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रफी साहब ने करारा जवाब दिया था अपने गाने से बीआर चोपड़ा को 

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‘एक नया रफी पैदा कर लूंगा’, BR चोपड़ा के सिर चढ़कर बोल रही थी शोहरत, ‘वक्त’ ने 1 मिनट में निकाली हेकड़ी

बॉलीवुड संगीत की दुनिया में एक सिंगर ऐसा है, जिसका नाम हर कोई लेता है. इनके बिना संगीत की बातचीत अधूरी सी लगती है. हम बात कर रहे हैं मोहम्मद रफी की. इनके गाए गीतों में आज भी कशिश बरकरार है और आज भी सुनने वाले इनके दीवाने हो जाते हैं. रफी जितने अच्छे सिंगर थे, उतने ही अच्छे इंसान थे और कभी किसी के साथ गलत व्यवहार नहीं करते थे. सादगी से रहने वाले रफी साहब से एक बार बीआर चोपड़ा नाराज हो गए थे और उन्होंने उनका बायकॉट कर दिया था.

मोहम्मद रफी साहब के लिए कहा जाता है कि वे अपने काम को लेकर बहुत संजीदा थे. साथ ही वे बेहद सरल स्वभाव के थे, यही वजह है कि कभी भी उनकी किसी से तकरार नहीं होती थी. लेकिन एक बार बीआर चोपड़ा ईगो सामने आ गया था और यही उनके लिए परेशानी बन गया था.

भारतीय सिनेमा में बीआर चोपड़ा एक बड़ा नाम रहे हैं. उनकी बनाई कई फिल्में आज भी याद की जाती हैं. 15 अगस्त 1954 को बीआर चोपड़ा फिल्म ‘नया दौर’ लेकर आए थे. दिलीप कुमार, वैजयंती माला, अजीत, जीवन, जॉनी वॉकर जैसे कलाकार इस फिल्म में शामिल थे.

‘नया दौर’ फिल्म को खूब पसंद किया गया था और यह सुपरहिट रही थी. खास बात यह थी कि इस फिल्म के सभी गाने बेहद हिट रहे थे. फिल्म का संगीत ओपी नैयर ने दिया था और इसके अधिकतर गाने मोहम्मद रफी ने गाए थे.

बीआर चोपड़ा की फिल्मों का सफल होना भारतीय सिनेमा को आगे बढ़ा रहा था, लेकिन साथ ही कहीं ना कहीं उनमें घमंड आ रहा था. कहा जाता है कि फिल्म ‘नया दौर’ की जो टीम थी उसके साथ वे एक कॉन्ट्रेक्ट साइन करना चाहते थे. जिसके तहत वे सभी किसी और प्रोडक्शन हाउस के साथ काम नहीं कर सकते थे.

कॉन्ट्रेक्ट का प्रस्ताव लेकर बीआर चोपड़ा, रफी साहब के पास गए. लेकिन रफी साहब को कॉन्ट्रेक्ट वाली बात समझ नहीं आई. ऐसे में उन्होंने बड़े सम्मान के साथ चोपड़ा साहब को कहा कि वे जनता की आवाज हैं और वे हर निर्माता निर्देशक के लिए काम करेंगे.

रफी साहब ने बड़ी नरमता से अपनी बात रखी थी लेकिन बीआर चोपड़ा साहब को यह बात अखर गई. उन्होंने अपनी फिल्मों में रफी को ना लेने का निर्णय लिया. साथ ही उन्होंने अन्य निर्माताओं को भी ऐसा करने के लिए कहा. उनका मानना था कि वे अपनी फिल्मों के जरिए एक नया रफी खड़ा कर देंगे.

चोपड़ा साहब के कहे अनुसार, कई निर्माता निर्देशकों ने रफी साहब को काम नहीं दिया लेकिन इस दौरान रफी ने सयंम बनाए रखा. रफी साहब को भले ही काम मिलना कम हो गया लेकिन उनके जैसी आवाज किसी और के पास नहीं थी. धीरे-धीरे बीआर चोपड़ा की बातों को दरकिनार करते हुए निर्माताओं ने फिर से रफी साहब को लेना शुरू कर दिया.

बीआर चोपड़ा ने कई गायकों को तराशने की कोशिश की लेकिन कहीं ना कहीं वे भी समझ गए थे कि वे गलत जिद कर बैठे हैं. बीआर चोपड़ा के भाई यश चोपड़ा ने जब फिल्म ‘वक्त’ बनाने का निर्णय किया तो उन्होंने अपने भाई से पूछा कि क्या वे सिंगर के तौर पर रफी साहब को ले सकते हैं? बीआर चोपड़ा ने बेमन से हामी भर दी.

30 जुलाई 1965 को फिल्म ‘वक्त’ रिलीज हुई और इसमें रफी साहब का एक गाना था, जिसकी हर लाइन बीआर चोपड़ा के लिए करारा जवाब थी. वह गाना था… ‘वक्त से दिन और रात, वक्त से कल और आज, वक्त की हर शै गुलाम, वक्त का हर शै पे राज…’.

रफी साहब ने बिना कुछ कहे सिर्फ अपने गाने से बीआर चोपड़ा को करारा जवाब दिया था. साथ ही यह भी साबित हो गया था कि समय के आगे सब छोटे हैं. ना अच्छा समय रूकता है ना बुरा.

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