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कान्ह नदी के शुद्धिकरण में अफसरों की लापरवाही:सीवरेज लाइन आगे, ट्रीटमेंट प्लांट ढाई किलोमीटर पीछे

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सिंहस्थ के पहले शिप्रा नदी को साफ करने के लिए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने तीन जिलों के कलेक्टरों को जिम्मेदारी दी है। अब तक इंदौर और उज्जैन शहर शिप्रा शुद्धिकरण के नाम पर सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च कर चुके है, फिर भी शिप्रा में गंदा और बदबूदार पानी बहता है।इंदौर मे कान्ह नदी के शुद्धिकरण में अफसरों की अदूरदर्शिता और लापरवाही का खामियाजा सरकार को झेलना पड़ रहा है। कान्ह नदी को शुद्ध करने के लिए 200 एमएलडी क्षमता का ट्रीटमेंट प्लांट ही गलत जगह बन गया।

शिप्रा को सबसे ज्यादा प्रदूषित करने वाली कान्ह नदी इंदौर से बहती है। इंदौर मे कान्ह नदी के शुद्धिकरण में अफसरों की अदूरदर्शिता अौर लापरवाही का खामियाजा सरकार को झेलना पड़ रहा है। कान्ह नदी को शुद्ध करने के लिए 200 एमएलडी क्षमता का ट्रीटमेंट प्लांट ही गलत जगह बन गया अौर अब शहर के एक हिस्से के सीवरेज को लिफ्ट कर ट्रीटमेंट तक लाया जाता है।

Indore: Sewerage line laid in front, treatment plant built two and a half kilometers behind, how will Shipra b

ट्रीटमेंट प्लांट का पानी फिर नदी में छोड़ा जाता है।

जेएनएययूआरएम के तहत 15 साल पहले शहर में सीवरेज प्रोजेक्ट स्वीकृत हुआ था। तब बीआरटीएस बनाने वाली कंपनी को उस हिस्से में सीवरेज बनाने का जिम्मा दिया गया था। कंपनी ने निरंजनपुर तक सीवरेज लाइन बिछा दी,क्योकि ट्रीटमेंट प्लांट शकरखेड़ी में बनना प्रस्तावित था,लेकिन जिस जगह प्लांट बनना था, उसके जमीन मालिक ने हाईकोर्ट में याचिका लगा दी और नगर निगम को जमीन नहीं मिल पाई।

इसके बाद अफसरों ने प्रोेजे्क्ट का पैसे लैप्स होने से बचाने के लिए पुराने ट्रीटमेंट प्लांट की जमीन पर ही 200 एमएलडी की क्षमता का प्लांट बना डाला, जबकि सीवरेज का पानी प्लांट से ढाई किलोमीटर आगे कान्ह नदी तक पाइपों से पहुंचाया जा रहा है।

वहां पंपिंग मशीन लगाकर सीवरेज के पानी को उल्टी दिशा में पाइप डालकर ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचाया जा रहा है। अफसरों का कहना है कि सीवरेज का पानी निरंजनपुर से भी कबीटखेड़ी तक लाया जाता है,लेकिन मौके के हाल बताते है कि प्लांट के आगे कान्ह नदी में गंदा  और मटमैला पानी फिर मिल रहा है।

अब वह शिप्रा नदी को प्रदूषित कर रहा है। अब शहर की बसाहट भी निरंजपुर और मांगलिया तक हो चुकी है, लेकिन वहां सीवरेज का पानी सीधे नदी में छोड़ा जा रहा है। इस स्थिति में शिप्रा का पूरी तरह साफ होना मुश्किल है।

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