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आर के डी एफ कालेज घोटाला नहीं करता तो यूनिवर्सिटी नहीं बनता ,मुख्यमंत्री मोहन यादव को पुनः जांच कराना चाहिए

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 शिक्षा तंत्र बहुत पुराना घोटाला तंत्र है,हो सकता है पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को याद नहीं होगा। मामला आर के डी एफ कालेज जो अब यूनिवर्सिटी है का । मुख्यमंत्री मोहन यादव को संज्ञान में लेकर पुनः जांच कराना चाहिए

आर के डी एफ यूनिवर्सिटी जो पहले कालेज था घोटाला नहीं करता तो यूनिवर्सिटी नहीं बनता।
आर के डी एफ कालेज में पढ़ने वाले बच्चों की भर्ती प्रक्रिया पर तत्कालीन मुख्य सचिव आदित्य विक्रम सिंह ने नोट सीट पर लिखा था कि इस कालेज की मान्यता समाप्त कर देना चाहिए क्योंकि विभाग के नियम है कि पहली गलती और दूसरी गलती पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए तीसरी गलती पर जुर्माना नहीं मान्यता समाप्त करनी चाहिए।
मुख्य सचिव की टीप और नियमों को दरकिनार कर कांग्रेस के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने तत्कालीन शिक्षा मंत्री राजा पटेरिया की बात को मानते हुए संस्थान की मान्यता समाप्त नहीं करते हुए नियम विरुद्ध लगें अर्थ दंड रुपए 24 लाख को रुपए 5 लाख कर दिया।
सारे दस्तावेज शिक्षा तंत्र में हुए भ्रष्टाचार को उजागर कर रहे हैं फिर भी कमलनाथ जी के मुख्यमंत्री काल में जांच एजेंसी आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी न्यायालय में और प्रकरण समाप्त हो गया।
सुप्रीमकोर्ट में भी राज्य सरकार के अधिवक्ता ने कोई संज्ञान नहीं लिया।
इस प्रकरण में अभी भी एक लोचा है जिसे जांच एजेंसी राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के जांच अधिकारी एवं डी जी पी राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने भी पूरे प्रकरण को ठीक से नहीं लिया और पढ़ा भी नहीं,
*यह मेरा आरोप है जांच एजेंसी के अधिकारियों पर जिसमें डी जी पी भी है*
इस प्रकरण में भाजपा सरकार के कार्यकाल में भी कोई उचित कार्यवाही नहीं की । प्रकरण समाप्त करने और उचित कार्यवाही नहीं करना यह अपने आप सिद्ध करता है कि भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में कोई भी पीछे नहीं है।
अब मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव यदि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भ्रष्टाचार मुक्त भारत के साथ हैं तो फिर आर के डी एफ यूनिवर्सिटी में दाखिला के समय हुए घपले की जांच पुनः केंद्रीय एजेंसी सीबीआई से कराने का निर्णय ले सकते हैं।
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भ्रष्टाचार मुक्त संकल्प को साकार करने के लिए मुख्यमंत्री मोहन यादव को एक बार फिर कड़ा निर्णय ले सकते हैं अब यह उनकी इच्छा पर निर्भर है और यदि ऐसा नहीं करते हैं तो फिर मोहन यादव भी देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ भ्रष्टाचार मुक्त भारत के अभियान में नहीं है।

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