इंदौर: पिछले कई सालों से लगातार देश के सबसे स्वच्छ शहर का तमगा जीतने वाले इंदौर में साफ-सफाई की वजह से एक नई मुसीबत पैदा हो गई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, साफ-सफाई की वजह से करीब ढाई लाख आवारा कुत्तों के लिए भोजन का संकट देखने को मिल रहा है। भोजन की समस्या की वजह से अब इन जानवरों के हिंसक स्वभाव देखने को मिलने लगा है। यह बात ऐसे वक्त सामने आई है, जब शहर में आवारा कुत्तों के लोगों को काटने की बढ़ती घटनाओं के बीच स्थानीय प्रशासन इन जानवरों की नसबंदी के अब तक के सबसे बड़े अभियान की तैयारी में जुटा हुआ है।
‘नसबंदी की संख्या को बढ़ाकर 90 पर पहुंचाने का लक्ष्य’
अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि प्रशासन ने तय किया है कि शहर में आवारा कुत्तों की नसबंदी के लिए 6 महीने का स्पेशल कैंपेन चलाया जाएगा ताकि उनकी तादाद को नियंत्रित किया जा सके। नगर निगम में पशु जन्म नियंत्रण यानी कि ABC कार्यक्रम के प्रभारी डॉ. उत्तम यादव ने बताया,‘शहर में आम तौर पर हर रोज 30 से 35 आवारा कुत्तों की नसबंदी होती है। हमने इस संख्या को बढ़ाकर 90 पर पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए मानव संसाधन और अन्य सुविधाओं में इजाफा किया जा रहा है।’ यादव ने माना कि भूख के कारण शहर के आवारा कुत्ते चिड़चिड़े हो रहे हैं।
‘आवारा कुत्तों को आसानी से भोजन नहीं मिल पा रहा है’
ABC कार्यक्रम के प्रभारी ने कहा,‘कुछ बरसों पहले शहर में कचरा यहां-वहां पड़ा रहता था और बड़ी कचरा पेटियां भी रखी होती थीं। आवारा कुत्ते इनमें अपना भोजन ढूंढ़ लेते थे, लेकिन अब शहर में कचरा पेटियां नहीं हैं और नगर निगम की गाड़ियों से हर घर और प्रतिष्ठान से कचरा जमा किया जाता है। इससे आवारा कुत्तों को आसानी से भोजन नहीं मिल पा रहा है।’ उन्होंने कहा कि आवारा कुत्तों को खाने की तलाश में अपना इलाका छोड़कर दूसरे इलाकों में जाना पड़ता है जिससे अन्य कुत्तों के साथ उनके हिंसक संघर्ष होते हैं।
‘तनावग्रस्त होकर भूखे कुत्ते आम लोगों को काट लेते हैं’
यादव ने कहा कि खाने की कमी और हिंसक संघर्षों की वजह से कई बार तनावग्रस्त होकर भूखे कुत्ते आम लोगों को काट लेते हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के प्रकोप के चलते हुए लॉकडाउन के दौरान स्थानीय प्रशासन ने आवारा कुत्तों के लिए भोजन का इंतजाम किया था, लेकिन अब शहर में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। उन्होंने कहा,‘हमने आवारा कुत्तों को खाना बांटने के लिए कुछ NGOs और पशुप्रेमियों को अधिकृत करते हुए उन्हें ‘फीडर कार्ड’ बांटे हैं ताकि इन जानवरों को खाना मिलता रहे और भूख के कारण उनमें चिड़चिड़ाहट कम हो।’
‘आवारा कुत्तों को खाना खिलाने का काम आसान नहीं है’
ABC कार्यक्रम के प्रभारी ने मोटा अनुमान जताया कि नगर निगम सीमा में करीब 2.5 लाख आवारा कुत्ते हैं। ‘पीपुल फॉर एनिमल्स’ नाम के पशु हितैषी संगठन की इंदौर यूनिट की अध्यक्ष प्रियांशु जैन ने कहा कि देश के सबसे स्वच्छ शहर में आवारा कुत्तों के लिए भोजन और पीने के पानी का संकट पैदा हो गया है जो गर्मियों के मौसम में बढ़ जाता है। उन्होंने कहा,‘शहर में आवारा कुत्तों को खाना खिलाने का काम आसान नहीं है। कई लोग पशुप्रेमियों से इस बात को लेकर झगड़ा करते हैं कि उनके घर के सामने आवारा कुत्तों को खाना क्यों खिलाया जा रहा है?’
‘कई लोग आवारा कुत्तों को जान-बूझकर चोट पहुंचाते हैं’
जैन ने कहा कि उनके संगठन ने नगर निगम को सुझाव दिया है कि शहर के 50 चिह्नित स्थानों पर आवारा कुत्तों के लिए भोजन और पानी का बराबर इंतजाम किया जाए ताकि भूख-प्यास से जूझ रहे इन जानवरों की चिड़चिड़ाहट को कम किया जा सके। उन्होंने बताया,‘कई लोग आवारा कुत्तों को जान-बूझकर चोट पहुंचाते हैं और उन्हें जान से भी मार देते हैं। यह सब देखकर भी कुत्ते आक्रामक हो जाते हैं हम शहर में आवारा कुत्तों के साथ लोगों के हिंसक बर्ताव को लेकर अब तक करीब 160 FIR दर्ज करा चुके हैं।’
इंदौर राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण में लगातार 7 बार पहले नंबर पर
बता दें कि इंदौर राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण में लगातार 7 बार पहले नंबर पर रहा है। मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहलाने वाला यह शहर वर्ष 2024 के जारी स्वच्छता सर्वेक्षण में ‘सुपर स्वच्छ लीग’ की दौड़ में है। इस लीग को स्वच्छता में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले शहरों के बीच अलग से मुकाबले के लिए पहली बार पेश किया गया है। ‘सुपर स्वच्छ लीग’ में इंदौर को नवी मुंबई और सूरत के साथ 10 लाख से ज्यादा की आबादी वाले शहरों की कैटिगरी में रखा गया है।
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