ञापन, चैट मैसेंजर और किराए के खातों का उपयोग करके “विदेशी एक्टर्स” द्वारा संचालित की गईं.
अधिकारी ने कहा कि यह भी पता चला है कि बड़े पैमाने पर आर्थिक धोखाधड़ी से प्राप्त आय को कार्ड नेटवर्क, क्रिप्टो मुद्रा, विदेशी एटीएम निकासी और अंतरराष्ट्रीय फिनटेक कंपनियों का उपयोग करके भारत से बाहर भेजा गया था.
पिछले साल में कई अनजान व्यक्ति इन धोखाधड़ी वाले प्रस्तावों का शिकार हुए हैं, जिनकी वर्तमान में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जांच चल रही है. अधिकारी के अनुसार गृह मंत्रालय की 1930 साइबर क्राइम हेल्पलाइन के माध्यम से ऐसी कई शिकायतें प्राप्त हुईं, जिसके बाद कार्रवाई की गई.
एमएचए ने बुधवार को बयान में कहा, “गृह मंत्रालय साइबर अपराध पर अंकुश लगाने और लोगों को साइबर खतरे से बचाने के लिए प्रतिबद्ध है. नागरिकों को यह भी सलाह दी जाती है कि वे ऐसे धोखेबाजों द्वारा इस्तेमाल किए गए फोन नंबरों और सोशल मीडिया हैंडल की तुरंत एनसीआरपी (नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल) www.cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें.”
नागरिकों के लिए खतरा, डेटा सुरक्षा संबंधी चिंताएं
गृह मंत्रालय ने कहा कि ये आर्थिक धोखाधड़ी नागरिकों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रही हैं और इसमें डेटा सुरक्षा संबंधी चिंताएं भी शामिल हैं.कई व्हाट्सएप नंबरों के जरिए से काम करते हुए भारत और विदेशों में बैठे घोटालेबाज कथित तौर पर लोगों को रोज़गार के झूठे वादे करते हैं और विभिन्न तरीकों से उनसे पैसे ठगते हैं. दिप्रिंट को जानकारी मिली है कि कमाया गया पैसा कथित तौर पर शेल कंपनियों के माध्यम से भेजा जाता है और उसे सफेद किया जाता है.
सीबीआई सूत्रों के अनुसार, इस तरह की नौकरी संबंधी धोखाधड़ी भारत में सबसे बड़ी “साइबर-सक्षम मनी-लॉन्ड्रिंग धोखाधड़ी” में से एक है.अक्टूबर में एजेंसी ने “ऑपरेशन चक्र 2” के हिस्से के रूप में भारत भर में विभिन्न स्थानों पर छापे मारे, जिसे “संगठित साइबर-सक्षम वित्तीय अपराधों से निपटने और नष्ट करने” के लिए डिज़ाइन किया गया था.
नौकरी धोखाधड़ी के संबंध में पिछले साल सीबीआई में एक एफआईआर दर्ज की गई थी, जब उसे बड़ी संख्या में निर्दोष नागरिकों को निवेश और अंशकालिक नौकरी के अवसरों के वादे के साथ पैसे ठगने की जानकारी मिली थी.
जैसे-जैसे सीबीआई ने पड़ताल की, उसने कई परतों और उन्नत तकनीक से जुड़े एक बेहद जटिल रैकेट का पर्दाफाश किया. सीबीआई सूत्रों ने कहा कि ऑपरेशन चक्र अमेरिका की संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) समेत राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के सहयोग से चलाया गया था.गृह मंत्रालय ने कहा कि इन धोखाधड़ी का एक पैटर्न है जिससे सभी नागरिकों को अवगत होना चाहिए.
उक्त गृह मंत्रालय के अधिकारी के अनुसार, पहले कदम के रूप में ये कंपनियां Google और मेटा जैसे प्लेटफार्मों पर “घर बैठे जॉब” “घर बैठे कमाई कैसे करें” जैसे कीवर्ड का उपयोग करके लोगों को लुभाने के लिए विदेशी विज्ञापनदाताओं से कई भाषाओं में लक्षित डिजिटल विज्ञापन लॉन्च करती हैं.अधिकारी ने कहा, उनके निशाने पर ज्यादातर रिटायर्ड कर्मचारी, महिलाएं और अंशकालिक नौकरियों की तलाश कर रहे बेरोज़गार युवा हैं.
अधिकारी ने कहा, “विज्ञापन पर क्लिक करने पर व्हाट्सएप या टेलीग्राम का उपयोग करने वाला एक एजेंट संभावित पीड़ित के साथ बातचीत शुरू करता है, जो उन्हें वीडियो लाइक और सब्सक्राइब, मैप्स रेटिंग जैसे कुछ कार्य करने के लिए मनाता है.”
उन्होंने कहा, “किसी काम के पूरा होने पर पीड़ित को शुरुआत में कुछ कमीशन दिया जाता है और दिए गए काम के बदले अधिक रिटर्न पाने के लिए अधिक निवेश करने के लिए कहा जाता है.”अधिकारी ने कहा, भरोसा जीत लेने के बाद, जब पीड़ित बड़ी रकम जमा करता है, तो जमा राशि जब्त कर ली जाती है और पीड़ित को धोखा दिया जाता है.
‘ठीक से जांच करें’
गृह मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि लोगों को इस खतरे के बारे में जागरूक करने की ज़रूरत है और उन्हें इंटरनेट पर प्रायोजित किसी भी उच्च कमीशन भुगतान वाली ऑनलाइन योजनाओं में निवेश करने से पहले ठीक से जांच करने के लिए कहा जाना चाहिए.
बयान में कहा गया है, “अगर कोई अज्ञात व्यक्ति आपसे व्हाट्सएप या टेलीग्राम पर संपर्क करता है, तो बिना वेरिफिकेशन के पैसे के लेनदेन से बचें.”इसमें आगे कहा गया है कि लोगों को यूपीआई ऐप में उल्लिखित रिसीवर के नाम को वेरिफाई करना होगा.
बयान में कहा गया है, “अगर रिसीवर कोई रेंडम व्यक्ति है, तो यह एक ठगी हो सकती है और योजना धोखाधड़ीपूर्ण हो सकती है.इसी तरह, उस स्रोत की जांच करें जहां से प्रारंभिक कमीशन मिल रही है.”
इसमें आगे कहा गया है कि नागरिकों को अज्ञात खातों से लेनदेन करने से बचना चाहिए, क्योंकि ये मनी लॉन्ड्रिंग और यहां तक कि आतंक के वित्तपोषण में शामिल हो सकते हैं और पुलिस द्वारा खातों को सीज़ करने और अन्य कानूनी कार्रवाई का कारण बन सकते हैं.