–सुसंस्कृति परिहार
यह काफी आश्चर्यजनक और दिलचस्प बात है कि मशहूर व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई को जानने वाले लोग बड़ी तादाद में हैं और वे उनके व्यंग्य पढ़ते रहते हैं। आमतौर पर उनके समकालीन लोगों को ही परसाई को पढ़ते और याद करते देखा और सुना था किंतु छतरपुर शहर में युवाओं और महिलाओं में उनके प्रति जो रुझान देखने मिली वह अद्भुत थी। इसके पीछे वजह जो समझ में आती है उसमें नगर के यशस्वी लेखक और प्रोफेसर बहादुर सिंह परमार का बड़ा अवदान है। उन्होंने ही यहां इप्टा के जरिए ना केवल परसाई के व्यंग्य लेखों का मंचन कराया तथा जनगीत के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन लाने की पुरज़ोर कोशिश की है इप्टा के साथी शिवेंद्र,नीरज एवं अन्य का योगदान श्लाघनीय है।
यह बात नज़र आई हिंदी साहित्य सम्मेलन और इप्टा के ‘परसाई स्मरण’कार्यक्रम में जो गांधी आश्रम में गत दिवस आयोजित हुआ।विशेष अतिथि बतौर ‘काल के कपाल पर हस्ताक्षर’ के लेखक श्री राजेन्द्र चंद्रकांत राय उपस्थित थे जिन्होंने इस पुस्तक में हरिशंकर परसाई की जीवनी को औपन्यासिक स्वरुप में बड़ी ही प्रभावक शैली में लिखा है।उनके तमाम जीवन संघर्षों और उस दौर की तमाम सच्चाइयों को बड़े ही खूबसूरत अंदाज में लिखकर उपन्यास को बहुत पठनीय बना दिया है।इस पुस्तक की चर्चा छतरपुर में उनके आगमन से पूर्व पहुंच गई थी इसलिए उस पुस्तक के खरीदारों की बड़ी संख्या यहां उनसे मिलने और पुस्तक खरीदने पहुंची।इतनी लोकप्रियता परसाई को जानने और समझने मैंने कहीं नहीं देखी।यह पुस्तक लेखक की सफलता थी या हरिशंकर परसाई की।इसका उत्तर यहां देखने मिला। जहां परसाई के जीवनी लेखक को लोगों ने हाथों हाथ लिया।
इस दौरान श्री राय ने परसाई के मार्गदर्शन में हुए छात्र आंदोलन का ज़िक्र किया तो सभी उपस्थित
जन लहालोट हो गए। उन्होंने बहुत ही गहराई में जाकर उनके उन मसलों का भी उल्लेख किया जिनसे उन्होंने जीवन जीने और समाज को प्रगतिकामी देने की नसीहतें दीं।
श्री राय के सारगर्भित भाषण से पूर्व प्रो बहादुर सिंह परमार ने पुस्तक की समीक्षा की। छतरपुर विश्वविद्यालय के चार छात्रों ने हरिशंकर परसाई पर अपनी महत्वपूर्ण टिप्पणियां दी इस दौरान एक बुंदेली नाट्य संकलन ‘रैन की पुतरियां ‘लेखक स्वामी प्रसाद श्रीवास्तव की पुस्तक का विमोचन हुआ। इप्टा ने नन्हें बच्चों ने सुमधुर आवाज में हरिओम राजोरिया के दो जनगीत गाकर खूब तालियां बटोरी। हिन्दी साहित्य सम्मेलन की अध्यक्ष श्रीमती अमिता अरजरिया ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए नंदलाल सिंह ने कहा कि परसाई स्मरण आयोजन महत्वपूर्ण है परसाई दुनियां के एकमात्र ऐसे लेखक हैं जो समाज पर प्रहार करने के साथ साथ अपने आप पर भरपूर प्रहार करते हैं। कार्यक्रम का संचालन परसाई के व्यंग्य बाणों को रेखांकित करते हुए बड़े ही ज्ञानवर्धक और प्रभावी अंदाज में नीरज खरे ने किया।
परसाई जन्मशती वर्ष में आयोजित हो रहे विविध कार्यक्रम और उनमें बढ़ रही दिलचस्पी इस बात की ओर इशारा करते हैं कि देर से ही सही परसाई की विचारधारा से लोग लगातार जुड़ रहे हैं वह आज फासिस्टवादी ताकतों के समूल नाश के लिए प्रमुख आधार बनेगा। छतरपुर की उपस्थित महिलाओं ने भी परसाई पर एक कार्यक्रम रखने की बात भी कही।यह उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया है।