अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

हमारी प्यारी प्यारी हिन्दी 

Share

मुनेश त्यागी

   दुनिया में हजारों यानी 6,800भाषाएं हैं। अलग-अलग देशों की अपनी भाषाएं हैं। किन्हीं किन्हीं देशों में तो हजारों भाषाएं हैं और हमारे देश में भी 19,569 बोलियां और भाषाएं हैं। हर एक देश के लोग अपनी-अपनी भाषाओं का सम्मान करते हैं, उनका गुणगान करते हैं और उन पर अभिमान करते हैं। ऐसे ही हम भी अपने देश की भाषा हिंदी यानी हिंदुस्तानी का सम्मान करते हैं, इस पर गर्व और अभिमान करते हैं। हमें खुशी है कि हम एक ऐसे देश में पैदा हुए, जहां अधिकतर राज्यों में अपनी अपनी भाषाओं के साथ साथ हिंदी भी बोली और समझी जाती है और लगभग पूरे देश में समझी और सुनी जाती है
  हिंदी की महानता यह है कि हिंदी के नगमें, गाने और गजल सुनकर लोग नाचने गाने लगते हैं। हमारी हिंदी की महानता यह है कि इसको हमारे देश के लगभग ज्यादातर लोग समझते हैं। ऐसा ही एक वाकया 1994 का चेन्नई का है, जब हम वहां हां एक वकीलों के सम्मेलन में भाग लेने गए। वहां पर आह्वान किया गया कि अगर कोई साथी, कोई वकील, कोई गाना या ग़ज़ल पेश करना चाहता है तो वह कर सकता है। इसके लिए हमने अपने आप को पेश किया और यह क्रांतिकारी गीत वहां पर पेश किया। 
 इस क्रांतिकारी गीत को सुनकर वहां के अधिकांश वकील साथी इसको गुनगुनाने लगे, हमारे साथ गाने लगे और पूरा का पूरा होल इस गाने पर झूम उठा और वहां पर उपस्थित सारे वकील इस गाने को हमारी साथ गाने लगे और उन्होंने इसे एक सामूहिक गान बना दिया। हमारी जिंदगी का यह एक अद्भुत और अविश्वसनीय नजारा था। हमने अपनी जिंदगी में इस तरह का अद्भुत नजारा पहले कभी नहीं देखा था। केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा और बंगाल के साथ ही तो इसे सुनकर ऐसे विभोर हुए कि उन्हें क्या हीरे मोती मिल गए हैं। हिंदी में लिखा गया यह क्रांतिकारी गीत आज भी अपनी प्रासंगिकता को बनाए हुए हैं और देखिए हिंदी किस क्रांतिकारी रूप में वहां पर पेश हुई,,,,

घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए
जवाब दर सवाल है कि इंकलाब चाहिए
इंकलाब जिंदाबाद, जिंदाबाद इंकलाब।
जहां आवाम के खिलाफ साजिश शान से
जहां पे बेगुनाह हाथ धो रहे हो जान से,
जहां पे लफ्जे अम्न एक खौफनाक राज हो
जहां कबूतरों का सरपरस्त एक बाज हो,
वहां न चुप रहेंगे हम कहेंगे हां कहेंगे हम
हमारा हक हमारा हक हमें जनाब चाहिए।
घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए
जवाब दर सवाल है कि इंकलाब चाहिए
इंकलाब जिंदाबाद जिंदाबाद इंकलाब।

और देखिए कि हिंदी कितने सशक्त रूप से हमारे राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर की कलम से निकलकर हमारे सामने आती है। वह कहते हैं,,,,
मुझे तोड़ लेना वनमाली
उस पथ पर तुम देना फैंक,
मातृभूमि पर शीश नवाने
जिस पथ जाएं वीर अनेक।

और देखिए, कैसे हिंदी भाषा मेहनतकशों की, दुनिया भर के मेहनतकशों की आवाज बनकर हमारे सामने आती है। मास्को में लिखा गया, फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ के लफ्जों में,,,,
हम मेहनतकश जग वालों से
जब अपना हिस्सा मांगेंगे
एक खेत नहीं एक देश नहीं
हम सारी दुनिया मांगेंगे।

और देखिए पाकिस्तानी कवि हबीब जालिब किस तरह से हिंदुस्तानी में अपनी बात कहते हैं और झूठ की बात को नकारते हैं,,,

फूल शाखों पर खेलने लगे तुम कहो
जाम रिंदों को मिलने लगे तुम कहो
चाक सीनों के सिलने लगे तुम कहो
इस खुले झूठ को, जहन की लूट को
मैं नहीं मानता, मैं नहीं मानता।

और जब हिंदी गजल सम्राट दुष्यंत कुमार अपनी ग़ज़ल को हिंदी में पेश करते हैं तो किस तरह से हिंदी हमारे जन गण मन की भाषा बन जाती है। वर्तमान समय में विश्व प्रसिद्ध गजल का यह और सबसे ज्यादा पढे जाने वाला यह गज़ब का शेर सड़कों से लेकर सांसद तक में गूंजता है और किसानों, मजदूरों, नौजवानों की सभा शुरू होने से पहले और सभा के अंत में गाया और पढ़ा जाता है। वे कहते हैं,,,,,
हो गई पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं
मेरी कोशिश है यह सूरत बदलनी चाहिए।
मेरे सीने में ना सही, तेरे सीने में ही सही
हो कहीं भी आग, मगर आग जलनी चाहिए।

और देखिए किस तरह से शायर रहजनों की पोल खोलते है। वे झूठ को बेनकाब कर देते हैं। शायर हिंदी में कहते हैं कि,,,,
मालो-दौलत ही नहीं, लूट लिए सपने भी
ऐसे तो रहजन भी न थे, जैसे ये रहबर निकले।

 देखिए कवि किस तरह से अपनी बात कहता है और हिंदी अपने बुलंद होंसलों के साथ और दृढ़ निश्चय के साथ कविता बनकर हमारे सामने आती है और हमें कुछ करने का जज्बा पैदा करती है,,,,

गंगा की कसम जमुना की कसम
यह ताना बाना बदलेगा
तू खुद तो बदल तू खुद तो बदल
बदलेगा जमाना बदलेगा
रवि की रवानी बदलेगी
सतलज का मुहाना बदलेगा
गर शौक में तेरे जोश रहा।
तस्बीह का दाना बदलेगा।

और देखिए किस तरह से हिंदी अंधेरों से लड़ने की बात करती है, होली और रमजान बनने की बात करती है, मेलजोल की राह निकालती है और क्रांति का गीत बनकर हमारे सामने आती है। देखिए जरा ,,,,,,
इस अंधकार के मौसम में
हम चंदा तारे दिनमान बनें
यह मारकाट की नगरी है
हम होली और अनजान बनें
उस माहौल की बात करें
जहां मेलजोल की राह बने
जनमुक्ति के सपने देखें
हम क्रांति का नवगान बनें

और देखिए जब हमारी हिंदी समता ममता की बात करती है, झगड़े छोड़ने की बात करती है, मिलने जुलने की बात करती है और सारे ताने-बाने को बदलने के साथ साथ, पूरे इंकलाब की बात करती है तो वह अद्भुत रूप धारण करके हमारे सामने आती है। देखिए जरा,,,,
जात धरम के झगड़े छोड़ो
समता ममता की बात करो
बहुत रहे लिए अलग-थलग अब
मिलने जुलने की बात करो।
सारे ताने-बाने को बदलो
खुद भी बदलने की बात करो
हारे थके, आधे अधूरे नहीं
पूरे इंकलाब की बात करो।

और देखिए शायर किस तरह से अपनी बात कहता है, अंधविश्वास और धर्मांधता पर और अंधेरों पर किस तरह से गजब की चोट करता है और दुनिया के सबसे बड़ी बहन की पोल खोलता है, तो तब हिंदी गजब का रूप धारण करके हमारे सामने आती है,,,,,

आसमानों से उतरते हैं पयम्बर ना किताब
आसमानों में कुछ भी नहीं अंधेरों के सिवाय।

 और देखिए जब शायर कहता है कि मुझ में करोड़ों लोग रहते हैं, मैं चुप नही रह सकता, तो यहां हिंदी क्या गजब का बाना धारण करके हमारे सामने आती है। शायर कहता है कि,,,,

मैं इन नजारों का अंधा तमाशबीन नहीं
मुझ में रहते हैं करोड़ों लोग चुप कैसे रहूं।

कवि इतने भर से ही चुप नहीं रहता। वह कहता है कि सिर्फ चलाने से इंकलाब नहीं आता और अंधेरों को हमें सूरज बनकर निकलना होता है। देखिए यहां पर हिंदी क्या गजब का रूप धारण करती है,,,,
सिर्फ चिल्लाने से ही नहीं आता है इंकलाब
बाहर को बदलने से पहले भीतर को बदलना होता है,
अंधेरा सिर्फ आवाजों से नहीं भागता
उसे सूरज बनकर निकलना होता है।

जब हिंदी, हिंदू और मुसलमान की एकता की बात करती है और कोई माने या ना माने तो पूरे हिंदुस्तान की बात करती है तब है अद्भुत रूप धारण करके हमारे सामने आती है। देखें जरा,,,,,
मैं आधा हिंदू हूं मैं आधा मुसलमान हूं
कोई माने ना माने मैं पूरा हिंदुस्तान।

जब हिंदी माताओं बहनों बहुओं और देश दुनिया में खूबसूरत प्राणियों की बात करती है तो वह बेहतरीन लुक में हमारे सामने प्रकट होती है। देखिए इस बारे में हमारी हिंदी क्या कहती है,,,,
हम माताएं हैं, हम शिक्षिकाएं हैं
हम खूबसूरत खूबसूरत प्राणी हैं,
हम बेटियां हैं , हम बहूएं हैं
हम खूबसूरत खूबसूरत प्राणी है।

हमने बहुत सारे लोगों को कहते सुना हैं कि हम क्या कर सकते हैं, हम क्या करें? इसका जवाब हिंदी बहुत बेहतरीन तरीके से हमें देती है और वह इन पंक्तियों के साथ हमें पूरा जीवन दर्शन और हमारे जीवन की दिशा तय कर देती है, जब वह कहती है,,,,,,,
किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार
किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार
किसी का गम मिल सके तो ले उधार
जीना इसी का नाम है जीना इसी का नाम है।

 और जब कवि जमाने को बदलने की बात करता है, हाथों में हाथ लेकर चलने की बात करता है, किसानों और मजदूरों को, पूरी दुनिया को सजाने और संवारने का आह्वान करता है और पूरी दुनिया में लाल परचम फहराने की बात करता है, तो हिंदी क्या असाधारण और अद्भुत रूप धारण करके हमारे सामने आती है। देखिए जरा, कवि हिंदी का बाना धारण करके क्या कहता है,,,,,

करेंगे हम शुरुआत जमाना बदलेगा
होंगे हाथों में हाथ जमाना बदलेगा
तुम आओ मेरे साथ जमाना बदलेगा
हम हो जाए एक साथ जमाना बदलेगा।
किसान आ, मजदूर आ
दुनिया को संवारने वाले आ
साथी, दोस्त, सहयोगी आ
इस जग को सजाने वाले आ
फहरेगा परचम लाल जमाना बदलेगा।

Recent posts

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें