एक दिन ग्रामीण परिवेश के विद्यालय में
*** *धर्मेश यशलहा*
बच्चे पढ़ाई हो या खेलकूद या सांस्कृतिक गतिविधियां, सभी की तलाश में गांवों से शहरों की ओर क्यों आए, जब उन्हें वहीं सब कुछ मिल जाए , इसी उद्देश्य के साथ ग्रामीण परिवेश में ही एक शुरुआत है *स्वरण विद्यापीठ*
चार दोस्तों *तरुण यशलहा* , *चक्रपाणि जोशी* , *अभिषेक शर्मा* और *विवेक भट्ट* ने मिलकर ठानी की ग्रामीण क्षेत्र में ही उच्च कोटि की सर्व सुविधायुक्त शिक्षा के लिए प्रयास किए जाएं, उसी का परिणाम है खरगोन जिले के *बड़वाह* तहसील में *बंजारी गांव* का *स्वरण विद्यापीठ*,
पहले शिक्षा सत्र 2022-23 में ही निमाड़ क्षेत्र के *बड़वाह* शहर के पास *बंजारी* गांव में शुरु इस विद्यालय मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल माध्यम से नर्सरी से आठवीं कक्षा के *270 बच्चों* के साथ संचित हो रहा है यह विद्या केंद्र, ग्रामीण भारत के विकास के लिए किए जा रहे इस अद्वितीय प्रयास की सराहना ही की जा सकती हैं जहां आज के परिवेश के अनुरुप अंग्रेजी की तो भारतीय संस्कारों के लिए संस्कृत का भी ग्यान कराया जा रहा हैं, बच्चे आकर्षक गणवेश के साथ पढ़ाई के साथ खेल, संगीत, गायन-वादन , सांस्कृतिक सभी गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं, बास्केटबॉल कोर्ट, वालीबॉल, खो खो के मैदान भी हैं, शिक्षक और शिक्षिकाओं को अपना दायित्व निभाते हुए देखा, बच्चों की खेल गतिविधियों, गायन और वादन, संगीत में भी रुचि देखी,
फुटबॉल, निशानेबाजी, तीरंदाजी, बैडमिंटन, टेबल टेनिस सहित इनडोर खेल गतिविधियों के लिए सभी आधुनिक सुविधाओं को विद्यालय परिसर में ही जुटाने के लिए तत्पर है विद्यालय के संचालक द्वय;
तरुण यशलहा और चक्रपाणि जोशी ने बताया कि स्वरण विद्यापीठ के लिए आर्थिक मदद की दरकार हैं, जो ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को अधिक से अधिक बेहतर सुविधाएं मिल सकें,
कम से कम 5-6 बसों की जरूरत हैं, अभी बच्चों को लाने-ले जाने के लिए विद्यालय की 3 किराये की बसें हैं,
परिसर में ही एक सभागृह सहित इनडोर खेल गतिविधियों के लिए सुविधाओं, अन्य सभी आवश्यक सुविधाएं हम जुटाना चाहते हैं,
270 बच्चों में *60 से अधिक* बच्चें निर्धन परिवार के हैं जो फीस नहीं दे सकते हैं, शासन की योजना के तहत हम उन्हें भी शिक्षा दे रहे हैं,
संस्कृति और संस्कार की संस्कृत से बच्चों कोआचार्य *रिषि कुमार व्यास* संस्कारित कर रहे हैं, खेल शिक्षक भी हैं जो सभी खेलों के प्रति बच्चों में दिलचस्पी बढा रहा हैं , तरुण यशलहा कहते हैं कि हम चाहते हैं कि हमारे विद्यालय के बच्चे शिक्षा के साथ ही स्वस्थ और तंदुरुस्त , फिट रहें, खेलों में भी आगे रहे, अन्य विधाओं में भी आगे बढे, उनका सर्वांगीण विकास हो, ग्रामीण परिवेश में यह प्रयोग ग्रामीण भारत के विकास को नई दिशा दे सकता हैं
*** *धर्मेश यशलहा*