उम्र 60 साल जेल गए80 बार जेल में बिताए कुल 17 साल जिसमें तीन साल आजादी से पहले और 14 साल आजादी के बाद, इतने साल तो गांधीजी ने भी जेल में नहीं बिताए होंगे। वही शख्स जिससे लौह महिला इंदिरा गांधी बुरी तरह डर गई थीं। इतनी आतंकित हो गईं कि इमरजेंसी लगा दी। वो राजनारायण थे जिनकी इस साल जन्मशती है० इसी महीने में जन्मदिन लेकिन किसी को वो याद नहीं वो ऐसी शख्सियत भी हैं। जिसके कारण केंद्र में गैरकांग्रेसी सरकारें बननीं शुरू हुई।
उत्तर प्रदेश राज्य बनाम राज नारायण इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा निर्णीत एक केस था जिसमें भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को चुनावी कदाचार का दोषी पाया गया था। यह केस सन १९७५ में राजनारायण द्वारा दायर किया गया था जो चुनाव में इंदिरा गांधी से हार गये थे। न्यायमूर्ति जगमोहनलाल सिन्हा ने अपने ऐतिहासिक निर्णय में श्रीमती गांधी की जीत को अवैध करार दिया और उन्हें ६ वर्ष के लिये चुनाव लड़ने से रोक लगा दी। इस निर्नय से भारत में एक राजनीतिक संकट खड़ा हो गया और इन्दिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा कर दी जो १९७५ से १९७७ तक रहा।
25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक का 21 महीने की अवधि में भारत में आपातकाल घोषित था। तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के कहने पर भारतीय संविधान की अनुच्छेद 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा कर दी। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद और अलोकतांत्रिक काल था। आपातकाल में चुनाव स्थगित हो गए तथा नागरिक अधिकारों को समाप्त करके मनमानी की गई। इंदिरा गांधी के राजनीतिक विरोधियों को कैद कर लिया गया और प्रेस पर प्रतिबंधित लगा दिया गया। प्रधानमंत्री के बेटे संजय गांधी के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर पुरुष नसबंदी अभियान चलाया गया। जयप्रकाश नारायण ने इसे भारतीय इतिहास की सर्वाधिक काली अवधिर कहा था।
आजाद भारत में समता, बंधुत्वर और सदभाव की खातिर कम लोगों ने जीवन में इतनी प्रताड़ना सही होगी जो राजनीति के फक्कड़ नेता थे० वह राममनोहर लोहिया के साथ सोशलिस्ट पार्टी के संस्थापकों में थे हर किसी के लिए उपलब्ध और हर किसी के मददगार हालांकि बाद के बरसों में उन्हीं के सियासी साथियों ने उनसे दूरी बना ली और उन्हें भारतीय राजनीति का विदूषक भी कहा जाने लगा विपक्ष कमज़ोर हाल में था 60 के दशक के खत्म होते होने इंदिरा मजबूत प्रधानमंत्री बन चुकी थीं० कांग्रेस के ताकतवर नेता उनके सामने पानी मांग रहे थे विपक्ष बहुत कमजोर स्थिति में वा० ऐसे में जब इंदिरा गांधी ने वर्ष 1971 में दोबारा चुनाव जीतकर आई तो किसी बड़े नेता में उनसे टकराने की हिम्मत नहीं थी
ऐसे में राजनारायण ना केवल उनसे भिड़े बल्कि विपक्ष को एक करने की जमीन भी बनाई अगर वह इंदिरा को मुकदमे में टक्कर नहीं देते तो ना जयप्रकाश नारायण संपूर्ण क्रांति का आंदोलन कर पातेर ना आपातकाल लगता और ना ही 1977 के चुनावों में इंदिरा गांधी को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ता
काशी विश्वनाथ मंदिर का दरवाजा दलितों के लिए खुलवाया लोकनीति अभियान से जुड़े और अधिवक्ता संजीव उपाध्याय याद करते हैं कि किस तरह नेताजी यानि राजनारायण दलितों के प्रेमी थे। उनकी अगुवाई में बनारस के काशी विश्वनाथ मंदिर में दलितों और अनुसुचित जाति के प्रवेश के लिए आंदोलन हुआ उनके दरवाजे हमेशा जरूरतमंदों के लिए खुले होते थे।
वह दिल्ली में जब रहते थे तो कोई खाली हाथ नहीं लौटता था किसी के पास किराया नहीं होता था तो किसी के पास भोजन हर किसी की वह मदद करते थे। क्रांति प्रकाश कहते हैंए उनका जीबन हमेशा सादगी से भरा रहा साधारण कपड़ा पहनते थे जीवन में कोई लग्जरी नहीं थी० होए बस वह खाने के शौकीन थे उनके पास जो भी पैसा आता थाए वो जरूरतमंदों में बंट जाता था कभी अपने लिए एक पैसा नहीं जुटाया पासवान खुद टिकट देने गए राजनारायण को लेकर और भी कुछ कहा जाता है० अगर 1977 के चुनावों में वह रामविलास पासवान समेत तीन नेताओं का टिकट कटने पर उन्हें खुद विमान से टिकट देने गए तो जनता पार्टी की टूट के लिए भी उन्हें कसूरवार ठहराया जाता है। जनता पार्टी टूटने पर वह पहले चरण सिंह के मददगार बने / और बाद में उन्हीं के खिलाफ ताल
ठोंककर चुनावों में कूद पड़े बाद में उन्हीं के सियासी साथी उनसे परहेज करने लगे / सबसे पहले राजनारायण की गिरफ्तारी की आपातकाल लगने के कुछ ही घंटों के अंदर सबसे पहले राजनारायण को गिरफ्तार किया गया उसी दिन जयप्रकाश नारायणए मोरारजी देसाई सत्येंद्र नारायण सिन्हा और अटलबिहारी वाजपेयी की गिरफ्तारी हुई देशभर में हजारों लोग जेलों में डाले गए० यकीनन सजनारायण वो शख्स थेए जिन्होंने इंदिरा को बुरी तरह आतंकित कर दिया था कि उन्होंने ये कदम उठाना पड़ा लेकिन इस को साथ आने का मौका दिया
वर्ष 1977 में पहली बार केंद्र में कांग्रेस के अलावा दूसरी पार्टी सत्तारुढ़ हुई / बेशक जनता पार्टी की सरकार अपने अंतरविरोधों की वजह से जल्दी ढह गई लेकिन देश में गैरकांग्रेसी आंदोलन को नई ऑक्सीजन मिली। 1977 में जब इंदिरा गांधी ने आपातकाल हटाकर चुनाव कराया तो रायबरेली पर उनके खिलाफ फिर राजनारायण सामने थे। इस बार उन्होंने इंदिरा को बुरी शिकस्त दी/अपने पूरे राजनीतिक करियर में इंदिरा ने सही मायनों में एक ही शख्स से शिकस्त पाई। वो राजनारायण थे।
रामबाबू अग्रवाल
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