एस पी मित्तल,अजमेर
अजमेर की ऐतिहासिक सोनी जी की नसिया के परिसर में 27 मार्च को दोपहर तीन बजे जैन आचार्य वसुनंदी महाराज के सानिध्य में एक समारोह होगा जिसमें 140 वर्ष पुरानी जैन रचनाओं को सार्वजनिक किया जाएगा। नसिया के ट्रस्टी प्रमोद सोनी ने बताया कि नसिया का निर्माण राय बहादुर सेठ मूलचंद सोनी ने वर्ष 1865 में किया था। 1871 में स्वर्ण सुशोभित पंचकल्याणक की रचनाएँ बनाई गई। जिसकी स्थापना 1895 में की गई। परिवार के सदस्यों ने उस समय दो पंचकल्याणक की रचनाएँ निर्मित की थी, लेकिन एक की रचनाओं का प्रदर्शन कभी भी नसियां में नहीं हुआ। अब परिवार ने इन दुर्लभ रचनाओं को नसियां में प्रदर्शित करने का निर्णय लिया है। इसलिए 27 मार्च को जैन आचार्य वसुनंदी महाराज के सान्निध्य में दुर्लभ रचनाओं का लोकार्पण किया जाएगा। इन रचनाओं में प्रथम हस्तिनापुर राजा श्रेयांस द्वारा भगवान आदिनाथ को प्रथम आहार दृश्य एवं द्वितीय केवल ज्ञान प्राप्त होने के पश्चात भगवान के आकाश गमन का दृश्य तथा इंद्र द्वारा 225 स्वर्ण कमल की रचनाएं शामिल हैं। इसके साथ ही भगवान ऋषभ देव के अंतिम समवशरण कैलाश पर्वत पर 72 स्वर्णिम जिनालय की रचनाएं भी प्रदर्शित की जाएगी। अजमेर में महावीर जयंती के अवसर पर ही स्वर्णिम रथ, घोड़ा, हाथी, आदि प्रदर्शित किए जाते हैं। लेकिन अब इन रचनाओं को भी नसियां में आने वाले पर्यटक देख सकेंगे। सोनी ने बताया कि स्वर्ण अयोध्या नगरी को देखने के लिए वर्ष भर देशी विदेशी पर्यटक आते हैं, लेकिन 140 वर्ष पूर्व बनी दुर्लभ रचनाओं के प्रदर्शन के बाद लोगों का आकर्षण और बढ़ेगा। इन सभी दुर्लभ रचनाओं को नसियां परिसर के एक हाल में ही प्रदर्शित किया गया है। उनके परिवार का यह सौभाग्य है कि इन रचनाओं का लोकार्पण जैन आचार्य वसुनंदी महाराज के सानिध्य में हो रहा है।