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*नशा मुक्त भारत आंदोलन का राष्ट्रीय सम्मेलन, अमृतसर में 17 मार्च को 

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नशे का व्यापार, बंद करें सरकार !!

नशा मुक्त भारत आंदोलन का राष्ट्रीय सम्मेलन, अमृतसर में 17 मार्च को आयोजित होने जा रहा है । सम्मेलन को संबोधित करने नशा मुक्त भारत आंदोलन की राष्ट्रीय संयोजक  सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर, कर्नाटक विधानसभा के पूर्व उप-सभापति एवं विधायक बी आर पाटिल, भाकियू (उग्रहां) के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उग्रहां, मध्यप्रदेश के पूर्व विधायक डॉ सुनीलम, पंजाब के  ई टी ओ, कैबिनेट मंत्री हरभजन सिंह, बटाला के विधायक शेरी कलसी,  हसन कर्नाटक के पूर्व विधायक एच एम विश्वनाथ, खुदाई खिदमतगार के राष्ट्रीय संयोजक फैसल खान, पंजाब के पूर्व आईपीएस, डीजीपी  शशिकांत,फैक्टर के राष्ट्रीय संयोजक अरुण श्रीवास्तव, दिल्ली नशाबंदी समिति के महामंत्री, पूर्व पार्षद राकेश कुमार, नशा मुक्त भारत आंदोलन की म.प्र. राज्य संयोजक एड. आराधना भार्गव, दारू मुक्ति आंदोलन, दिल्ली महिला मोर्चा की अध्यक्ष विनीता, मानव एकता संवाद उत्तर प्रदेश के राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेंदर भगत, ऑल इंडिया पिंगलवाड़ा चैरिटेबल सोसायटी की कार्यकारी अध्यक्ष डॉ इंदरजीत कौर, किसान संघर्ष समिति की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रो. सुशीला ताई मोराळे, महाराष्ट्र के अकोला दारू मुक्ति आंदोलन के भाई रजनीकांत, जन जागरण सामाजिक संगठन, दिल्ली के शशि भूषण, सीधी, मध्यप्रदेश के सामाजिक कार्यकर्ता निसार आलम अंसारी एवं सर्वोदय मंडल नासिक की अध्यक्ष बेबी वाइकर पहुंच रहे हैं। 

      हम नशा मुक्त भारत आंदोलन इसलिए चला रहे हैं क्योंकि नशा सभी बुराइयों की जड़ है। नशे से मनुष्य के विवेक के साथ सोचने समझने की शक्ति नष्ट हो जाती है। वह अपने हित-अहित और भले-बुरे का अंतर नहीं समझ पाता।

   गांधीजी ने कहा था कि शराब के सेवन से मनुष्य के शरीर और बुद्धि के साथ-साथ आत्मा का भी नाश हो जाता है। शराबी अनेक बीमारियों से ग्रसित हो जाता है।

      देश में नशे के चलते मरने वालों की संख्या 10 लाख से अधिक है। जिसमें विगत वर्ष अत्यधिक नशे का सेवन करने के कारण लीवर और किडनी खराब होने तथा दुर्घटना से एक लाख से अधिक लोगों की मृत्यु हुई है । अधिकतर घरेलू हिंसा का मुख्य कारण भी नशा ही है।

   शराब का सीधा प्रभाव हमारे समुदायों की सामाजिक और पारिवारिक गतिशीलता पर पड़ता है।  शराब के कारण घरेलू हिंसा और बढ़ती गरीबी का सबसे ज्यादा मुकाबला महिलाओं और बच्चों को ही करना पड़ता है। 

   सभी धर्म, सभी समाज सुधारकों, सभी धर्म गुरुओं, राजनीतिक लोगों, सामाजिक संगठनों एवं सरकारों के द्वारा नशा मुक्ति की बात कही जाती है लेकिन यह सर्व विदित है कि समाज में नशे का चलन लगातार बढ़ता जा रहा है। भारत में नशा करने वालों की संख्या 37 करोड़ के पार चली गई है। यह संख्या दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश अमेरिका से अधिक है। इनके साथ ही, नशा करने वालों में शराब पीने वालों की संख्या 16 करोड़ तक पहुंच गई है, जो रूस की आबादी के बराबर है।

  लगभग 3 करोड़ लोग शराब के बिना नहीं रह पाते। सर्वे के मुताबिक, शराब पीने वालों में 19 प्रतिशत (लगभग 3 करोड़) ऐसे हैं जो शराब के बिना रह नहीं पाते। 2.26 करोड़ लोग यानी कुल आबादी का 2.1 प्रतिशत अफीम, उसके डोडे, हेरोइन, स्मैक और ब्राउन शुगर जैसी ड्रग्स के शिकंजे में हैं।

  क्राइम ब्यूरो के अनुसार सबसे ज्यादा ड्रग्स के ओवरडोज से मरने वालों की संख्या पंजाब में 144, राजस्थान में 117, मध्य प्रदेश में 74 है। 2022 के आंकड़ों के अनुसार 681 व्यक्तियों की ड्रग के ओवरडोज से मृत्यु हुई, जिसमें 116 महिलाएं थी। पूरे देश में नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) एक्ट 1985 के तहत देश में एक लाख 15 हजार केस दर्ज किए गए । जिसमें केरल में 26,619,  महाराष्ट्र में 13,830 तथा पंजाब में 12,442 केस थे।  इसी तरह पंजाब में ड्रग एब्यूज और अधिक शराब पीकर मरने वालों की संख्या देश में सर्वाधिक है।

  नशा क्रोनिक से पीड़ित भारतीयों की संख्या का कोई आंकड़ा तो नहीं है परंतु देश के सीमावर्ती राज्यों में नशा क्रोनिक से पीड़ितों की संख्या लगातार बढ़ती चली जा रही है।

  31 जनवरी 2023 तक दो साल में मुंद्रा में अडानी बंदरगाह से 375.50 करोड़ रुपए की 75 किलोग्राम हेरोइन जब्त की गई  तथा सितंबर 2021 में, राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI), एक केंद्रीय एजेंसी ने मुंद्रा बंदरगाह पर दो कंटेनरों से लगभग 3,000 किलोग्राम हेरोइन जब्त की थी,  इसकी कीमत लगभग 21,000 करोड़ रुपए थी। 

  इसी तरह 2023 में केरल तट के पास एनसीबी और नौसेना द्वारा 2,500 किलोग्राम हेरोइन जब्त की गई थी।

      नई दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर सीमा शुल्क अधिकारियों ने 12 और 13 नवंबर 2021 को युगांडा की दो महिला नागरिकों  से 12.9 किलोग्राम हेरोइन जब्त की गई जिसकी कीमत लगभग 90 करोड़ रुपये थी। 

      भारत में पिछले 14 सालों में ड्रग्स का इस्तेमाल लगातार बढ़ने के बाद भी ड्रग तस्करों के पकड़े जाने की दर 1% से भी कम है।

  चुनाव के समय मतदाताओं को लुभाने के लिए राजनीतिक दल शराब बांटते है। राजस्थान में 2023 के विधानसभा चुनाव के दौरान  283 करोड़ की अवैध सामग्री जब्त की गई है। जिसमें अवैध शराब, नगदी एवं अन्य सोने चांदी के आभूषण शामिल थे। 

  मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान 331 करोड़ से ज्यादा कैश व अवैध शराब सहित अन्य सामग्री बरामद की गई। इसमें नगद राशि 38.49 करोड़ व अवैध शराब 62.9 करोड़ की है।

    सरकार नशीले पदार्थ के इस्तेमाल को सार्वजनिक स्थान पर उपयोग पर कानूनी प्रकरण प्रतिबंध लगाती है लेकिन खुद शराब के कारखाने खुलवाती है। अफीम, गांजा, चरस की खेती करवाती है तथा नशा मुक्ति केंद्र भी खुलवाती है उसमे नशा मुक्ति की करोड़ों रुपए की दवाई भी बिकवाती है। 

   नशा मुक्त समाज की जरूरत के महत्त्व को समझते हुए, हमारे संविधान निर्माताओं ने राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के माध्यम से जन स्वास्थ्य में सुधार को सरकार का प्राथमिक कर्तव्य बनाया था।  हमारे संविधान के अनुच्छेद 47 में निर्धारित किया गया था कि ‘राज्य स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नशीले पेय तथा मादक दवाओं के चिकित्सीय उद्देश्यों के सिवाए उनके सेवन पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास करेगा।’  इस अधिनियम में मादक पदार्थों के अवैध व्यापार पर नियंत्रण के कठोर प्रावधान किए गए तथा सरकार को नशे की लत की रोकथाम और उपचार के केन्द्र स्थापित करने के अधिकार दिए हैं।

   हिंदू धर्म में शराब को अस्वास्थ्यकर  और हिंसक व्यवहार का कारण बनने वाला माना गया है। इस्लाम में शराब को हराम माना जाता है। बौद्ध आम तौर पर शराब  का सेवन करने से बचते हैं, क्योंकि यह पांच उपदेशों में से 5वें, बुनियादी बौद्ध आचार संहिता का उल्लंघन करता है और दिमागीपन को बाधित कर सकता है । जैन धर्म में किसी भी प्रकार के शराब के सेवन की अनुमति नहीं है। शराब के सेवन के खिलाफ सबसे महत्वपूर्ण कारण मन और आत्मा पर शराब का प्रभाव है। किण्वन प्रक्रिया से जुड़े बड़ी संख्या में सूक्ष्मजीवों की हत्या से बचने के लिए जैन किण्वित खाद्य पदार्थों (बीयर, वाइन और अन्य अल्कोहल) का सेवन नहीं करते हैं। सिख धर्म के अनुसार एक दीक्षित सिख नशीले पदार्थों का उपयोग या सेवन नहीं कर सकता, जिनमें से शराब एक है। 

      समाज में विशेष रूप से युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति को रोकने एवं इसकी बुराईयों से उन्हें अवगत कराना हमारा दायित्व और कर्त्तव्य भी है। 

हम इस सम्मेलन के माध्यम से मतदाताओं से अपील करना चाहते हैं कि नशे और पैसे लेकर चुनाव को प्रभावित न करें।

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