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कार्यस्थलों पर सप्ताह में 40 घंटे की ड्यूटी का प्रस्ताव संसद के सामने रखेंगे शशि थरूर

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नई दिल्ली। ईवाई कॉरपोरेट कंपनी में काम करने वाली 26 वर्षीय अन्ना सेबेस्टियन की मौत ने पूरे देश को सोचने के लिए मजबूर कर दिया है। कार्यस्थलों पर कर्मचारियों का किस स्तर का शोषण होता है अन्ना की मौत ने उसका पर्दाफाश कर दिया है। इसके साथ ही उसको हल करने की जरूरत को भी सामने ला दिया है। इसी कड़ी में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने पहल कर कहा है कि वह कार्यस्थलों पर सप्ताह में 40 घंटे की ड्यूटी का प्रस्ताव संसद के सामने रखेंगे। 

अन्ना सेबेस्टियन चार्टर्ड एकाउंटेंट थीं और वह केरल की रहने वाली थीं। पुणे स्थित इस कंपनी में उन्होंने अभी तकरीबन 4 महीने ही काम किए थे। लेकिन उनके ऊपर काम का बोझ इतना बड़ा था कि वह रातों की अपनी नींद भी पूरी नहीं कर पा रही थीं। जिसका नतीजा रहा उनके स्वास्थ्य में अभूतपूर्व गिरावट। दिलचस्प बात यह है कि ईवाई एक बहुराष्ट्रीय कंपनी है और उससे कर्मचारियों के कार्यस्थितियों में गुणवत्ता की अपेक्षा की जाती है।

थरूर ने अन्ना के माता-पिता से बात की है। उसके बाद उन्होंने कुछ निष्कर्ष निकाले हैं जिसको वह संसद के भीतर उठाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी अन्ना के पिता सिबी जोसेफ से बेहद आत्मीय माहौल में बात हुई। 

उनका कहना कि उन्होंने सुझाव दिया और उससे मैं सहमत भी हूं कि सभी कार्यस्थलों वह निजी हो या कि सार्वजनिक क्षेत्र, के लिए एक स्थाई कैलेंडर हो जिसमें एक दिन में काम के केवल 8 घंटे हों और पांच दिन का सप्ताह हो, के कानून को संसद से पारित करने का प्रस्ताव आना चाहिए।

उन्होंने कहा कि कार्यस्थलों पर अमानवीयता को कड़ी सजा और फाइन के बनाए कानूनों के जरिये खत्म किया जाना चाहिए। कार्यस्थलों पर मानवाधिकार खत्म नहीं होते हैं।उन्होंने यह भी कहा कि वह इस मामले को मौका मिलते ही सबसे पहले संसद में उठाएंगे। जिसके अगले दिसंबर में होने की संभावना है।

अन्ना के पिता ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि उसे पूरी रात काम करना पड़ता था 12.30 एएम तक। सिबी जोसेफ ने कहा कि हमने उसे नौकरी छोड़ देने की सलाह दी लेकिन उसने जोर दिया कि उसे इस दौर का कीमती प्रोफेशनल लाभ देगा।

उन्होंने बताया कि काम के दबाव का मुद्दा वरिष्ठ अधिकारियों के सामने उठाया गया था लेकिन कोई भी कार्रवाई नहीं की गयी। उसने असिस्टेंट मैनेजर से शिकायत की थी लेकिन उसके बाद भी देर रात तक काम करने का निर्देश दिया गया।परिवार ने आरोप लगाया कि कंपनी ने तब जवाब दिया जब उसकी मां का खत वायरल हो गया।

जोसेफ ने कहा कि हम कानूनी रास्ते से आगे बढ़ने की योजना नहीं बना रहे हैं। लेकिन किसी दूसरे के साथ ऐसा हो यह हम नहीं चाहते हैं। हम नहीं चाहते कि कोई नवयुवक इस तरह की कारपोरेट कंपनी ज्वाइन करे और उसे इन स्थितियों का सामना करना पड़े। अन्ना की मां आगस्टाइन ने अपने पत्र में यह भी लिखा था कि कंपनी से कोई भी शख्स उसके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुआ।

ईवाई इंडिया के चेयरमैन राजीव मेमानी ने एक बयान जारी कर कहा कि उनकी कंपनी से कोई भी अन्ना के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाया यह तथ्य उनकी संस्कृति का हिस्सा नहीं है। वह तब तक चैन से नहीं बैठेंगे जब तक कि कार्यस्थल पर सद्भावनापूर्ण माहौल की गारंटी नहीं कर लेते। उन्होंने कहा कि एक पिता के तौर पर वह महिला की मां की नाराजगी को समझ सकते हैं।

उन्होंने कहा कि एक पिता के तौर पर मैं बेहद दुखी हूं। मैं आगस्टाइन के दुख को समझ सकता हूं। मैंने परिवार को अपना गहरा शोक जाहिर किया है। लेकिन उनकी जिंदगी में खाली हुआ स्थान कभी नहीं भर पाएगा। मैं सच में उनके अंतिम संस्कार में शामिल न हो पाने के लिए पश्चाताप करता हूं। यह हमारी संस्कृति का हिस्सा ही नहीं है। यह पहले कभी नहीं हुआ। यह आगे फिर कभी नहीं होगा।

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