नई दिल्ली। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की किताबों में अब बच्चों को ‘इंडिया’ की जगह ‘भारत’ पढ़ाया जाएगा। एनसीईआरटी में बदलाव करने वाली समिति ने इसका सुझाव दिया है। समिति का कहना है कि 12वीं कक्षा तक की सभी सामाजिक विज्ञान की किताबों में ‘इंडिया’ को ‘भारत’ कहा जाना चाहिए।
समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर सीआई इस्साक ने Indianexpress.com को बताया कि यह सुझाव 2022 सामाजिक विज्ञान समिति की ओर से दिया गया है। उन्होंने कहा कि “हम उम्मीद कर रहे हैं कि इसे अगले शैक्षणिक वर्ष से लागू किया जाएगा, लेकिन यह सब एनसीईआरटी पर निर्भर करता है।” इस्साक एक इतिहासकार और पद्मश्री पुरस्कार विजेता हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि समिति ने प्रस्ताव दिया है कि भारतीय जीत पाठ्यक्रम का एक बड़ा हिस्सा होनी चाहिए। उन्होंने कहा, “फिलहाल एनसीईआरटी की किताबों में आजादी के बाद के इतिहास का कोई जिक्र नहीं है, इसलिए हमने सुझाव दिया है कि 1947 से लेकर अब तक हुई ऐतिहासिक घटनाओं को भी किताबों में दिया जाना चाहिए और आजादी से पहले के लिए आवंटित घंटों की संख्या कम की जा सकती है।”
समिति ने ‘प्राचीन इतिहास’ को ‘भारतीय इतिहास के शास्त्रीय काल’ से बदलने का भी सुझाव दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि समिति देश की उपलब्धियों, इतिहास और संस्कृति के बारे में और अधिक सिखाने के लिए पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान प्रणाली के बारे में और अधिक जोड़ने पर सहमत हुई है।
एनसीईआरटी की किताबों में बदलाव की ये सिफारिश उस बहस के बाद आई है जब सितंबर में आयोजित जी20 के रात्रिभोज के लिए राष्ट्रपति की ओर से विदेशी मेहमानों को भेजे गए निमंत्रण पत्र में “प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया” की बजाय ” प्रेसिडेंट ऑफ भारत” का इस्तेमाल किया गया था।
इस बीच, एनसीईआरटी ने कक्षा 3-12 के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (एनसीएफ) के साथ “स्कूल पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तकें, शिक्षण और सीखने की सामग्री” को संरेखित करने के लिए जिम्मेदार 19 सदस्यीय समिति की स्थापना करके नई पाठ्यपुस्तकों के विकास के अंतिम चरण की शुरुआत की।
समिति के कुछ सदस्य फील्ड मेडलिस्ट मंजुल भार्गव, पीएम के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय, आरएसएस से जुड़े संस्कृत भारती के संस्थापक सदस्य चामू कृष्ण शास्त्री, परोपकारी सुधा मूर्ति और गायक शंकर महादेव हैं।
(‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित खबर पर आधारित।)