*रजनीश भारती
मंहगाई बढ़ती है तो एक तरफ पूंजीपतियों का मुनाफा बढ़ता है, दूसरी तरफ मंहगाई के कारण गरीबों की गरीबी, तंगहाली, भुखमरी, अशिक्षा बढ़ती है। मंहगाई के कारण गरीब लोग पेट कटौती करते हैं जिससे उन का स्वास्थ्य खराब होता है, दवा आदि के अभाव में कम ही उम्र में मर जाते हैं।
बेरोजगारी बढ़ती है तो एक तरफ पूंजीपतियों को सस्ते मजदूर मिलते हैं, दूसरी तरफ बेरोजगार नौजवानों की जिन्दगी बर्बाद होती है।
संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन किये बगैर मंहगाई बढ़ाई जा रही है, संविधान के किसी अनुच्छेद का उल्लंघन किये बगैर बेरोजगारी बढ़ाई जा रही है। बजट की लूट, राइट आफ, आदि के जरिए पूंजीपतियों की पूंजी दिन दूना रात चौगुना बढ़ाई जा रही है। संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन किये बगैर पूंजीपतियों के कर्जे माफ कर दिये ग्ए।
भ्रष्टाचार बढ़ता है तो एक तरफ अवैध तरीकों से भी गरीबों का अधिकार छीनना पूंजीपतियों के लिये आसान हो जाता है। दूसरी तरफ गरीब जनता के कानूनी अधिकार भी छिन जाने से उनका संकट और बढ़ जाता है। संविधान के रहते बड़े भ्रष्टाचारी छूट जाते हैं, राजनीतिक पार्टियों के चन्दे आदि के मामलों में तो भ्रष्टाचार को कानूनी मान्यता तक मिली हुई है।
इसी संविधान के रहते 1% लोगों के पास 73% पूंजी इकट्ठा हो चुकी है। मुकेश अम्बानी का मार्केट कैप भारत के मौजूदा बजट के एक चौथाई से भी ज्यादा हो चुका है। इसी संविधान के रहते सारे पूंजीपतियों की पूंजी दिन-दूना रात चौगुना बढ़ रही है। गरीबों की समस्या यें लगातार दिन-दूना रात चौगुना बढ़ रही हैं।
तो अब बताइए संविधान किसका है? किसके पक्ष में हैं?
*रजनीश भारती**राष्ट्रीय जानवादी मोर्चा*