भोपाल/ एनसीईआरटी कोर्स पढ़ाने के मामले में प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों की मोनोपाली तोड़ने और अभिभावकों द्वारा लगातार की जा रही मांग के बाद राज्य सरकार द्वारा अपने स्कूलों में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम तो लागू कर दिया गया, लेकिन इन पाठ्यक्रमों में महिलाओं को कमतर बताने वाले अंशों को लेकर शिक्षा महकमे में बवाल मचा हुआ है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शैक्षणिक पाठयक्रम से महिला को कमतर बताने वाले अंशों को हटाने का फरमान सुनाया है। इसके बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में महिलाओं को कमतर बनाने वाले अंशों को हटाने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। इस संबंध में विभागीय अधिकारियों के बीच एक दौर की चर्चा हो चुकी है।
सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में स्कूलों में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की किताबें ज्यादा चल रही है। कुछ किताबें ही प्रदेश सरकार की है। ऐसे में स्कूल शिक्षा विभाग अपने स्तर पर पाठ्यक्रम में किसी प्रकार की काट छांट नहीं कर सकता। इसके लिए उसे एनसीईआरटी को लिखना होगा। सिलेबस से महिलाओं को कमतर बताने वाले अंशों को हटाने के संबंध में अंतिम फैसला एनसीईआरटी करेगी। प्रदेश में स्कूलों के पाठ्यक्रम में काट छांट करने और उसमें बदलाव के लिए सरकार ने पाठ्यपुस्तक स्थाई समिति बना रखी है। दो साल बाद इस समिति का पुनर्गठन किया गया है। समिति जल्द ही सभी कक्षाओं की किताबों का बारीकी से अध्ययन कर देखेगी कि किस कक्षा की किताब में ऐसे पाठ शामिल हैं जो महिलाओं को कमतर बताते हैं। वह इसकी सूची तैयार कर विभाग को सौंपेगी। इसके बाद विभाग आगे की कार्रवाई करेगा।
हम बता दें कि नवंबर 2016 में शिवराज कैबिनेट ने प्रदेश के स्कूलों में अगले सत्र से एनसीईआरटी का सिलेबस लागू करने का फैसला किया था। इसके बाद से स्कूलों में एनसीईआरटी की ज्यादा किताबें चल रही हैं।
दरअसल राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं में एनसीईआरटी के सिलेबस से सवाल पूछे जाते हैं । ऐसे में प्रदेश के बच्चे पिछड़ जाते हैं। प्रदेश के बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं में दूसरे राज्यों के बच्चों से मुकाबला कर सकें। इसके लिए एनसीईआरटी का सिलेबस लागू किया गया है। इसके साथ ही प्रदेश में प्राइवेट स्कूलों की मोनोपाली से परेशान अभिभावक लगातार एनसीईआरटी का सिलेबस लागू करने की मांग कर रहे थे।
स्कूली शिक्षा मंत्री क्या बोले-
प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार का इस संबंध में कहना है कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रदेश के स्कूलों में लागू एनसीईआरटी सिलेबस से महिलाओं को कमतर बताने वाले अंश हटाए जा रहे हैं। इस पर विद्वानों और महकमे के अफसरों की टीम काम कर रही है।
मुख्यमंत्री ने क्या कहा था
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश के अंतर्गत महिला सशक्तिकरण और बाल कल्याण पर गठित अंतर विभागीय समूह की बैठक में प्रदेश में लागू एनसीईआरटी शैक्षणिक पाठ्यक्रम में महिलाओं को कमतर बताने वाले अंशों को तत्काल हटाने के निर्देश दिए थे। उन्होंने पाठ्यक्रमों का ऑडिट कर उन्हें जेंडर न्यूट्रल बनाने का कार्य प्राथमिकता से पूर्ण करने को कहा था। इसके साथ ही सीएम ने कहा था कि महिला अधिकारियों कर्मचारियों के पदनाम के लिए उपयोग की जाने वाली शब्दावली में भी समानता का भाव होना जरूरी है। शिक्षिका प्राचार्य के स्थान पर महिला और पुरुषों के लिए समान शब्दावली जैसे शिक्षक प्राचार्य आदि पदनाम का उपयोग किया जाना चाहिए।