एस पी मित्तल अजमेर
राजस्थान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने 24 अक्टूबर को जयपुर में अपने रानी सती नगर के आवास पर अपना जन्मदिन धूमधाम से मनाया। उत्साही समर्थकों ने घर के बाहर अबकी बार सतीश सरकार के बैनर लगा दिए। राजस्थान में पिछले 25 वर्षों से एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस की सरकार बन रही है, क्योंकि अभी अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है। इसलिए नवंबर 2023 में भाजपा की सरकार बनने का नंबर है। इस परंपरा को देखते हुए ही 24 अक्टूबर को सतीश पूनिया के जन्मदिन पर खासा उत्साह रहा। असल में अब जन्मदिन के मौके पर शक्ति प्रदर्शन का रिवाज हो गया है। पिछले दिनों प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने अपने जन्मदिन पर जबरदस्त भीड़ जुटाई तो इससे पहले भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने धार्मिक स्थल गिर्राज जी में प्रदेश भर के कार्यकर्ताओं के बीच जन्मदिन मनाया। वसुंधरा की तरह ही सतीश पूनिया ने 24 अक्टूबर को बाहर से आने वाले कार्यकर्ताओं के लिए भोजन प्रसादी की व्यवस्था भी की। हजारों लोगों ने भोजन किया, लेकिन व्यवस्था फेल नहीं हुई। माला पहनाने और बधाई देने का जो सिलसिला सुबह 10 बजे से शुरू हुआ वह सायं 5:30 बजे तक लगातार चलता रहा। प्रदेश भर से आए कार्यकर्ताओं ने पूनिया के समक्ष अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। पूनिया ने इतना बड़ा शक्ति प्रदर्शन तब किया है, जब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भाजपा के प्रदेश नेतृत्व को दूसरे दर्जे का बताते हैं। गहलोत ने कभी भी भाजपा के प्रदेश नेतृत्व को महत्व नहीं दिया कई मौकों पर तो गहलोत ने विपक्ष के तौर पर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के चेहरे को आगे रखा। हाईकोर्ट की मनाही के बाद भी गहलोत ने वसुंधरा राजे को जयपुर में कैबिनेट मंत्री वाला आलीशान बंगला आवंटित किया। गहलोत ने लगातार यह प्रदर्शित किया कि वसुंधरा राजे ही विपक्ष की नेता हैं। भाजपा में मुख्यमंत्री पद के 5-6 दावेदार हैं, यह बात कहकर गहलोत ने सतीश पूनिया का मजाक भी उड़ाया, लेकिन पूनिया ने अपनी ओर से ऐसी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी जो अमर्यादित हो, लेकिन 24 अक्टूबर को पूनिया ने जन्मदिन के मौके पर राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन कर सभी को जवाब दे दिया है। यह सही है कि राजस्थान में अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री रहते हुए विपक्ष की भूमिका निभाना आसान नहीं है। गहलोत अपने प्रतिद्वंदी को कुचलने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। प्रतिद्वंदी भले ही उनकी पार्टी का ही क्यों न हो। विधायकों तक की जासूसी करवाने के आरोप खुद कांग्रेस के विधायकों ने लगाए हैं। हर वक्त आक्रमण करने वाले गहलोत के सामने सतीश पूनिया के नेतृत्व में भी भाजपा ने कांग्रेस को चुनौती दी है। पूनिया को कई बार अपनी ही पार्टी में विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा, लेकिन पूनिया ने धैर्य नहीं खोया। पूनिया की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वह भाजपा के साधारण कार्यकर्ता से भी सरलता के साथ मिलते हैं, पिछले दिनों ही पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के निवास पर जाकर पूनिया ने अपने सरल स्वभाव का परिचय दिया है।