जवाहर कंवर अध्यक्ष, दीपक साहू सचिव बने
कोरबा। “जन संघर्षों को संगठित किये बिना संगठन का निर्माण नहीं किया जा सकता और और बिना संघर्ष के संगठन भी नहीं बनाया जा सकता। संगठन जितना मजबूत होगा, जन संघर्षों का विस्तार भी उतनी ही तेजी से होगा। जिले में किसान सभा को मजबूत करने की यही कुंजी है। यही वह रास्ता है, जिसके जरिए भूविस्थापितों और गरीब किसानों की आवाज सड़क से उच्च सदन तक पहुंचाई जा सकती है।” ये बातें किसान सभा के तीसरे कोरबा जिला सम्मेलन को संबोधित करते हुए राज्य संयोजक संजय पराते ने कही।
किसान सभा के सह संयोजक ऋषि गुप्ता ने सम्मेलन का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि आज कोरबा के भूविस्थापित गरीब किसान जिस चक्की में पिस रही है, उसके खिलाफ पूरे प्रदेश के भू विस्थापितों को एक मंच पर आकर लड़ने के लिए योजनाबद्ध ढंग से संघर्ष विकसित करने की जरूरत है। भूविस्थापन, वनाधिकार, मनरेगा, आदिवासियों पर दमन आदि जिन मुद्दों को हमने चिन्हित किया है, इनमें से हर समस्या राज्य और अखिल भारतीय मुद्दे से जुड़ती है। इसलिए इन स्थानीय मुद्दों पर आयोजित संघर्षों की धमक दूर तक जाती हैं। उन्होंने इन मुद्दों पर संघर्षों को निरंतरता मे आयोजित करने और उसे सकारात्मक नतीजों तक पहुंचाने पर जोर दिया।
सम्मेलन में 70 निर्वाचित प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। जवाहर सिंह कंवर ने सम्मेलन की अध्यक्षता की। जिला सचिव प्रशांत झा ने संगठन के कामकाज की रिपोर्ट रखी, जिसे प्रतिनिधियों ने सर्वसम्मति से पारित किया। सम्मेलन ने खेती-किसानी से जुड़े मुद्दों पर संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन का समर्थन करते हुए एसईसीएल में भूमि अधिग्रहण से प्रभावित विस्थापितों को रोजगार और पुनर्वास देने, आदिवासियों को वनाधिकार देने और हसदेव जंगल का विनाश रोकने, अनाप शनाप बिजली बिलों की वसूली और स्मार्ट मीटर परियोजना पर रोक लगाने, गरीबों से संपत्ति कर की जबरन वसूली रोकने आदि के संबंध में प्रस्ताव पारित किया। एक विशेष प्रस्ताव में भारत सरकार से विश्व व्यापार संगठन से बाहर आने, सी-2 लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी देने और किसानों को कर्जमुक्त करने और मनरेगा में 200 दिनों का काम और 600 रूपये रोजी देने की मांग की गई है। सम्मेलन में 14 मार्च को दिल्ली में आयोजित होने वाले किसान महापंचायत में कोरबा जिले के किसानों को लामबंद करने का निर्णय लिया गया है।
सम्मेलन ने 25 सदस्यीय जिला समिति का चुनाव किया गया, जिसके अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर ; उपाध्यक्ष : प्रशांत झा, जय कौशिक, सावित्री चौहान ; सचिव दीपक साहू, सहसचिव : नंद लाल कंवर, दामोदर श्याम, सुमेंद्र सिंह तथा कार्यकारिणी सदस्य : राजकुमारी कंवर, देव कुंवर, सुराज सिंह कंवर, नरेंद्र साहू, गणेश राम चौहान, कान्हा अहीर, शिवरतन कंवर, दिलहरण बिंझवार, शत्रुहान दास, संजय यादव, दिलीप दास निर्वाचित हुए।
राज्य संयोजक संजय पराते के संबोधन के साथ सम्मेलन का समापन हुआ। अपने संबोधन में उन्होंने देशव्यापी किसान आंदोलन का उल्लेख करते हुए कोरबा जिले में किसानों की स्थानीय समस्याओं और ग्रामीण जन जीवन के रोजमर्रा के मुद्दों पर संघर्षों को विकसित करने पर जोर दिया तथा इसके लिए “हर गांव में किसान सभा और किसान सभा में हर किसान” के नारे को लागू करने पर जोर दिया। जिला सम्मेलन में 2-3 मार्च को सूरजपुर में होने वाले राज्य सम्मेलन के लिए 80 प्रतिनिधियों का भी चुनाव किया गया।