हैदराबाद:54 वर्षीय रेवंत ने इसके तुरंत बाद ही मंच से ही दो फाइलों पर हस्ताक्षर किए – एक चुनाव के दौरान तेलंगाना जनता को दी गई कांग्रेस की छह कल्याणकारी गारंटी को मंजूरी को लेकर थी और दूसरी विकलांग महिला को अपनी सरकार की पहली नौकरी देने की पेशकश कर रही थी.तेलंगाना के सीएम के रूप में अपने पहले भाषण में रेवंत ने कहा, “हमने प्रगति भवन को प्रजा भवन बनाने के लिए उसके चारों ओर लगी लोहे की दीवार/बाड़ को गिरा दिया. इसके दरवाजे कल से जनता के लिए खुले रहेंगे. ”
शुक्रवार को रेवंत ने कैबिनेट की बैठक बुलाई वहीं हैदराबाद के ज्योतिराव फुले प्रजा भवन में आयोजित ‘प्रजा दरबार’ में लोगों से बातचीत की और उनकी शिकायतें सुनीं और उनका समाधान किया.
रेवंत के साथ, 11 वरिष्ठ कांग्रेस विधायकों को भी तेलंगाना के राज्यपाल तमिलिसाई सौंदर्यराजन ने मंत्री पद की शपथ दिलाई. इनमें से एक भट्टी विक्रमार्क मल्लू डिप्टी सीएम हैं. भट्टी और एक अन्य वरिष्ठ उत्तम कुमार रेड्डी सीएम पद के दावेदार थे.शपथ लेने वाले मंत्रियों में से चार पहले के चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) से जुड़े थे
तेलंगाना में नए मंत्रियों पर एक नजर
भट्टी विक्रमार्क मल्लू
डिप्टी सीएम तेलंगाना कांग्रेस में प्रमुख दलित चेहरा हैं. एक वाई.एस. राजशेखर रेड्डी के भक्त, भट्टी के पूजा कक्ष में देवी-देवताओं के साथ एक बड़े आकार का वाईएसआर फोटो-फ्रेम रखा हुआ है. वह हैदराबाद विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएट हैं.
वाईएसआर के नक्शेकदम पर चलते हुए, भट्टी ने इस साल की शुरुआत में पूरे तेलंगाना में 1,400 किमी से अधिक की पदयात्रा की, जनता के साथ बातचीत की और चुनाव के लिए पार्टी को तैयार किया.
आंध्र प्रदेश की सीमा से लगे खम्मम क्षेत्र में मधिरा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले चार बार के विधायक निवर्तमान विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता थे. भट्टी ने पहले एमएलसी, विधानसभा में सरकारी सचेतक और डिप्टी स्पीकर के रूप में कार्य किया था.
उत्तम कुमार रेड्डी
भारतीय वायु सेना में मिग 21 और 23 के पूर्व लड़ाकू पायलट, उत्तम ने 1994 में राजनीति में प्रवेश किया. वह छह बार विधानसभा और 2019 में नलगोंडा लोकसभा के लिए चुने गए.
2021 में रेवंत के पदभार संभालने से पहले उत्तम टीपीसीसी अध्यक्ष थे. उन्होंने किरण कुमार रेड्डी के तहत संयुक्त आंध्र प्रदेश में कांग्रेस सरकार में आवास मंत्री के रूप में कार्य किया था. वह हुजूरनगर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, और उनकी पत्नी पद्मावती रेड्डी पड़ोसी कोडाड क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं.
दामोदर राजनरसिम्हा
दलित नेता राजनरसिम्हा ने 1989 में राजनीति में प्रवेश किया और मेडक क्षेत्र के अंधोल से चार बार विधायक रहे. उन्होंने पहले प्राथमिक शिक्षा मंत्री, डिप्टी सीएम और एससी वित्त निगम के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया था.
कोमाटिरेड्डी वेंकटरेड्डी
एक इंजीनियर, वेंकटरेड्डी नलगोंडा से पांच बार विधायक हैं. वह 2019 में भोंगिर लोकसभा क्षेत्र से चुने गए. वेंकटरेड्डी भी सीएम पद के दावेदारों में से एक थे. चुनाव से ठीक पहले भाजपा छोड़कर कांग्रेस में दोबारा शामिल हुए राजगोपाल रेड्डी उनके छोटे भाई हैं.
वेंकटरेड्डी ने पहले आईटी, निवेश, युवा-खेल मामलों के मंत्री के रूप में कार्य किया था.
डुडिल्ला श्रीधर बाबू
मंथनी से पांच बार विधायक रहे श्रीधर बाबू कांग्रेस के दिग्गज नेता श्रीपद राव के बेटे हैं. उनके पास किरण कुमार रेड्डी कैबिनेट में नागरिक आपूर्ति और विधायी मामलों के मंत्री के रूप में कार्य करने का अनुभव है.
पोंगुलेटी श्रीनिवास रेड्डी
खम्मम के एक व्यवसायी, पोंगुलेटी पहले वाईएसआरसीपी तेलंगाना प्रमुख थे और 2014 में तेलंगाना से चुने गए एकमात्र वाईएसआरसीपी सांसद थे. वह 2016 में टीआरएस में शामिल हुए, लेकिन केसीआर के साथ मतभेदों के कारण पार्टी छोड़ दी. भाजपा द्वारा उन्हें अपने साथ लेने की असफल कोशिशों के बाद पोंगुलेटी जुलाई में कांग्रेस में शामिल हो गए. बीआरएस सरकार को सत्ता बरकरार रखने से रोकने की कसम खाई थी.
तुम्मला नागेश्वर राव
टीडीपी के दिग्गज नेता, जो 2014 में टीआरएस में शामिल हुए थे, तुम्मला खम्मम क्षेत्र से छह बार विधायक हैं. उन्होंने एनटीआर, चंद्रबाबू नायडू और केसीआर सरकारों में विभिन्न विभागों का कार्यभार संभाला.
सितंबर में केसीआर द्वारा पार्टी का टिकट नहीं दिए जाने के बाद तुम्मला कांग्रेस में शामिल हो गए थे.
दानासारी सीताक्का
नक्सली से नेता बनीं सीताक्का 2004 में टीडीपी में शामिल हुईं और 2017 में रेवंत रेड्डी के साथ वहां से कांग्रेस में चले गए. वह अब के चुनावों सहित तीन बार मुलुगु से जीतीं. वह महिला कांग्रेस की सचिव रह चुकी हैं और राहुल गांधी के साथ उनके अच्छे संबंध हैं.
जुपल्ली कृष्णा राव
वरिष्ठ कांग्रेसी हैं, जो 2011 में टीआरएस में शामिल हुए थे, जुपल्ली केसीआर के साथ मतभेद के बाद अगस्त में पार्टी में फिर से शामिल हो गए. दक्षिण तेलंगाना के कोल्लापुर से पांच बार के विधायक ने पहले राज्य सरकारों में विभिन्न विभागों का कार्यभार संभाला था.
कोंडा सुरेखा
टीआरएस से लौटीं एक अन्य कांग्रेस नेता, सुरेखा चार बार की विधायक हैं, जिन्होंने संयुक्त आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कैबिनेट में महिला और बाल कल्याण मंत्री के रूप में कार्य किया. जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस का हिस्सा बनने के लिए उन्होंने 2011 में कांग्रेस छोड़ दी. सुरेखा 2014 में टीआरएस में शामिल हुईं और 2018 में फिर से कांग्रेस में शामिल हो गईं. वारंगल पूर्व निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं.
पोन्नम प्रभाकर
पूर्व लोकसभा सांसद, पोन्नम इस चुनाव में हुस्नाबाद निर्वाचन क्षेत्र से चुनी गई हैं. उन्होंने पहले आंध्र एनएसयूआई प्रमुख, टीपीसीसी के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में कार्य किया था.