राजिम, छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ द्वारा आयोजित विशाल किसान महापंचायत — कई एसकेएम नेताओं ने महापंचायत को संबोधित किया, जिसमें लाखों किसान एकत्रित हुए — कई प्रमुख प्रस्ताव पारित*
*ऐतिहासिक भारत बंद में पूरे भारत के करोड़ों लोगों की भागीदारी देखने को मिली — किसानों और बंद के खिलाफ भाजपा नेताओं द्वारा दिए गए बयान दुर्भाग्यपूर्ण, भाजपा का अहंकार उसे किसानों की समस्याओं पर ध्यान देने से रोकता है: एसकेएम*
आज देश भर के किसानों ने शहीद भगत सिंह जयंती मनाई। सभी एसकेएम मोर्चों और विरोध स्थलों पर स्मृति कार्यक्रम आयोजित किए गए जहां युवा और छात्र बड़ी संख्या में एक साथ आए, और भारत के उस महान सपूत को याद किया जिन्होंने देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दे दिया। भगत सिंह का बलिदान अन्याय के खिलाफ लड़ाई में किसानों को प्रेरित करता है।
छत्तीसगढ़ के राजिम में आज एक विशाल किसान महापंचायत का आयोजन किया गया। कई एसकेएम नेताओं ने महापंचायत को संबोधित किया, जिसमें लाखों किसानों की भीड़ उमड़ी। महापंचायत ने छह प्रस्ताव पारित किए गए, किसान-विरोधी कृषि कानून और उपभोक्ता-विरोधी कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सभी कृषि उपज की खरीद की कानूनी गारंटी के लिए राज्यव्यापी आंदोलन के लिए चल रहे किसान आंदोलन को आगे बढ़ाना, वर्तमान राज्य सरकार द्वारा खरीफ सीजन में 25 क्विंटल प्रति एकड़ की धान की खरीद, सिंचाई संसाधनों में वृद्धि, छत्तीसगढ़ में फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए मार्कफेड के माध्यम से धान के अलावा अन्य फसलों की खरीद के लिए राज्य सरकार द्वारा व्यवस्था तैयार किया जाए, कृषि भूमि किसी भी परिस्थिति में अन्य उद्देश्य के लिए अधिग्रहण नहीं किया जाए, और आदिवासी और लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए चल रहे आंदोलनों पर दमन को रोका जाए।
कल आयोजित ऐतिहासिक भारत बंद की खबरें आज भी देश के विभिन्न हिस्सों से आ रही हैं। बंद किसान आंदोलन के लिए एक बड़ी सफलता थी और इसने भारत के हर हिस्से में अपना संदेश पहुँचाया। इसे श्रम संगठनों, महिला संगठनों, युवा संगठनों, बैंकर, वकील, ट्रांसपोर्टर, और व्यापारि संघों और भारत के आम लोगों से भारी समर्थन और एकजुटता मिली। लोगों ने भारत के अन्नदाता के प्रति अत्यधिक सहानुभूति दिखाई। देश भर में सैकड़ों किसान कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिए जाने के बाद भी बंद शांतिपूर्ण रहा। बंद का सबसे उल्लेखनीय पहलू इसका पैमाना और विस्तार था। भारत के हर राज्य से बंद की खबरें आईं और इसका संदेश भारत के दूर-दराज के किसानों तक पहुंचा।
एसकेएम भाजपा नेताओं द्वारा बंद और किसानों के खिलाफ दिए गए बयानों की निंदा करता है। “भाजपा के किसान मोर्चा प्रमुख के द्वारा बंद और किसान आंदोलन के खिलाफ बयान बेहद शर्मनाक है। उनके बयान साबित करते हैं कि वह अपने राजनीतिक जुड़ाव को किसानों के हितों से आगे रख रहे हैं। किसानों और बंद के खिलाफ भाजपा नेताओं द्वारा दिए गए बयान दुर्भाग्यपूर्ण हैं, और भाजपा का अहंकार उसे किसानों की समस्याओं पर ध्यान देने से रोकता है”, एसकेएम ने कहा। इस बीच केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक बार फिर खोखला बयान देते हुए किसानों से आंदोलन छोड़कर बातचीत शुरू करने को कहा। यह आश्चर्यजनक है, क्योंकि स्वयं केन्द्र सरकार ने ही वार्ता को रोक रखा है। एसकेएम ने हमेशा बातचीत और चर्चा, जहां किसानों की चिंताओं पर ध्यान दिया जाए, के लिए अपनी सम्मति व्यक्त की है, और यह सरकार पर निर्भर है कि वह किसानों को आमंत्रित करे और प्रक्रिया शुरू करे।
*जारीकर्ता* –बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, हन्नान मोल्ला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, शिवकुमार शर्मा (कक्का जी), युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव
*संयुक्त किसान मोर्चा*