इधर हमें ठोकने के लिए मालदीव वैसे ही मिला जी, जैसे इस्राइलियों को गजा मिला। नहीं बम-वम नहीं बरसा रहे यार। लेकिन न चीन, न पाकिस्तान, यह मालदीव कहां से आ गया- पिटने के लिए। यह कहना तो खैर ठीक नहीं था कि हमारी बिल्ली और हमीं को म्याऊं, पर यह जरूर इशारतन कहा गया कि अहसान-फरामोश, हमने तेरी हमेशा रक्षा की और आज तू हमें ही आंख दिखा रहा है। खैरजी, गजा में तो फिर भी पच्चीस-तीस लाख लोग रहते बताए। पर यहां की आबादी तो कोई पांचेक लाख ही बतायी। पिद्दी न पिद्दी का सोरबा टाइप्स। पर पंगा इसने भी बड़ा ले लिया, क्या करें।
अभी तक हम इस्राइल को ही प्रोत्साहित कर रहे थे- ठोको-ठोको! हम तुम्हारे साथ खड़े हैं। हमारे टीवी चैनल पिछले दो महीने से गजा को नेस्तनाबूद करने में लगे थे-आज टूटेगा गजा पर कहर, आज की रात गजा हो जाएगा तबाह, अब गजा पर होगी कयामत बरपा, हमास को इस्राइल कर देगा नेस्तनाबूद, हमास का नहीं बचेगा कोई नाम लेवा और न जाने क्या-क्या! कई बार लगता था-यार हमारा क्या लेना-देना। पर हमारे टीवी चैनल हमास और गजा को वैसे नहीं कोस रहे थे, जैसे किसी को पानी पी पीकर कोसा जाता है। वे तो हमास और गजा को कुछ-कुछ उसी तरह तबाह करने लगे थे, जैसे किसी जमाने में आईएसएस और बगदादी को तबाह करने में लगे थे।
खैर जी, फिकर नॉट। अब हमें अपना गजा मिल गया है-पीटने के लिए-मालदीव। हमारे प्रधानमंत्रीजी, लक्षद्वीप क्या गए, कहते हैं कि पहले तो मालदीव को मिर्ची लगी और फिर हो गयी उसकी आफत। अब हमारे टीवी चैनलों को न गजा की जरूरत है, न हमास की। गजा की जगह मालदीव ने ले ली है और हमास की जगह ले ली वहां के राष्ट्रपति और उनकी सरकार ने। जैसे हमास ने इस्राइल को छेड़ा, वैसे मालदीव की सरकार ने हमें छेड़ दिया। मोदीजी को कोस दिया, उनका उपहास कर दिया। सो अब खैर नहीं।
सरकार तो बेशक चुप है, लेकिन टीवी चैनल वैसे ही लग गए हैं-मालदीव की आयी शामत। क्या औकात है तेरी मालदीव, एक ही दिन में घुटनों पर आया मालदीव, मालदीव का पर्यटन उद्योग हो जाएगा खत्म, अब खैर नहीं मालदीव तेरी वगैरह-वगैरह। हमारे फिल्मी सितारे, क्रिकेट खिलाड़ी, दूसरे सेलिब्रिटीज सब उसे ठोकने में लग गए हैं। जिन जलकुकड़ों को यह शिकायत थी कि किसानों और महिला खिलाड़ियों के मुद्दों पर, हमारे फिल्मी सितारे चुप क्यों रहते थे, हमारे क्रिकेट खिलाड़ी कुछ बोलते क्यों नहीं, उन जलकुकड़ों की सारी शिकायतें उन्होंने अब दूर कर दी हैं। अब मत कहना कि वे कुछ बोलते क्यों नहीं।