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स्कूल, कॉलेज, घर, ऑफिस… प्रदेश में कहीं भी सुरक्षित नहीं बेटियां

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5 थानों का पुलिस बल… ड्रोन, डॉग स्क्वॉयड, साइबर और 100 से ज्यादा पुलिसकर्मी भी नहीं बचा पाए जान

  • बंद फ्लैट में मिली 5 साल की बच्ची की लाश

  • दरिंदगी और हैवानियत के मामले रोजाना आ रहे सामने, कहां है पुलिस ?द्य भोपाल, ईएमएस
    राजधानी के शाहजहांनाबाद में 3 दिन से लापता बच्ची का शव गुरुवार को मिला है। बच्ची का परिवार जिस मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में रहता है, शव उसी बिल्डिंग के एक बंद फ्लैट में पानी की टंकी में मिला। पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्र ने बताया कि आरोपी ने बच्ची को अगवा कर दुष्कर्म किया। फिर रेप के बाद गला घोंटकर हत्या कर दी। इसके बाद शव पानी की टंकी में छिपा दिया। पुलिस ने आरोपी अतुल को गिरफ्तार कर लिया है। उसकी मां और बहन को भी आरोपी बनाया है।
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    दोनों ने घटना को छिपाने का प्रयास किया। पुलिस ने जांच के लिए एसआईटी बनाई है। हैरानी की बात है कि परिजन की शिकायत के बाद 5 थानों का पुलिस बल बच्ची की तलाश में जुटा था। ड्रोन, डॉग स्क्वॉयड, साइबर और 100 से ज्यादा पुलिसकर्मी उसे ढूंढ रहे थे। पुलिस ने 1000 से ज्यादा फ्लैटों की तलाशी ली। मल्टी के पास नाले, पानी की टंकियां और अन्य जल स्रोतों में भी गोताखोर बच्ची को तलाश चुके थे। बच्ची के शव का पोस्टमार्टम करने के बाद छोला विश्राम घाट पर उसका अंतिम संस्कार किया गया। आश्चर्यजनक बात तो यह है कि एक तरफ शासन-प्रशासन सख्त कानून की दुहाई देकर मप्र में कानून व्यवस्था को दुरुस्त बता रहा है, वहीं दूसरी तरफ प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की बाढ़ सी आ गई है। जिसको देखकर अब तो लोग कहने लगे हैं कि संभलकर बेटियों! महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं मप्र।
    कानून व्यवस्था पर उठ रहे गंभीर सवाल

    महिलाओं से सामूहिक दुष्कर्म, छेड़छाड़, मारपीट की बढ़ती घटनाओं के कारण मप्र की कानून व्यवस्था पर बड़े गंभीर सवाल उठ रहे हैं। प्रदेश सरकार भले ही महिला सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने कर दावे करती है लेकिन ताजा घटनाओं को देखें तो महिलाओं के साथ अपराध बढ़ गए हैं। बीते कुछ दिनों में महिलाओं और बच्चियों को सुरक्षा के संबंध में प्रदेश की पुलिस कठघरे में खड़ी नजर आ रही है।
    सख्ती का असर नहीं
    पद संभालने के 15 दिनों के भीतर ही पुलिस मुख्यालय में अधिकारियों के साथ बैठक कर गृह विभाग मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने अपराधों पर नियंत्रण के लिए सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए थे। उन्होंने ढिलाई करने वाले कई पुलिस अधिकारियों को इधर से उधर भी किया था। सीएम की सख्ती के बाद भी आए दिन महिलाओं के साथ अपराध सामने आ ही रहे हैं।
    पुलिस के आंकड़ों में अपराध घटे
    वैसे पुलिस के आंकड़ों की मानें तो प्रदेश में बलात्कार सह हत्या के प्रकरणों में 14.3 प्रतिशत की कमी, दुष्कर्म के प्रयास में 35.7 प्रतिशत कमी और दहेज हत्या के प्रकरण 10.7 प्रतिशत घटे हैं। लगातार हो रहे अपराधों से इन आंकड़ों पर भी प्रश्नचिह्न खड़े हो रहे हैं। हमारे प्रदेश में बलात्कार की खबरें आम सी हो गई हैं। बच्चियों की सुरक्षा के जितने भी दावे किए गए हैं, सबकी हवा निकलती दिख रही है।
    कानूनों का भी असर नहीं
    बच्चियों और महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामले में मध्य प्रदेश के आंकड़े कुछ भी कहते हों लेकिन सरकार इन आंकड़ों को कम करने के लिए दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाना चाहती है। मप्र पहला राज्य है, जिसने नाबालिग बच्चियों से बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के मामलों में फांसी की सजा का कानून बनाया है।
    कई मामलों में फांसी की सजा सुनाई भी गई है।
    महिलाओं के साथ दुष्कर्म में मप्र तीसरे स्थान पर

    देश में महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामले बढ़े हैं। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार भारत में हर 15 मिनट में एक दुष्कर्म होता है। ऐसे में देखा जाए तो हर घंटे 4 महिलाओं के साथ दुष्कर्म हो रहा है। मप्र भी महिला अपराधों के मामले में पीछे नहीं है। 2022 की बात करें तो पूरे देश में दुष्कर्म के 31 हजार से ज्यादा केस दर्ज हुए हैं। उनमें से राजस्थान में 5399, उत्तर प्रदेश में 3690 और मप्र में 3039 केस दर्ज हुए थे। देश में मप्र इस मामले में तीसरे स्थान पर है। बच्चों से छेडख़ानी के मामले भी प्रदेश में ज्यादा हैं। प्रदेश के थानों में 5996 केस दर्ज हैं। पिछले दो सालों में इन मामलों में कमी जरूर आई है, पर अभी मप्र में महिला अपराध लगातार हो रहे हैं।
    बाल शोषण के मामले में मप्र दूसरे नंबर पर
    एनसीआरबी के 2022 के आंकड़ों के अनुसार मप्र बाल शोषण के मामले में भी शीर्ष तीन राज्यों में शामिल है। महाराष्ट्र पहले नंबर पर है तो मप्र दूसरे नंबर पर है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 20762 मामले दर्ज किए गए हैं। दूसरे स्थान में शामिल मप्र में 20415 अपराध दर्ज किए गए हैं। उत्तर प्रदेश में 18682, राजस्थान में 9370 और पश्चिम बंगाल में 8950 मामले दर्ज हुए हैं।
    भोपाल महिला अपराधों में सबसे आगे
    2023 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों में भोपाल जोन सबसे आगे रहा, जबकि इंदौर दूसरे स्थान पर रहा। राज्य अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एससीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वर्ष राज्य में महिलाओं से जुड़े अपराधों के कई गंभीर मामले दर्ज किए गए। इनमें 7,773 महिलाएं छेड़छाड़ की शिकार हुईं, 10,306 महिलाओं और लड़कियों का अपहरण हुआ, और 13,671 को अश्लीलता का सामना करना पड़ा।
    भोपाल जोन में महिलाओं के खिलाफ सबसे अधिक 7,745 अपराध दर्ज हुए, जबकि इंदौर में 7,738 मामले सामने आए। इसके बाद ग्वालियर (6,331), रीवा (6,296), और उज्जैन (5,169) का स्थान रहा। बालाघाट और जबलपुर जोन में सबसे कम अपराध दर्ज हुए, जहां क्रमश: 1,937 और 2,456 मामले दर्ज किए गए।

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