-सनत जैन
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक लेख लिखा है, जो कई समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ है। महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक लाभ सभी वर्गों तक पहुंचे। जिस तरह से कॉरपोरेट जगत का एकाधिकार सभी क्षेत्रों में बढ़ता जा रहा है। उसके कारण स्थानीय रोजगार, छोटे-छोटे कारोबारियों तथा लघु उत्पादन के क्षेत्र में कार्यरत छोटी एवं मध्यम इकाइयों को वर्तमान समय में जिस चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। लेख में उन्होंने अपनी सोच प्रदर्शित की है। व्यापारिक क्षेत्र में बढ़ती असमानता की समस्या, छोटे व्यापारियों को मिल रही गंभीर चुनौतियों ने मध्यम वर्ग के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है।
आर्थिक उदारीकरण के बाद से, बड़े कॉरपोरेट्स ने अपनी जड़ें भारत में गहरी कर ली हैं। जिसके कारण छोटे और मंझले व्यापारियों के लिए बाजार में टिके रहना मुश्किल होता जा रहा है। पिछले एक दशक में लाखों छोटे कारोबारियों ने अपना काम बंद कर दिया है। स्थानीय रोजगार बड़ी तेजी के साथ कम होता जा रहा है। पिछले दो दशक में गांव-गांव में ब्रांडेड पैक्ड फूड बिकने लगा है। अब पानी भी गांव-गांव में बिक रहा है। ऑनलाइन ब्रांडेड सामान अब गांव-गांव तक पहुंच रहा है। यह स्थिति छोटे व्यापारियों एवं स्थानीय उत्पादनकर्ताओं के हितों को बुरी तरह से प्रभावित कर रही है। उनके समक्ष प्रतिस्पर्धा में बने रहना मुश्किल हो गया है। दुग्ध उत्पादक, होटल व्यवसाय, छोटे-छोटे कारोबारी जो स्थानीय स्तर पर अपने उत्पाद तैयार करते थे, वह सब धीरे-धीरे बेरोजगार होते जा रहे हैं। बाजारबाद के चलते बड़े-बड़े कॉरपोरेट ने स्थानीय बाजारों में अपना कब्जा जमा लिया है। शहरों की बीमारियां अब गांव-गांव तक पहुंचने लगी हैं।
कारोबार पर कॉर्पोरेट का एकाधिकार होता चला जा रहा है। इस बदलती हुई परिस्थितियों में लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने लेख के माध्यम से अर्थव्यवस्था और भारतीय जीवन शैली को अर्थव्यवस्था के आधार के साथ-साथ रोजगार और महंगाई इत्यादि से जोड़कर उन्होंने समग्र चिंतन रखा है। राहुल गांधी छोटे एवं मध्यम स्तर के कारोबारियों एवं उद्योगों के लिए एक समान अवसर की मांग कर रहे हैं। ताकि स्थानीय स्तर पर कमजोर और मध्यम वर्ग अपनी योग्यता और परिश्रम के बल पर आगे बढ़ सकें। वर्तमान में बड़े व्यवसायिक घराने और कॉरपोरेट्स को विशेष सुविधाएं, कर रियायतें और अन्य लाभ सरकार द्वारा दिए जा रहे हैं। इसके विपरीत, छोटे एवं मध्यम वर्ग के कारोबारियों को प्रशासनिक कठिनाइयों और कानून की जटिलताओं का सामना करना पड़ रहा है। उनके पास सीमित संसाधन होते हैं। यह असमानता उनके विकास और आर्थिक आधार के अवसरों को सीमित कर रही है। इसके अलावा, डिजिटल व्यापार और ई-कॉमर्स के बढ़ते प्रभाव ने भी छोटे व्यापारियों की कठिनाइयों को बढ़ा दिया है। बड़े ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स ग्राहकों को अत्याधिक रियायतें और सुविधाएं प्रदान कर रहे हैं। रियायत देकर वह पहिले सस्ते में सामान बेचते हैं।
करोड़ों रुपए का घाटा उठाते हैं, जब मार्केट में एकाधिकार हो जाता है। उसके बाद कीमतें बढ़ाकर आम आदमी का शोषण करते हैं। बड़े कारपोरेट की इस चुनौती का सामना परंपरागत कारोबारियों को नुकसान के रूप में हो रहा है। ऑनलाइन खरीदारी का चलन बढ़ने से छोटे व्यापारी पारंपरिक व्यापार एवं ग्राहकों से दूर होते चले जा रहे हैं। उन्हें अपना व्यापार बंद करना पड़ रहा है। राहुल गांधी ने अपने लेख में सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित कराया है। उन्होंने लिखा है, सरकार को चाहिए वह इस समस्या का समाधान खोजे। छोटे व्यापारियों को भी समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए नीतिगत बदलाव करे। सरकार बड़े कॉरपोरेट्स के लिए अनुकूल नीतियाँ उनकी मांग और उनके मुनाफे के आधार पर बनाती है। सरकार को छोटे एवं मध्यम कारोबारियों के विकास और संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। जो स्थानीय स्तर पर रोजगार भी उपलब्ध करा पायें एवं उपभोक्ताओं का हितों की लंबे समय तक पूर्ति कर पाएं। एकाधिकार के स्थान पर प्रतिस्पर्धा का माहौल बने। इसके लिए कर प्रणाली में सुधार, छोटे व्यवसायों के लिए अनुदान, ऋण की सुलभता, सरल नियम, छोटे कारोबारी और उत्पादकों के लिए बाजार को प्रतिस्पर्धी बनाए रखने के लिए प्रशिक्षण एवं संसाधन उपलब्ध कराना आवश्यक है। राहुल गांधी ने डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर छोटे व्यापारियों के उत्पादों को भी समान अवसर मिले, इसके लिए एक नवीन नीति तैयार करने की मांग सरकार से की है। भारत में खान-पान की विविधता, पारंपरिक वेशभूषा, पारंपरिक संस्कृति भारत के प्रत्येक राज्य में अलग-अलग है।
सरकार को इसको बनाए रखने के लिए इसको बढ़ावा देने की जरूरत है। समय की मांग है, व्यापारिक क्षेत्र में समावेशी विकास को बढ़ावा दिया जाए। हर व्यापारी, चाहे वह बड़ा हो या छोटा, अपने भविष्य के प्रति आश्वस्त हो सके। स्थानीय, प्रांतीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर व्यापार में समान अवसर उपलब्ध कराने से स्थानीय जरूरत के अनुसार रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। आर्थिक तंत्र मजबूत होगा। बेरोजगारी, महंगाई एवं आर्थिक समृद्धि की दिशा में राहुल गांधी के जो सुझाव हैं उसमें वास्तविक समस्याओं का समाधान है। यदि सरकारी नीतियों में बदलाव किया जाता है, तो निश्चित रूप से इसका लाभ समाज के सभी वर्गों को होगा।
राहुल गांधी का जो आर्थिक चिंतन है, उसकी सराहना की जाना चाहिए। बिना किसी राजनीतिक भेदभाव के वर्तमान में जो वास्तविक स्थिति है, उसके निराकरण के लिए पक्ष और विपक्ष को बेहतर सोच के साथ मिलकर काम करना होगा। तभी इसके बेहतर और दीर्घकालीन परिणाम मिलेंगे। भारत के आर्थिक और सामाजिक आधार को मजबूत बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण बदलाव होगा। इससे सामाजिक एवं आर्थिक संतुलन भी बना रहेगा। समय के साथ भारतीय समुदाय भी विकास के इस क्रम में सारी दुनिया के साथ कदमताल कर पाएगा। राजनीति का वास्तविक स्वरूप भी यही है। जिसमें समाज के सभी वर्गों के लिए लोक कल्याण की भावना हो। सभी राजनीतिक दल उसके लिए एकजुट होकर प्रयास करें।
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