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डेढ़ दशक की राजनीति के बाद भोपाल में सजेगा श्रीमंत का दरबार

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भोपाल। मप्र की राजनीति का बड़ा चेहरा होने के बाद भी श्रीमंत डेढ़ दशक में चुनावी समय छोड़ कभी भी प्रदेश में सक्रिय नजर नहीं आए। इस अवधि में वे गाहे बगाहे जरुर अपने संसदीय क्षेत्र में आते जाते रहे हैं। इस डेढ़ दशक में उनका ठिकाना पूरी तरह से दिल्ली में ही बना रहा। अब दल और मन दोनों ही बदलने के बाद उनकी कार्यशैली में भी बदलाव नजर आना शुरू हो गया है। इसका असर भी आमजन को दिखना शुरू हो गया है। अब वे पहले की अपेक्षा प्रदेश में अधिक आवाजाही कर रहे हैं।

भोपाल में उनकी सरकारी बंगले की चाहत तो बहुत पुरानी है, लेकिन पहले भाजपा की और फिर कांग्रेस की सरकार में उन्हें निराशा ही मिलती रही, लेकिन दलबदल के बाद भाजपाई बनने के बाद अब उनकी यह मंशा पूरी हो गई है। यह बंगला उनके निवास के साथ ही लोगों की समस्या निदान का केन्द्र बनने वाला है। सूत्रों की माने तो इस बंगले के दरवाजे प्रदेश की जनता के लिए खुले रहेंगे। शुरूआत में श्रीमंत यहां पर अपना जनता दरबार लगाकर लोगों की समस्याओं को सुनकर निराकरण करवाने की पहल करेंगे। इसके माध्यम से वे प्रदेश की जनता से सीधे जुड़ाव का प्रयास करने वाले हैं। यही नहीं उनकी गैरमौजूदगी में भी इस बंगले पर उनके नियमित स्टॉफ द्वारा लोगों की समस्याओं का निराकरण का प्रयास किया जाएगा। भाजपा में आने के बाद उनकी बदली हुई कार्यशैली सभी को आश्चर्यचकित कर रही है। कांग्रेस में रहते वे बेहद कम मौकों पर ही भोपाल आते थे। यह बात अलग है कि अपने संसदीय क्षेत्र गुना-शिवपुरी आते-जाते समय वे जरुर विमानतल के पास ही होटल कुछ देर के लिए पहुंचते थे।

भाजपा में आने के बाद जरुर उनके भोपाल दौरों में तेजी से वृद्धि हुई है। अब वे न केपल भोपाल में रुकने लगे हैं, बल्कि पार्टी के कार्यक्रमों में भी लगातार शामिल हो रहे हैं। यही नहीं वे अब पार्टी नेताओं के घर भी आने -जाने लगे हैं। बीते एक साल के अंदर वे कांग्रेस के उलट संघ और भाजपा कार्यालय में भी जा चुके हैं। यह बात अलग है कि इस बीच उन्हें होटल या वीआईपी गेस्ट हाउस में ही रहना पड़ा है। अब जाकर सरकार द्वारा उन्हें श्यामला हिल्स क्षेत्र के उस इलाके में सरकारी बंगला आवंटित किया गया है, बताया जाता है कि उनके स्टॉफ में दो और लोगों को लाया जा रहा है। यह दोनों ही उनके विश्वसनीय माने जाते हैं। सूत्रों की कहना है कि बंगले का काम पूरा होने के बाद श्रीमंत लगातार भोपाल आना जाना शुरू करेंगे। बगंले पर तैनात स्टॉफ लगातार आम लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए पत्र व्यवहार करने से लेकर सरकारी स्तर पर संपर्क करने का भी काम करेगा।
समर्थकों में दिख रहा उत्साह: श्रीमंत द्वारा अपना नया ठिकाना भोपाल में बनाए जाने को लेकर उनके समर्थकों में उत्साह देखा जा रहा है। इस नए ठिकाने से अब मंत्री, विधायकों से लेकर उनके समर्थकों को मेल मुलाकात के लिए अब ग्वालियर या दिल्ली की यात्रा नहीं करनी पड़ेगी। उनके समर्थक जनता से सीधे जुड़ाव के इस कदम को भविष्य के हिसाब से राजनीतिक फायदे के रुप में देख रहे हैं।
बदलेगा आवभगत का तरीका
संगठन की नाराजगी की बाद से अब श्रीमंत की आवभगत का तरीका पूरी तरह से बदल जाएगा। अब पहले की तरह कांग्रेसी संस्कृति की तरह स्वागत सत्कार नहीं दिखेगा। श्रीमंत के स्वागत में अब न तो विमानतल पर समर्थकों के बीच धक्का मुक्की और न ही नारेबाजी होगी । यही नहीं उनके कटआउट-बैनर्स के साथ वाहन रैली भी पूरी तरह से बंद रहेगी। सादे और शालीन तरीके से विमानतल की लॉबी में समर्थकों को लाइन में खड़ा होकर उनका स्वागत करना होगा। रास्ते में स्वागत-सत्कार का सिलसिला भी पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। संगठन ने श्रीमंत समर्थकों को कांग्रेसी स्टाइल से दूर रहने की नसीहत दे दी है। दरअसल भाजपाई होने के बाद भी उनके कुछ समर्थक पुरानी परंपरा के अनुसार श्रीमंत के साथ वाहनों का काफिला लेकर चलते थे, बल्कि हर बार चौक-चौराहों पर कटआउट-बैनर्स के साथ सड़कों पर रैली निकालने में लग जाते थे। इस पर प्रदेश संगठन ने खासी नाराजगी जाहिर की थी। इस मामले में संगठन ने श्रीमंत को भी अवगत करा दिया था। यही वजह है कि इसके बाद श्रीमंत के बीते दौरे में इस बदलाव की झलक साफ दिखाई दी।

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