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कर्ज लेकर घी पीने में माहिर शिवराज सरकार

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खराब आर्थिक स्थिति की वजह से मिल रहा है मंहगा कर्ज,चार हजार करोड़ का कर्ज लेने की तैयारी

भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार इस साल अब तक 12 हजार करोड़ रुपए का नया कर्ज ले चुकी है और अब अगले दो माह में चार हजार करोड़ का नया कर्ज लेने का लक्ष्य तय किया गया है। अगर ऐसा होता है तो इस साल अगले दो माह में प्रदेश सरकार पर कर्ज बढ़कर सोलह हजार करोड़ रुपए हो जाएगा। यह कर्ज मप्र सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक  के माध्यम से बॉन्ड जारी करके लिया है। खास बात यह है कि यह कर्ज उसे खासी मंहगी ब्याज दर पर उठाना पड़ा है।
इस कर्ज के एवज में उसे ब्याज 7.88 फीसदी की दर पर भुगतान करना होगा।  अगर अन्य राज्यों की बात की जाए तो इस माह बॉन्ड के जरिए बाजार से पैसा उठाने वाले एक दर्जन से अधिक राज्यों में तेलंगाना ही ऐसा राज्य है जिसे सर्वाधिक 7.89 फीसदी की दर पर ब्याज मिला है।  इस जारी वर्ष में मप्र सरकार पर केवल बॉन्ड के जरिए कुल उधारी 12 हजार करोड़ रुपए की हो चुकी है। दरअसल हाल ही में समाप्त हुए माह में सरकार ने तीन किस्तों में यह कर्ज लिया है। पहले दो बार में एक-एक हजार और उसके बाद दो हजार रुपए का कर्ज लिया गया है। आने वाले दो माह में उसने 4,000 करोड़ रुपए और जुटाने का लक्ष्य तय किया है। इसके बाद जारी वर्ष में मप्र सरकार की कुल उधारी पिछले वर्ष 2021-22 के पूरे साल से भी ज्यादा हो जाएगी। जानकारों ने बताया कि सरकार की वित्तीय स्थिति के आधार पर ही बॉन्ड की बिड या ब्याज दर तय होती हैं। जिन राज्यों की वित्तीय स्थिति जितनी सुदृढ़ होती है उसे उतना ही कम ब्याज देना पड़ता है। गौरतलब है कि इसके पहले भी प्रदेश सरकार को सात फीसदी ब्याज पर कर्ज उठाना पड़ा है। उल्लेखनीय है कि खराब वित्त प्रबंधन और फिजूलखर्ची रोकने में सरकार नाकामयाब बनी हुई है। यही नहीं इस हालात के बाद भी सरकार द्वारा वोटों की राजनीति के चलते मदद के नाम पर खैरात बांटने का क्रम जारी है।
प्रति व्यक्ति पर होगा 47 हजार का कर्ज
मध्य प्रदेश सरकार पर वित्त वर्ष 2017-18 में मध्यप्रदेश पर 1 लाख 54 हजार करोड़ का  कर्जा था। जो प्रदेश में प्रतिव्यक्ति 21 हजार रुपए था, लेकिन यह कर्जा कम होने के बजाए लगातार बढ़ता ही जा रहा है। वित्त वर्ष 2018-19 में मध्यप्रदेश पर कर्जा बढ़कर 1 लाख 94 हजार करोड़ हो गया। उस समय  प्रदेश में प्रति व्यक्ति 25 हजार के कर्ज में था। इसके बाद 2019-20 में प्रदेश पर कर्जा 2 लाख 31 हजार करोड़ और प्रतिव्यक्ति कर्ज की दर 29 हजार रुपए हो गई। अगले साल यानि की 2020-21 में मध्यप्रदेश सरकार पर कर्जा 2 लाख 89 करोड़ का कर्जा था जो 2021-22 में बढ़कर 3 लाख 32 हजार करोड़ हो गया। इसी साल मध्यप्रदेश के प्रत्येक नागरिक 41 रुपए का कर्जदार रहा। वित्त बर्ष 2022 -23 में अनुमानित कर्जा 3 लाख 83 हजार करोड़ हो सकता है। जिसमें प्रदेश का प्रत्येक नागरिक 47 हजार रुपए का कर्जदार होगा।
40 हजार करोड़ रुपए से अधिक का ऋण लेने की पात्रता
प्रदेश सरकार राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम के अंतर्गत राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 4 प्रतिशत तक ऋण ले सकती है। इसके हिसाब से  सरकार के पास 40 हजार करोड़ रुपए से अधिक का ऋण लेने की पात्रता है, लेकिन अभी तक सरकार ने 12 हजार करोड़ का ही ऋण लिया है। यह कर्ज राज्य सरकार द्वारा आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने और विकास परियोजना को गति देने के नाम पर लिया गया है।
मप्र पर कितना है कर्ज
मध्यप्रदेश का बजट 2.79 लाख करोड़ का है, तो वहीं कर्ज 3.31 लाख करोड़ रुपए है। राज्य सरकार ने 2020-21 में 52 हजार 413 करोड़ रुपए, 2021-22 में 40 हजार 82 करोड़ रुपए का कर्ज लिया। यानी हर महिने करीब 3 हजार 900 करोड़ रुपए का कर्ज लिया गया है।
इस साल ब्याज की राशि 22 हजार करोड़
 जो कर्जा मध्यप्रदेश सरकार ने लिया है उसका ब्याज जनता से  वसूले गए टैक्स की राशि से भरा जाता है। अगर सरकार के आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रदेश सरकार ने वित्तीय वर्ष 2019-20 में 14 हजार करोड़ की राशि सिर्फ ब्याज भरने में चुकाई है। 2020-21 में 16 हजार करोड़ रुपए की राशि केवल ब्याज में दी गई। 2021-22 में ब्याज की यह राशि बढ़कर 20 हजार करोड़ हो गई।  माना जा रहा है कि साल 2022-23 में अनुमनित ब्याज की राशि 22 हजार करोड़ रुपए की हो सकती है।  विकास योजनाओं के क्रियान्वयन के नाम पर यह कर्ज लिया जा रहा है, लेकिन सरकार इससे पहले भी कई बार कर्ज ले चुकी है। जिसके एवज में एक बड़ी राशि ब्याज चुकाने में ही खर्च हो रही है।  प्रदेश सरकार अबतक जो कर्ज ले चुकी है उसका ब्याज जनता से वसूले गए टैक्स के पैसों से चुकाया गया है।

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