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सचिन पायलट को पद देने की तैयारी:भारत-अमेरिका डिफेंस डील से पाक को ऐतराज; कैंसर दे सकती है कोका-कोला की मिठास

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सचिन पायलट को पद देने की तैयारी:भारत-अमेरिका डिफेंस डील से पाक को ऐतराज; कोल्डड्रिंक्स के स्वीटनर से कैंसर का खतराकांग्रेस नेता राहुल गांधी की मणिपुर यात्रा शुरू होते ही विवादों के घेरे में आ गई। इंफाल से थोड़ा आगे बढ़ने पर राहुल के काफिले को पुलिस ने रोक दिया। उन्‍हें हेलिकॉप्‍टर से चुराचांदपुर जाने की सलाह दी गई मगर कांग्रेस नेता नहीं माने। कांग्रेस समर्थकों ने वहां हंगामा करना शुरू कर दिया तो आंसू गैस के गोले दागे गए। राहुल इसके बाद इंफाल वापस लौट गए। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार राहुल को मणिपुर की असलियत जानने से रोक रही है। मणिपुर में मेइती और कुकी समुदायों के बीच हिंसा में अब तक 100 से ज्यादा की मौत हो चुकी है। वहीं, पटना में विपक्षी नेताओं की बैठक के बाद पहली बार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बिहार पहुंचे हैं। शाह लखीसराय में एक रैली को संबोधित करेंगे। यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ आज प्रयागराज में रहेंगे। वह माफिया अतीक अहमद के कब्जे से मुक्त कराई गई जमीन पर बने 76 फ्लैटों के आवंटियों को आवासों की चाबी सौंपेंगे।

कांग्रेस हाईकमान ने गहलोत-पायलट के बीच सुलह के लिए 3 फॉर्मूले तैयार किए हैं, जिस पर राहुल गांधी को फैसला लेना है। एक खबर पड़ोसी देश पाकिस्तान की थी, जिसने भारत-अमेरिका के बीच हुई डिफेंस डील पर ऐतराज जताया है।

कांग्रेस हाईकमान ने गहलोत-पायलट के बीच सुलह के लिए 3 फॉर्मूले तैयार किए हैं, जिस पर राहुल गांधी को फैसला लेना है। एक खबर पड़ोसी देश पाकिस्तान की थी, जिसने भारत-अमेरिका के बीच हुई डिफेंस डील पर ऐतराज जताया है।

अब सचिन पायलट को पद देकर मुख्य धारा में लाने की तैयारी चल रही है। पायलट के सियासी पुनर्वास पर कई दौर की चर्चा हो चुकी है। इसके लिए तीन विकल्पों पर विचार चल रहा है। राहुल गांधी के मणिपुर दौरे से लौटने के बाद हाईकमान कदम आगे बढ़ाएगा।

फिर शेयरिंग फॉर्मूला तैयार
कांग्रेस हाईकमान विधानसभा चुनावों का कैंपेन शुरू होने से पहले गहलोत-पायलट का झगड़ा सुलझाना चाहता है। इसके लिए फिर शेयरिंग फॉर्मूला तैयार किया गया है।

अब इसे लागू करने की एक्सरसाइज शुरू हो चुकी है। पार्टी हाईकमान को यह फीडबैक मिलता रहा है कि पायलट खेमे को साथ लिए बिना सरकार के खिलाफ नाराजगी कम नहीं होगी। ऐसे में अब दोनों खेमों को साधकर चुनाव मैदान में जाने का प्लान तैयार किया जा रहा है।

चुनाव में जाने के लिए हाईकमान ने पायलट-गहलोत के लिए कौन सा फॉर्मूला तैयार किया, यदि पायलट कहीं एडजस्ट होंगे तो उनके द्वारा उठाई गई मांगों का क्या होगा, टिकट वितरण में सचिन पायलट का क्या रोल होगा?

सचिन पायलट के सियासी पुनर्वास के लिए तीन तरह के विकल्प तैयार किए गए हैं। इन्हीं विकल्पों में से एक पर आम सहमति बनाकर गहलोत और पायलट को साथ लाया जाएगा।

1. ्पहला विकल्प पायलट को राष्ट्रीय महासचिव और कांग्रेस की सुप्रीम बॉडी कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) का मेंबर बनाने के साथ विधानसभा चुनाव की कैंपेन कमेटी का अध्यक्ष बनाने का है। इस फॉर्मूले पर पहले भी चर्चा हुई थी। इससे विरोधी खेमे को भी ज्यादा दिक्कत नहीं होगी।

2. दूसरा विकल्प पायलट को फिर से प्रदेशाध्यक्ष और उनके खेमे के विधायक को डिप्टी सीएम बनाने का है, लेकिन गहलोत खेमा इसका विरोध कर रहा है। इसके लिए कैबिनेट में फेरबदल करना होगा। प्रदेशाध्यक्ष के पद पर अशोक गहलोत खुद के खेमे के नेता की जगह पायलट का विरोध करते रहे हैं।

2020 में पायलट को प्रदेशाध्यक्ष और डिप्टी सीएम पदों से बर्खास्त किया गया था। चुनावी साल में जाट वर्ग के नेता को प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाने से एक बड़े वोट बैंक की नाराजगी का खतरा भी है। इसलिए गहलोत खेमा इसी खतरे का तर्क देकर पायलट को प्रदेशाध्यक्ष बनाने का विरोध कर रहा है। गहलोत खेमे को मनाने और जाट वोट बैंक को बैलेंस करने के लिए मौजूदा प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को डिप्टी सीएम बनाने का विकल्प भी खुला रखा गया है।3. इन दो विकल्पों के अलावा एक तीसरे विकल्प पर भी काम किया जा रहा है। राहुल गांधी के मणिपुर दौरे से लौटने के बाद इसे फाइनल किया जाएगा। संभवत: सीएम गहलोत और पायलट को आमने-सामने बैठाकर इस पर चर्चा की जाएगी। माना जा रहा है कि तीसरा विकल्प पायलट को कांग्रेस का चेहरा बनाकर चुनाव लड़ने के विकल्प पर चर्चा की जा सकती है। हालांकि अभी कुछ तय नहीं है।

पायलट और सिंहदेव के मुद‌्दे अलग
राजनीतिक जानकारों का तर्क है कि छत्तीसगढ़ में टीएस सिंहदेव के मामले की सचिन पायलट से तुलना नहीं की जा सकती। टीएस सिंहदेव अंदरूनी तौर पर असंतुष्ट जरूर थे, लेकिन उन्होंने सियासी लिमिट क्रॉस नहीं की। सचिन पायलट सरकार और अशोक गहलोत के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल चुके हैं। यात्रा निकाल चुके हैं।

जुलाई 2020 में बगावत के बाद अगस्त 2020 में फिर सुलह करके वापस आए। पायलट के मुद्दे भी अलग हैं। सचिन पायलट खेमा लगातार मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी पेश कर रहा है, जबकि गहलोत खेमा विधायकों का बहुमत अपने पास होने का तर्क देकर पायलट की दावेदारी को खारिज करता रहा है।

25 सितंबर को गहलोत खेमे के विधायकों के विधायक दल की बैठक का बहिष्कार कर हाईकमान को तेवर दिखाने के बाद मामला और पलट गया। उसके बाद पायलट और गहलोत खेमों के बीच तल्खी और बढ़ गई। ऐसे में पायलट के मामले में अलग फॉर्मूला तलाश कर समाधान का प्रयास किया जा रहा है।

पायलट को पद दिया ताे उनकी मांगों का क्या होगा?
सचिन पायलट ने तीन मुद्दों को लेकर अजमेर से जयपुर तक पैदल यात्रा (11 मई से 15 जून तक) की थी। उसके बाद 15 दिन का अल्टीमेटम दिया था। सीएम ने तीनों ही मांगों को अलग-अलग समय पर बयान देकर नकार दिया था।

गहलोत ने बुद्धि का दिवालियापन तक कह दिया था
पेपर लीक प्रभावित युवाओं को मुआवजे की मांग को तो गहलोत ने बुद्धि का दिवालियापन तक कह दिया था। आरपीएससी को भंग कर पुनर्गठन की मांग पर गहलोत ने जरूर तेवर हल्के करते हुए कहा था कि पायलट हमारे पार्टी परिवार के मेंबर हैं। उन्होंने बात उठाई तो हमने पूरे मामले को दिखवाया, लेकिन राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) संवैधानिक संस्था है। इसे भंग करने का प्रावधान नहीं है।

वसुंधरा राजे सरकार के करप्शन की जांच पर भी गहलोत कह चुके हैं कि खान आवंटन सहित सभी मामलों में कोर्ट तक से फैसला हो चुका है। वसुंधरा राजे के खिलाफ एक मामला पेंडिंग है और वह ईडी का मामला है। इसमें राज्य सरकार कुछ नहीं कर सकती।

पेपर लीक के मुद्दे पर सीधे बैक नहीं हो सकते पायलट
जानकारों के मुताबिक, सचिन पायलट सुलह बैठक के बाद भी युवाओं से जुड़े मुद्दों पर पीछे नहीं हटने का बयान दे चुके हैं। चुनावी साल में पेपर लीक बहुत बड़ा मुद‌दा है और विपक्ष भी सरकार को इस पर घेर रहा है। पायलट पेपर लीक के मुद्दे पर सीधे बैक नहीं हो सकते। इसलिए कोई बीच का रास्ता निकालने का प्रयास चल रहा है, जिसमें पायलट और सरकार दोनों की बात रह जाए।

दोनों नेताओं की तल्ख बयानबाजी पर विराम
सरकार को अल्टीमेटम देने के बाद राहुल गांधी की मौजूदगी में हुई सुलह बैठक के बाद चीजें काफी बदली हैं। दोनों नेताओं के तेवर में बदलाव आया है। गहलोत और पायलट ने एक-दूसरे पर तल्ख बयानबाजी भी छोड़ दी है। यह सब हाईकमान के इशारे का परिणाम माना जा रहा है।

इन संकेतों से यह माना जा रहा है कि गहलोत-पायलट के झगड़े को कुछ समय के लिए शांत करने का फॉर्मूला निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है।

पायलट के समर्थक विधायक नहीं चाहते कि वे अलग पार्टी बनाएं या कांग्रेस छोड़ें, क्योंकि इससे उन्हें अपने क्षेत्र में नुकसान होने की आशंका है। (फाइल फोटो)

पायलट टिकट वितरण में भी रोल चाहेंगे
सचिन पायलट को अपने समर्थक नेताओं के टिकटों की भी चिंता है। पायलट टिकट वितरण में अपना रोल चाहेंगे। पायलट चाहते हैं कि टिकट वितरण में उनके समर्थकों को पहले की तरह ही अहमियत दी जाए। टिकट बांटने में रोल होने से ही पायलट अपने समर्थकों की पैरवी कर सकेंगे। सुलह की टेबल पर आने के समय से ही समर्थकों के टिकट पायलट का मुख्य कंसर्न है।राजनीतिक जानकारों के मुताबिक चुनावी कमेटियों में पायलट खेमे को जगह दी जाएगी। इस पर भी लगभग सहमति है। टिकट बांटने में इस बार पुराने पैटर्न में थोड़ा बदलाव किए जाने की संभावना है।

सिंहदेव के बाद पायलट को पद देने की तैयारी; राहुल गांधी से चर्चा के बाद होगा फैसला

छत्तीसगढ़ में टीएस सिंहदेव को डिप्टी सीएम बनाने के बाद अब कांग्रेस हाईकमान सचिन पायलट को नई जिम्मेदारी दे सकती है। इसके लिए 3 विकल्प तैयार किए गए हैं। जिसमें पायलट को राष्ट्रीय महासचिव और कांग्रेस वर्किंग कमेटी का अध्यक्ष बनाना, फिर से प्रदेश अध्यक्ष बनाना और उन्हें कांग्रेस का चेहरा बनाकर चुनाव लड़ने की भी बात कही जा रही है।

 कांग्रेस हाईकमान विधानसभा चुनावों का कैंपेन शुरू होने से पहले गहलोत-पायलट का झगड़ा सुलझाना चाहता है। पार्टी हाईकमान को यह फीडबैक मिलता रहा है कि पायलट खेमे को साथ लिए बिना सरकार के खिलाफ नाराजगी कम नहीं होगी। ऐसे में अब दोनों खेमों को साधकर चुनाव मैदान में जाने का प्लान तैयार किया जा रहा है।

मणिपुर में हिंसा पीड़ितों से मिले राहुल गांधी; रिलीफ कैंप में पीड़ितों से मुलाकात की
राहुल गांधी सरकारी हेलिकॉप्टर से मणिपुर के चूराचांदपुर पहुंचे। उन्होंने रिलीफ कैंप में पीड़ितों से मुलाकात की। इससे पहले वे सड़क के रास्ते यहां जाना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने रोक दिया। प्रशासन ने उन्हें मोइरांग जाने की इजाजत नहीं दी। वे आज सिविल सोसाइटी के नेताओं से मुलाकात करेंगे।

ये खबर अहम क्यों है: मणिपुर में 3 मई से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसा जारी है। हिंसा में अब तक 131 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 419 लोग घायल हुए हैं। 65,000 से अधिक लोग अपना घर छोड़ चुके हैं। आगजनी की 5 हजार से ज्यादा घटनाएं हुई हैं। 6 हजार मामले दर्ज हुए हैं और 144 लोगों की गिरफ्तारी हुई है।

भारी बारिश की वजह से बद्रीनाथ हाईवे ब्लॉक; गुजरात में दीवार गिरी, 4 बच्चों की मौत

भारी बारिश के चलते उत्तराखंड के चमोली में लैंडस्लाइड हुआ, जिससे बद्रीनाथ हाईवे ब्लॉक हो गया। मध्यप्रदेश के सिवनी, नरसिंहपुर और उमरिया समेत कई जिलों में बाढ़ जैसे हालात हो गए। गुजरात के पंचमहल में भारी बारिश से एक फैक्ट्री की दीवार गिर गई। इस हादसे में 4 बच्चों की मौत हो गई। असम के 6 जिलों में 83 हजार लोग अभी भी बाढ़ की चपेट में हैं।

ये खबर अहम क्यों है: 29 जून तक देश में 315 मिमी बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन 253 मिमी ही हुई है। ये सामान्य से 13% कम है। उउत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य से 40% अधिक बारिश हुई है। दक्षिण भारत में 45% कम बारिश हुई है। मध्य भारत में 12% , जबकि पूर्वी और पूर्वोत्तर में 20% कम बारिश हुई है।


. कोल्ड ड्रिंक्स के स्वीटनर से कैंसर का खतरा; WHO बोला- इसे खतरनाक पदार्थ की लिस्ट में डालेंगे
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने कोल्ड ड्रिंक्स और फूड आइट्म को मीठा करने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे आर्टिफिशियल स्वीटनर पर चेतावनी दी है। इसका कहना है कि एस्पार्टेम से कैंसर होने का खतरा है। WHO का कहना है कि जुलाई में एस्पार्टेम को कैंसर का खतरा बढ़ाने वाली लिस्ट में भी शामिल किया जा सकता है।

 एस्पार्टेम का इस्तेमाल कोका कोला, पेप्सी, डायट सोडा से लेकर मार्स एक्स्ट्रा च्यूइंग गम और कुछ अन्य ड्रिंक्स में होता है। एक रिसर्च के मुताबिक, कोल्ड ड्रिंक्स के कैन में 10 से 12 चम्मच चीनी घुली होती है। यानी कोल्ड ड्रिंक्स की एक छोटी बोतल पीने के बाद आप अपने दो से तीन दिनों की चीनी का कोटा पूरा कर लेते हैं।

कोका-कोला पीने से कैंसर का जोखिम है। यह बात वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने कही है।​ उसने चेतावनी जारी करते हुए कहा- कोका-कोला समेत अन्य ड्रिंक्स और फूड आइट्म को मीठा करने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे आर्टिफिशियल स्वीटनर एस्पार्टेम से कैंसर होने का खतरा है।

इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) जुलाई में एस्पार्टेम को ऐसे पदार्थों की लिस्ट में शामिल करेगी जिनसे कैंसर हो सकता है या इसका खतरा बढ़ जाता है। एस्पार्टेम का इस्तेमाल कोका-कोला, डायट सोडा से लेकर मार्स एक्स्ट्रा च्यूइंग गम और कुछ अन्य ड्रिंक्स में होता है।

WHO को अभी ये नहीं पता कि एस्पार्टेम वाले प्रोडक्ट का कितनी मात्रा में सेवन सुरक्षित
WHO ने अभी ये नहीं बताया है कि एस्पार्टेम युक्त उत्पाद का कितनी मात्रा में सेवन सुरक्षित है। नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थ का कोई कितना सेवन कर सकता है, यह सुझाव WHO की एक अलग एक्सपर्ट कमेटी देती है। आमतौर पर यह सुझाव जॉइंट WHO एंड फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन एक्सपर्ट कमेटी ऑन फूड एडिटिव्स (JECFA) देता है।

एस्पार्टेम के इस्तेमाल की JECFA कर रही समीक्षा
एडिटिव्स पर WHO की समिति JECFA इस साल एस्पार्टेम के इस्तेमाल की समीक्षा कर रही है। 1981 में JECFA ने कहा था कि अगर एक सीमा तक (लिमिट में) रोज एस्पार्टेम का सेवन किया जाता है तो यह सुरक्षित है। उदाहरण के लिए 60 किलोग्राम वजन वाला एक शख्स अगर दिन में 12-36 कैन डाइट सोडा पीता है तो वह जोखिम उठा रहा है।

पिछले साल फ्रांस में एस्पार्टेम पर एक रिसर्च हुई। इस दौरान आर्टिफिशियल स्वीटनर का सेवन करने वाले एक लाख लोगों पर स्टडी हुई। इसमें पाया गया कि जो लोग भारी मात्रा में आर्टिफिशियल स्वीटनर (जिसमें एस्पार्टेम भी शामिल है) का सेवन कर रहे हैं उनमें कैंसर का खतरा ज्यादा था।

कोल्ड ड्रिंक की छोटी बोतल में 10 चम्मच चीनी
एक रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक 350 ml की छोटी कोल्ड ड्रिंक्स कैन में भी 10 से 12 चम्मच चीनी घुली होती है। दूसरी ओर, WHO की एक रिपोर्ट कहती है कि दिन में 5-6 चम्मच से ज्यादा चीनी खाना खतरनाक है।

यानी कोल्ड ड्रिंक्स की एक छोटी बोतल पीने के बाद आप अपने दो से तीन दिनों की चीनी का कोटा पूरा कर लेते हैं। न्यू हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ (HSPH) की एक रिपोर्ट (2015) के मुताबिक हर साल लगभग 2 लाख मौतों के लिए ऐसी ड्रिंक्स सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं।

इस ग्राफिक को देखने के बाद आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि भला छोटी-सी बोतल में 10 से 12 चम्मच चीनी क्यों मिलाई जाती है और इसका स्वाद क्यों नहीं पता चलता। जबकि हम नॉर्मल पानी में 10-12 चम्मच चीनी मिला दें तो वह पीने लायक नहीं रह जाता। दरअसल, सभी कार्बोनेटेड ड्रिंक्स यानी कोल्ड ड्रिंक्स में फास्फोरिक एसिड मिला होता है। जिसके चलते चीनी की मिठास का पता नहीं चलता है। यही वजह है कि कोल्ड ड्रिंक्स थोड़ी मीठी करने के लिए उसमें बहुत ज्यादा चीनी मिलानी पड़ती है।

फोनपे को कांग्रेस की धमकी:कहा- क्या हो अगर करोड़ों फोन से ऐप अन-इंस्टाल हो जाए

मध्यप्रदेश में सीएम शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ लगे पोस्टर्स पर फोनपे का लोगो इस्तेमाल किए जाने को लेकर कंपनी ने कांग्रेस को कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है। इसके बाद कांग्रेस ने भी पलटवार किया है। यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने लाखों करोड़ों फोन से फोनपे अनइंस्टॉल करने की धमकी दी है।

मध्यप्रदेश में सीएम शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ लगे पोस्टर्स पर PhonePe का लोगो इस्तेमाल किए जाने को लेकर कंपनी ने कांग्रेस को कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है। इसके बाद कांग्रेस ने भी पलटवार किया है। यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने लाखों करोड़ों फोन से PhonePe अनइंस्टॉल करने की धमकी दी है।

इधर मध्यप्रदेश के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि PhonePe की ओर से शिकायत आती है तो सरकार उस मामले में कार्रवाई करेगी।

कांग्रेस की डर्टी पॉलिटिक्स खुलकर सामने आ गई: नरोत्तम मिश्रा
गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा, ‘यह कांग्रेस की डर्टी पॉलिटिक्स है, जो खुलकर सामने आ गई। फोन-पे के ट्वीट के बाद तो कुछ कहने को बचा ही नहीं। ये लोग (कांग्रेस) किस तरह से दुरुपयोग करते हैं। इस उम्र में कैसी लालसा और लोलुपता है सत्ता की… आप चरित्र हत्या की राजनीति पर आ गए। डर्टी पॉलिटिक्स पर आ गए। ये पब्लिक सब जानती है, ये सब अच्छा नहीं है।

कमलनाथ जी खुद ही कह रहे हैं, तुमने पोस्टर लगाए तो हमने भी लगा दिए। इससे ज्यादा चिंता और निंदा की बात क्या होगी। अब अपने बचाव के लिए हम पर आरोप क्यों लगा रहे हो? हमने आरोप लगाए तो हम प्रमाण भी दे रहे हैं। आप भी दो।

इससे दो दिन पहले छिंदवाड़ा और बुरहानपुर में पोस्टर लगाने वाले कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर FIR दर्ज की गई है। छिंदवाड़ा में एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष अजय ठाकुर, नगर अध्यक्ष समर्थ मेडा और कांग्रेस के पदाधिकारियों के फुटेज हमारे पास हैं। बुरहानपुर में संदीप जाधव पर कार्रवाई की गई है।’

PhonePe कंपनी ने दी है कानूनी कार्रवाई की चेतावनी
PhonePe कंपनी ने अपने ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट से ट्वीट किया है। इसमें कहा, ‘PhonePe लोगो हमारी कंपनी का रजिस्टर्ड ट्रेडमार्क है। PhonePe के इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स (बौद्धिक संपदा अधिकारों) का कोई भी गैरकानूनी इस्तेमाल करेगा तो वह कानूनी कार्रवाई को आमंत्रित करेगा।

हम मध्यप्रदेश कांग्रेस से विनम्र निवेदन करते हैं कि वे हमारे ब्रांड लोगो और कलर को दर्शाने वाले बैनर-पोस्टर हटा दें। PhonePe किसी भी तीसरे पक्ष, चाहे वह राजनीतिक हो या गैर-राजनीतिक, द्वारा उसके ब्रांड लोगो के गैर-कानूनी उपयोग पर आपत्ति जताता है। हम किसी राजनीतिक अभियान या पार्टी से जुड़े नहीं हैं।’

दरअसल हाल ही में भोपाल, छिंदवाड़ा समेत कई शहरों में सीएम शिवराज सिंह के खिलाफ पोस्टर्स लगे। इसमें सीएम शिवराज सिंह चौहान के फोटो के साथ PhonePe कंपनी का लोगो और QR कोड लगाया गया है। पोस्टर पर 50% लाओ PhonePe काम कराओ लिखा है। नीचे लिखा है एक्सेप्टेड मामा।

‘करप्शन नाथ’ के जवाब में ‘शिवराज नहीं, घोटाला राज’
22 जून से कांग्रेस और बीजेपी के बीच पोस्टर वॉर की शुरुआत हुई थी। भोपाल में ‘कमलनाथ वॉन्टेड’ लिखे पोस्टर नजर आए थे। जिनमें कमलनाथ को करप्शन नाथ बताया गया था। इसके बाद शाम को भोपाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ पोस्टर लगे। इन पर लिखा था- शिवराज नहीं, घोटाला राज।

कांग्रेस ने कहा था कि चुनाव नजदीक आते ही भाजपा अपना वास्तविक चरित्र दिखाने लगी है। हमें छेड़ोगे, तो हम छोड़ेंगे नहीं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक्शन लें, अगर एक्शन नहीं लेते हैं, तो यह साफ हो जाएगा कि यह सब उनके इशारे पर हुआ है।

पोस्टर्स पर BJP प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा था, ‘कांग्रेस हमेशा आरोप लगाती है। हर चीज BJP पर क्यों डाली जाती है। BJP का इससे कोई लेना-देना नहीं। किसने ये किया होगा, ये तो कमलनाथ जी बता सकते हैं, लेकिन ये पक्का है कि किसी पर इस प्रकार के टैग लगने का अर्थ है कि आप करप्ट नाथ थे, आपने मध्यप्रदेश को भ्रष्टाचार में डुबोया था।

पाक ने कहा- हमसे पूछकर भारत को डिफेंस टेक्नोलॉजी दे US, हमारी सुरक्षा खतरे में
डिफेंस सेक्टर में भारत और अमेरिका के बीच हुई हालिया डील पर पाकिस्तान ने ऐतराज जताया है। उसका कहना है कि भारत को डिफेंस टेक्नोलॉजी देने से पहले अमेरिका को उससे बातचीत करनी चाहिए थी। शाहबाज सरकार ने ये भी कहा कि अमेरिका यही रवैया जारी रखता है तो पाकिस्तान को जवाबी कार्रवाई के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

ये खबर अहम क्यों है: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले हफ्ते चार दिन के अमेरिका दौरे पर गए थे। इस दौरान भारत और अमेरिका के बीच कई बेहद अहम डिफेंस पैक्ट हुए थे। इसमें फाइटर जेट इंजन, ड्रोन्स और टेक्नोलॉजी शेयरिंग शामिल है। अमेरिका के साथ प्रिडेटर ड्रोन की डील डील हुई थी। ये ड्रोन एक बार उड़ान भरने के बाद 1900 किमी इलाके की निगरानी कर सकता है।

रहाणे को उपकप्तान बनाने पर भड़के गांगुली: कहा- वापसी के ठीक बाद उपकप्तानी देना समझ से परे

सौरव गांगुली 2019 में BCCI के अध्यक्ष बने थे। उनका तीन साल का कार्यकाल अक्टूबर 2022 में समाप्त हो गया था।

सौरव गांगुली 2019 में BCCI के अध्यक्ष बने थे। उनका तीन साल का कार्यकाल अक्टूबर 2022 में समाप्त हो गया था।

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने अजिंक्य रहाणे को टीम इंडिया का टेस्ट उपकप्तान बनाए जाने पर BCCI पर सवाल खड़े किए हैं। गांगुली ने कहा, ‘आप 18 महीने तक टीम इंडिया से बाहर रहते हैं, उसके बाद वापसी पर एक टेस्ट मैच खेलने के बाद ही भारतीय टेस्ट टीम के उपकप्तान बनाए जाते हैं। मुझे इस फैसले के पीछे की वजह बिल्कुल समझ नहीं आई।’

 वेस्टइंडीज के खिलाफ जुलाई में होने वाली टेस्ट और वनडे सीरीज में रोहित शर्मा कप्तान रहेंगे। टेस्ट सीरीज के लिए अजिंक्य रहाणे। वेस्टइंडीज दौरे पर टीम इंडिया पहले दो टेस्ट मैच खेलेगी। पहला मैच 12 जुलाई और दूसरा 20 जुलाई से होगा। वनडे सीरीज 27 जुलाई से शुरू होगी। वहीं पांच मैचों की टी-20 सीरीज 3 अगस्त से 13 अगस्त तक चलेगी।

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के पूर्व प्रेसिडेंट गांगुली ने कहा- टीम इंडिया के पास रवींद्र जडेजा का विकल्प था, जिन्हें लंबे समय से टेस्ट क्रिकेट खेलने का अनुभव है, लेकिन वापसी के तुरंत बाद सीधे उपकप्तान बनाना, मुझे समझ नहीं आता। उन्होंने आगे कहा, ‘चयन में निरंतरता होनी चाहिए। चयन गर्म या ठंडा नहीं होना चाहिए।’

रहाणे WTC फाइनल में भारत के टॉप स्कोरर रहे
35 साल के रहाणे डेढ़ साल से टीम से बाहर थे, लेकिन इस महीने की शुरुआत में उन्होंने वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) फाइनल में टीम इंडिया में वापसी की थी। ओवल में खेले गए WTC फाइनल में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहली पारी में 89 और दूसरी में 46 रन बनाए थे और भारत के टॉप स्कोरर रहे थे।

सिलेक्टर्स को पुजारा को लेकर अपनी बात साफ तौर पर रखनी चाहिए ​​​​​​
भारतीय सिलेक्टर्स ने चेतेश्वर पुजारा जैसे दिग्गज बल्लेबाज को टेस्ट टीम से बाहर करके बदलाव का बड़ा कदम उठाया है और गांगुली चाहते हैं कि भारत के लिए 100 से अधिक टेस्ट खेल चुके बल्लेबाज पुजारा के साथ सिलेक्टर्स को अच्छी तरह से संवाद करना चाहिए।

गांगुली ने कहा, ‘सिलेक्टर्स को पुजारा को लेकर अपनी बात साफ तौर पर रखनी चाहिए कि क्या अब उनकी टेस्ट क्रिकेट में जरूरत है या वे युवाओं के साथ खेलना जारी रखना चाहते हैं। पुजारा जैसे किसी दिग्गज बल्लेबाज को बार-बार अंदर-बाहर नहीं किया जा सकत। रहाणे के साथ भी ऐसा ही है।’

सरफराज को मौका मिलना चाहिए
वेस्टइंडीज दौरे के लिए सरफराज खान को मौका नहीं मिलने पर गांगुली ने कहा, ‘सरफराज खान जैसे शानदार बल्लेबाज को खुद को साबित करने का मौका मिलना चाहिए, जो IPL में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सके। मुझे लगता है कि यशस्वी जयसवाल ने रणजी ट्रॉफी, ईरानी ट्रॉफी, दलीप ट्रॉफी में बहुत सारे रन बनाए हैं। मुझे लगता है कि इसीलिए वह टीम में हैं। मुझे सरफराज के लिए अफसोस है।’

गांगुली ने वर्ल्ड कप वेन्यू के लिए ICC और BCCI की तारीफ की
सौरव गांगुली ने वर्ल्ड कप वेन्यू के चयन के लिए BCCI और इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) की तारीफ की। उन्होंने कहा, ‘यह शानदार शेड्यूल है। BCCI और ICC ने सही वेन्यू पर सही मैच देने के लिए बहुत अच्छा काम किया है और मुझे पता है कि यह एक ऐतिहासिक और यादगार टूर्नामेंट होने वाला है।’

मणिपुर में किसी नेता के दौरा करने से कोई नतीजा नहीं निकलेगा: हिमंत बिस्वा सरमा

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने आज दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। मुलाकात के बाद बाहर मीडिया से बात करते हुए राहुल गांधी के मणिपुर दौरे पर हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि मणिपुर की मौजूदा स्थिति को नियंत्रित करने का काम केंद्र व राज्य सरकार को करना है। ऐसे में किसी भी नेता के दौरा करने से कोई नतीजा नहीं निकलेगा। इस स्थिति में हमें राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।

राहुल गांधी को मणिपुर जाने से किसी ने नहीं रोका: BJP

बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि राहुल गांधी जिस जिद के साथ मणिपुर गए हैं वो जिद उचित नहीं है। संवेदनशीलता जिद से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। जब मणिपुर में हालात ऐसे हैं तो थोड़ी संवेदनशीलता होनी चाहिए, जिद नहीं। हम एक लोकतांत्रिक देश हैं, राहुल गांधी को मणिपुर जाने से किसी ने नहीं रोका लेकिन राज्य में प्रशासन ने कहा कि राहुल गांधी के मणिपुर दौरे की खबर के बीच बहुत विरोध प्रदर्शन हुआ है।

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