एस पी मित्तल, अजमेर
राजस्थान में भ्रष्टाचार और पेपर लीक के मुद्दों को लेकर पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट से अजमेर से जयपुर तक जो जन संघर्ष पदयात्रा शुरू की है, उसका 13 मई को तीसरा दिन रहा। 11 मई को अजमेर से शुरू हुई इस पद यात्रा में आम लोगों और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की जबरदस्त भीड़ देखने को मिली है। पद यात्रा के मद्देनजर ही एबीपी न्यूज चैनल ने 12 मई को त्वरित सर्वे करवाया। इस सर्वे में 45 प्रतिशत लोगों ने माना कि यात्रा से कांग्रेस को नुकसान होगा। मालूम हो कि राजस्थान में 7 माह बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं। पायलट लगातार सात वर्षों तक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे और पायलट के नेतृत्व में ही 2018 में कांग्रेस ने बहुमत हासिल किया। लेकिन अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री बनने से पायलट की नाराजगी देखी गई और अब साढ़े चार साल बाद पायलट को अपनी ही सरकार के विरुद्ध जन संघर्ष पदयात्रा निकालनी पड़ रही है। पिछले साढ़े चार वर्षों में सीएम गहलोत ने पायलट के प्रभाव को कम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन इसके बाद भी पद यात्रा में पायलट को जबरदस्त जन समर्थन मिल रहा है। पायलट भी अपनी जन संघर्ष यात्रा को राहुल गांधी की भारत जोड़ने यात्रा की तर्ज पर निकाल रहे हैं। तेज गर्मी को देखते हुए यात्रा को सुबह शाम ही निकाला जा रहा है।
कहां गई राहत? :
घरेलू उपभोक्ताओं को 100 और कृषि उपभोक्ताओं को दो हजार यूनिट बिजली फ्री देने की घोषणा का मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दावा किया कि, इससे आम लोगों को महंगाई से राहत मिलेगी। लेकिन यह दावा अब गलत साबित होता नजर आ रहा है। महंगा कोयला खरीदने का तर्क देकर गहलोत सरकार ने गत तीन माह में एक रुपया 38 पैसे प्रति यूनिट बिजली महंगी कर दी है। इससे प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं पर 2270 करोड़ रुपए का भार पड़ेगा। यानी बिजली उपभोक्ताओं से 2270 करोड़ रुपए की अतिरिक्त वसूली की जाएगी। इसका सबसे ज्यादा असर गली मोहल्लों में दुकान चलाने वाले छोटे कारोबारियों पर पड़ेगा। 100 यूनिट बिजली फ्री लेने के लिए लोग एक और महंगाई राहत शिविर में रजिस्ट्रेशन करवा रहे हैं तो वही सरकार फ्यूल चार्ज बढ़ा कर 2270 करोड़ रुपए की अतिरिक्त वसूली कर रही है।