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कार्टूनों के जरिए जीवन की मायूसी रखते थे सामने आर के लक्ष्मण

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आज ही के दिन यानी की 24 अक्तूबर को आर के लक्ष्मण का जन्म हुआ था। इनका पूरा नाम रासिपुरम कृष्णस्वामी लक्ष्मण था। इन्होंने ‘यू सेड इट’ कॉमिक स्ट्रिप बनाई थी। यह भारत के सबसे महान व्यंग्यकारों में से एक थे।देश की स्वतंत्रता के बाद आर के लक्ष्मण भारत के सबसे महान व्यंग्यकारों में से एक थे। आज ही के दिन यानी की 24 अक्तूबर को आर के लक्ष्मण का जन्म हुआ था। इनका पूरा नाम रासिपुरम कृष्णस्वामी लक्ष्मण था। इन्होंने ‘यू सेड इट’ कॉमिक स्ट्रिप बनाई थी। जिसमें यह दिखाया गया था कि आम आदमी जो औसत भारतीय का प्रतिनिधित्व करने वाला एक मूक दर्शक है। कई भारतीयों के बीच यह कृति काफी ज्यादा प्रिय है और इसने कई पीढ़ियों का मनोरंजन किया है। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर आर के लक्ष्मण के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में…

मैसूर में 24 अक्तूबर 1921 को आर के लक्ष्मण का जन्म हुआ था। इनको बचपन से ही डूडल बनाने का शौक था। ऐसे में वह जैसे-जैसे बड़े होते गए। उन्होंने आसपास के जीवन के व्यंग्य को चित्र में बनाना शुरूकर दिया। जल्द ही चित्रकारी इनके जीवन का मुख्य लक्ष्य बन गया था। हालांकि वह स्कूल की पढ़ाई तो कर नहीं पाए, लेकिन जेजे स्कूल ऑफ आर्ट में पढ़ाई के लिए उन्होंने आवेदन किया था, जिसको अस्वीकार कर दिया गया था। वहीं स्नातक पूरा होने के बाद उन्होंने एक कलाकार बनने की यात्रा तय की।

ऐसे तय की कलाकार बनने की यात्रा

आर के लक्ष्मण अपने भाई नारायण द्वारा लिखी गई कहानियों को चित्रित करते थे। वहीं पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने ‘स्वराज्य’ पत्रिका में कार्टून बनाने में योगदान दिया। इसके अलावा उन्होंने पौराणिक चरित्र नारद पर आधारित एक एनिमेटेड फिल्म के लिए भी चित्र बनाए थे। इसी दौरान वह नई राहें तलाशने के लिए मुंबई चले आए और यहां पर उन्होंने कई अखबारों में अपनी किस्मत आजमाई। 

मालगुडी डेज

स्नातक होने के बाद लक्ष्मण ने अपना स्वतंत्र काम जारी रखा और ‘स्वराज्य’ पत्रिका में कार्टून बनाने में योगदान दिया। उन्होंने पौराणिक चरित्र नारद पर आधारित एक एनिमेटेड फिल्म के लिए चित्र भी बनाए। आर.के. करंजिया के साप्ताहिक प्रकाशन – ब्लिट्ज़ से उनको पहला ब्रेक मिला और जल्द ही वह एक कार्टूनिस्ट के तौर पर फेमस हो गए। आप सभी को मालगुडी तो याद ही होगी, जोकि एक काल्पनिक गांव है। आर.के लक्ष्मण के लगभग सभी उपन्यासों में इसका जिक्र मिलता है।

पुरस्कार

बता दें कि आर के लक्ष्मण ने ही मालगुडी गांव का स्केच बनाया था। एक रिपोर्ट के अनुसार, जल्द ही साल 1947 में आर के लक्ष्मण को 500 रुपए के वेतन पर नियुक्त किया गया। पत्रकारिता, साहित्य और रचनात्मक संचार कला के लिए साल 1984 में आर के लक्ष्मण को रेमन मैग्सेस पुरस्कार से सम्मानित किया गया। फिर साल 2005 में उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से नवाजा गया।

मृत्यु

बता दें कि साल 2003 में आर के लक्ष्मण को स्ट्रोक हुआ था। जिसके कारण उनके शरीर का बायां अंग लकवाग्रस्त हो गया था। फिर साल 2010 में उनको कई बार स्ट्रोक आया और उनकी स्थिति पहले से ज्यादा गंभीर हो गई। वहीं 26 जनवरी 2015 में 93 साल की आयु में आर के लक्ष्मण का निधन हो गया।

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