कई बार कुछ सच्ची कहानियां और घटनाएं ऐसी होती हैं जिसे सुनकर एक बार में आदमी यही कहता है कि यह तो फिल्मी कहानी जैसी है। ऐसा कम ही हो पाता है जब ऐसी ही किसी कहानी पर फिल्म बने। एक ऐसी ही फिल्म आई है रॉकेट्री द नंबी इफेक्ट (Rocketry The Nambi Effect)। जो इसरो के वैज्ञानिक नंबी नारायणन (Scientist Nambi Narayanan) के जीवन पर आधारित है। इस फिल्म में अभिनय किया है आर माधवन (R Madhavan) ने और इस फिल्म की काफी चर्चा हो रही है। फिल्म की कहानी ऐसी जो आपको रुला देगी। इस फिल्म में आप नंबी नारायणन के संघर्ष को जो देख रहे हैं हकीकत में वह इससे भी कहीं आगे बढ़कर है। षडयंत्र, आरोप, गिरफ्तारी और फिर कोर्ट की तारीख दर तारीख के साथ 24 साल गुजारने के बाद देश की सर्वोच्च अदालत (Supreme Court) ने कहा कि वैज्ञानिक नंबी नारायणन को केरल पुलिस (Kerala Police) ने बेवजह गिरफ्तार किया था और उन्हें मानसिक प्रताड़ना दी। जब वो देश के लिए सपने देख रहे थे उस वक्त एक झटके में कैसे उनकी जिंदगी बदल जाती है। आइए जानते हैं कि हकीकत में क्या थी नंबी नारायणन के संघर्ष की कहानी।
14 सितंबर 2018 का वह दिन… जब इसरो के रिटायर वैज्ञानिक एस. नंबी नारायणन के चेहरे पर हंसी आती है। चेहरे पर सुकून क्या होता है नंबी नारायणन को उस दिन देख इसका अंदाजा लगाया जा सकता था। पहले वैज्ञानिक फिर जासूसी का आरोप और 24 साल बाद पूरी तरह से बेदाग नारायणन के लिए 14 सितंबर का दिन बड़ा ही अहम था। 14 सितंबर 2018 का वह दिन जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वैज्ञानिक नारायणन को केरल पुलिस ने बेवजह गिरफ्तार किया था और उन्हें मानसिक प्रताड़ना दी। साथ ही इसरो वैज्ञानिक को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी आदेश दिया। आइए जानते हैं रॉकेट साइंटिस्ट नारायणन के जासूसी के आरोप में गिरफ्तार होने से बेदाग होकर निकलने तक की पूरी सिलसिलेवार कहानी…
1994 में जब हुई नंबी नारायणन की गिरफ्तारी
अक्टूबर 1994 को मालदीव की एक महिला मरियम राशिदा को तिरुवनंतपुरम से गिरफ्तार किया गया। राशिदा को इसरो के स्वदेशी क्रायोजनिक इंजन की ड्राइंग की खुफिया जानकारी पाकिस्तान को बेचने की आरोप में गिरफ्तार किया गया था। नवंबर 1994 तिरुवनंतपुरम में इसरो के टॉप वैज्ञानिक और क्रायोजनिक प्रॉजेक्ट के डायरेक्टर नारायणन समेत दो वैज्ञानिकों डी शशिकुमारन और डिप्टी डायरेक्टर के चंद्रशेखर को अरेस्ट किया गया। इसके अलावा रूसी स्पेस एजेंसी का एक भारतीय प्रतिनिधि एस के शर्मा, एक लेबर कॉन्ट्रैक्टर और राशिदा की मालदीव की दोस्त फौजिया हसन को भी गिरफ्तार किया गया था। इन सभी पर पाकिस्तान को इसरो रॉकेट इंजन की सीक्रेट जानकारी और अन्य जानकारी दूसरे देशों के देने के आरोप थे। इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारियों ने नारायणन से पूछताछ शुरू कर दी। नारायणन ने आरोपों का खंडन किया और इसे गलत बताया।
केरल सरकार की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज
दिसंबर 1994 में मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई। सीबीआई ने अपनी जांच में इंटेलिजेंस ब्यूरो और केरल पुलिस के आरोप सही नहीं पाए। जनवरी 1995 में इसरो के दो वैज्ञानिक और बिजनसमैन को बेल पर रिहा कर दिया गया। हालांकि मालदीव के दोनों नागरिकों को जमानत नहीं मिली। अप्रैल 1996 को सीबीआई ने चीफ चीफ जूडिशल मजिस्ट्रेटकी अदालत में फाइल एक रिपोर्ट में बताया कि यह मामला फर्जी है और आरोपों के पक्ष में कोई सबूत नहीं हैं। मई 1996 में कोर्ट ने सीबीआई की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया और इसरो जासूसी केस में गिरफ्तार सभी आरोपियों को रिहा कर दिया। इसके बाद केरल की नई सरकार ने मामले की फिर से जांच का आदेश दिया। मई 1998 में सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार द्वारा इस मामले की फिर से जांच के आदेश को खारिज कर दिया।
हार नहीं मानने वाले थे नारायणन
1999 में नारायणन ने मुआवजे के लिए याचिका दाखिल की। 2001 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने केरल सरकार को क्षतिपूर्ति का आदेश दिया, लेकिन राज्य सरकार ने इस आदेश को चुनौती दी। सितंबर 2012 में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को नारायणन को 10 लाख रुपये देने के आदेश दिए। अप्रैल 2017 में सुप्रीम कोर्ट में नारायणन की याचिका पर उन पुलिस अधिकारियों पर सुनवाई शुरू हुई जिन्होंने वैज्ञानिक को गलत तरीके से केस में फंसाया था। नारायणन ने केरल हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया जिसमें कहा गया था कि पूर्व डीजीपी और पुलिस के दो सेवानिवृत्त अधीक्षकों केके जोशुआ और एस विजयन के खिलाफ किसी भी कार्रवाई की जरूरत नहीं है। मई 2018 में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई में जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डी वीआई चंद्रचूड़ की तीन जजों की बेंच ने कहा कि वह नारायणन को 75 लाख रुपये मुआवजा और उनकी प्रतिष्ठा को फिर से बहाल करने के बारे में विचार कर रहे हैं। 14 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने उत्पीड़न का शिकार हुए इसरो वैज्ञानिक नारायणन को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया। कोर्ट ने इस मामले में एक जूडिशल जांच का भी आदेश दिया।
जब अधिकारी ने कहा था, मुझे चप्पल से पीटना
गिरफ्तारी के समय को याद करते हुए नारायणन ने बताया था कि कैसे इंटेलिजेंस ब्यूरो के एक अधिकारी ने कहा था, ‘सर, हम अपनी ड्यूटी कर रहे हैं। आप जो कह रहे हैं अगर वह सही होगा तो आप मुझे अपनी चप्पल से पीट सकते हैं। दो दशक बीतने के बाद भी नारायणन को वह बात याद है। हाल ही में गुजरात पुलिस ने पूर्व डीजीपी आर. बी. श्रीकुमार को गिरफ्तार किया। निर्दोष लोगों को झूठा फंसाने की साजिश रचने के आरोप में पूर्व पुलिस महानिदेशक को अरेस्ट किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगा मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य लोगों को क्लीन चिट दी है। शीर्ष न्यायालय के आदेश के ठीक एक दिन बाद श्रीकुमार को गुजरात पुलिस ने गिरफ्तार किया। इसरो के साइंटिस्ट रहे नंबी नारायणन ने पूर्व आईपीएस अधिकारी की गिरफ्तारी पर खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा है कि हर चीज की हद होती है। श्रीकुमार वो सभी हदें पार कर चुके हैं। श्रीकुमार की गिरफ्तारी पर इसरो में वैज्ञानिक रहे नंबी नारायण ने कहा कि मुझे यह जानकर खुशी हुई कि श्रीकुमार को गिरफ्तार कर लिया गया है। हर चीज की एक सीमा होती है। बी नारायण बोले, मुझे पता चला कि श्रीकुमार को कहानियां गढ़ने और उन्हें सनसनीखेज बनाने की कोशिश करने के लिए गिरफ्तार किया गया है। उनके खिलाफ एक आरोप था। यह बिल्कुल वैसा है जैसा उन्होंने मेरे मामले में किया था।
बतौर डायरेक्टर किया माधवन ने डेब्यू
‘रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट’ इसरो के वैज्ञानिक नंबी नारायणन की जिंदगी पर बनी है। उन पर जासूसी के फर्जी आरोप लगे थे। फिल्म की कहानी लिखने से लेकर प्रड्यूसर, डायरेक्टर और यहां तक कि लीड ऐक्टर के रोल में माधवन ही हैं। माधवन ने जहां इस फिल्म से बतौर डायरेक्टर डेब्यू किया है, वहीं उनके साथ फिल्म में सिमरन, मीशा घोषाल, रजित कपूर और कार्तिक कुमार भी हैं। फिल्म की कहानी नंबी नारायणन के प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट होने से लेकर उन पर लगे जासूसी के आरोपों और उसके बाद तक के जीवनकाल पर आधारित है। यह फिल्म 19 मई 2022 को कान फिल्म फेस्टिवल में भी दिखाई गई थी, जहां दर्शकों ने खड़े होकर तालियां बजाकर फिल्म की तारीफ की थी। यह फिल्म भारत में भी रिलीज हो चुकी है और इसकी काफी चर्चा हो रही है।