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राजस्थान की कोचिंग नगरी या शिक्षा की काशी के रूप में उभर रहा है सीकर

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राजस्थान के सीकर में एक नया शब्द प्रचलित है: ‘700 पार की भरमार’. यह वाक्यांश बिजली के खंभों, पेड़ों के तने और दीवारों पर चिपकाए गए होर्डिंग्स, पैम्फलेट और पोस्टरों पर चमक रहा है. सीकर अपनी NEET-UG 2024 की सफलता का जश्न मना रहा है, और अब यह भारत की शीर्ष कोचिंग फैक्ट्री के रूप में कोटा को पछाड़ने की कोशिश कर रहा है. इस साल, सरकारी मेडिकल सीटों में से 6.8 प्रतिशत सीकर के उम्मीदवारों को मिलेंगी. इसने पूरे देश का ध्यान खींचा है.

“मैं चाहता हूं कि मेरे दोनों बेटे डॉक्टर बनें. मेरे रिश्तेदारों ने कोटा का सुझाव दिया था, लेकिन वहां आत्महत्याओं और जीवन की उच्च लागत के कारण, मैंने सीकर को चुना,” मोहम्मद शरीफ ने कहा, जिन्होंने हरियाणा के नूह से 250 किलोमीटर की यात्रा करके अपने बच्चों को सीकर कोचिंग संस्थान में दाखिला दिलाया. वह गुरुकृपा करियर इंस्टीट्यूट के वेटिंग हॉल में एक कप चाय पीते हैं, जो एक पांच सितारा रेस्तरां को कड़ी टक्कर दे सकता है.

दशकों से, कोटा के कोचिंग संस्थान प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए ‘स्वर्ण मानक’ थे. हर साल, भारत भर से दो लाख से अधिक छात्र इस तनाव भरे प्रेशर-कुकर वाले शहर में आते हैं. हालांकि, हाल के वर्षों में छात्रों की आत्महत्याओं में वृद्धि के कारण कोटा की प्रतिष्ठा धूमिल हुई है, जिसने सीकर के उत्थान का मार्ग प्रशस्त किया है.

जयपुर और कोटा की छाया में रहने वाला यह कम जाना-पहचाना शहर अब NEET-UG परीक्षा में 720 में से 700 से अधिक अंक प्राप्त करने वाले सबसे अधिक छात्रों (149) के होने का दावा करता है, जबकि कोटा के 74 छात्र ही NEET-UG परीक्षा में उत्तीर्ण हुए हैं. 650+ स्कोर श्रेणी में, सीकर के 2,037 उम्मीदवार कोटा के 1,066 से कहीं अधिक हैं. इस वर्ष की NEET-UG परीक्षा को रद्द करने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में भी सीकर के प्रभावशाली ‘प्रदर्शन’ का मुद्दा छाया रहा. मंगलवार (24 जुलाई) को, कोर्ट ने पुनर्परीक्षण याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह ‘उचित नहीं’ है.

शरीफ ने कहा, “NEET विवाद ने बच्चों और परिवारों का मनोबल गिरा दिया है. इससे उबरने में लंबा समय लगेगा.” इसके बावजूद, उन्हें यकीन है कि सीकर उनके बेटों के लिए सबसे अच्छी जगह है, और गुरुकृपा उनकी पहली पसंद है.

सीकर के उल्लेखनीय परिणामों ने कोचिंग संस्थानों सहित सभी को आश्चर्यचकित कर दिया. यह पहली बार है जब राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद छात्रों के प्रदर्शन का जिलावार विवरण जारी किया है.

1996 में अपने पिता द्वारा स्थापित कोचिंग लाइन सेंटर के सीईओ साहिल चौधरी ने कहा, “हमें नहीं पता था कि हम टॉप पर हैं.”

सीकर में सबसे अधिक छात्र (149) हैं, जिन्होंने NEET-UG 2024 परीक्षा में 720 में से 700 से अधिक अंक प्राप्त किए हैं, जबकि कोटा में 74 छात्र हैं. 650+ स्कोर श्रेणी में, सीकर के 2,037 उम्मीदवार कोटा के 1,066 से कहीं अधिक हैं.

2015 में आए प्रतियोगी परीक्षाओं में उछाल से पहले, सीकर में केवल छह से सात कोचिंग संस्थान थे. आज, दो मोहल्लों में 20 से अधिक कोचिंग संस्थान हैं: पिपराली रोड और नवलगढ़ रोड. डीएस इंस्टीट्यूट, आकाश, एलन, सीएलसी, मैट्रिक्स और अनएकेडमी जैसे बड़े नामों ने सीकर में केंद्र स्थापित किए हैं, जो उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और यहां तक ​​कि पूर्वोत्तर से छात्रों को आकर्षित कर रहे हैं.

अपनी हवेलियों, किलों और खाटू श्याम मंदिर के लिए मशहूर यह शहर अब अपने शांत और पर्यटन वाली छवि को बदल रहा है. हालांकि, सीकर के निवासी और कोचिंग सेंटर संचालक कोटा की लेबलिंग अपने ऊपर नहीं चाहते हैं. वे ‘मिनी कोटा’ कहे जाने का विरोध करते हैं.

स्काईलाइन पर छाए होर्डिंग्स सीकर को कोचिंग नगरी या शिक्षा की काशी बताते हैं.

“सीकर का विकास स्वाभाविक है. 2006 में गुरुकृपा कोचिंग सेंटर शुरू करने वाले राजेश कुल्हारी ने कहा, “कोटा, दिल्ली, जयपुर की तुलना में हम अपने छात्रों पर व्यक्तिगत ध्यान देते हैं.”

अगला बड़ा कोचिंग हब

अगर गुरुकृपा का दावा है कि 700 अंकों की सीमा को पार करने वाले 149 छात्रों में से 115 उनके संस्थान से थे, तो दूसरे संस्थान भी अपनी सफलता का बखान करने में पीछे नहीं हैं. डीएस इंस्टीट्यूट के एंट्री गेट पर मरून टी-शर्ट पहने छात्र बड़े पीले रंग के होर्डिंग को देखते हैं, जिस पर लिखा है, ‘सीकर में पहला साल, पहला प्रयास, और रच दिया इतिहास.’

यह डीएसआई का यह घोषित करने का तरीका है कि हालांकि वे इस छात्र में एक नए खिलाड़ी हैं, लेकिन उन्होंने पहले ही प्रतियोगी परीक्षाओं में अपनी पहचान बना ली है.

सीकर, जो अपनी हवेलियों, किलों और खाटू श्याम मंदिर के लिए जाना जाता है, अपना शांत और पर्यटन स्थल वाली छवि को खो रहा है. हालांकि, सीकर के निवासी और कोचिंग सेंटर संचालक इसे ‘मिनी कोटा’ कहे जाने का विरोध करते हैं.

जब मुख्य प्रबंध निदेशक पवन चौधरी गंगानगर शहर से सवाई माधोपुर में अपने कोचिंग सेंटर का विस्तार करने की सोच रहे थे, तो सीकर स्पष्ट रूप से एक बेहतर विकल्प था. कोटा काफी सेचुरेट हो चुका है.

उन्होंने कहा, “सीकर एजुकेशन की मार्केट है और इसी को ध्यान में रखते हुए हमने यहां शुरुआत की.” इस साल के NEET के नतीजे उनके लिए लिटमस टेस्ट थे और कई छात्रों ने 700 से ज़्यादा अंक हासिल किए. NEET और JEE की कोचिंग प्रदान करने वाले डीएस इंस्टीट्यूट की सीकर शाखा में करीब 1,600 छात्र एनरोल हैं.

साहिल चौधरी (कोचिंग लाइन सेंटर), पवन और कुल्हारी (गुरुकृपा) जैसे संस्थान प्रमुख इस बात पर ज़ोर देते हैं कि वे ‘कोटा मॉडल’ की नकल नहीं कर रहे हैं. एक बात यह है कि कक्षाएं छोटी हैं, जिनमें करीब 100-150 छात्र होते हैं. शिक्षण मॉड्यूल इस बात को ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन किए गए हैं कि ज़्यादातर छात्र छोटे शहरों और गांवों से हैं.

पवन ने कहा, “सीकर आने वाले ज़्यादातर बच्चे ग्रामीण पृष्ठभूमि से हैं और उन्हें उनके अपने तरीके से पढ़ाने का प्रयास किया जाता है. कोटा की तुलना में यहां के कोचिंग सेंटर ‘कम पेशेवर’ हैं क्योंकि हम अपने छात्रों से व्यक्तिगत स्तर पर जुड़ने पर ज़ोर देते हैं.”

उदाहरण के लिए, CLC सीकर या आस-पास के इलाकों से ही टीचर्स को नियुक्त करना पसंद करता है. साहिल चौधरी ने कहा, “बाहर से आने वाले लोग बच्चों से उस तरह से नहीं जुड़ पाते, जैसा हम जुड़ते हैं.” सीएलसी की टैगलाइन है: शिक्षा, संस्कार, सुरक्षा, सफलता.

सीकर में आने वाले ज़्यादातर बच्चे ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते हैं और उन्हें उनके अपने तरीके से पढ़ाने की कोशिश की जाती है. कोटा की तुलना में यहां के कोचिंग सेंटर ‘कम पेशेवर’ हैं, क्योंकि हम अपने छात्रों से व्यक्तिगत स्तर पर जुड़ने पर ज़ोर देते हैं

— पवन चौधरी, मुख्य प्रबंध निदेशक, डीएस इंस्टीट्यूट

फिजिक्स वाला और अनएकेडमी जैसे जाने-माने ब्रांड भी ज़्यादा व्यक्तिगत ध्यान के लिए छोटी कक्षाएं आयोजित करके इसी तरह की परंपराओं का पालन करते हैं. ज़्यादातर कोचिंग सेंटरों की सालाना फीस 1-1.10 लाख रुपये है, जिसमें ज़रूरत के हिसाब से छात्रवृत्ति भी दी जाती है. हालांकि, इस बात की आशंका है कि सीटों के लिए होड़ की वजह से छात्रों की संख्या और फ़ीस में बढ़ोतरी होगी, जिसका मक़सद मुनाफ़े को बढ़ाना है.

कुल्हारी ने कहा, “फ़िलहाल, NEET और IIT-JEE कोचिंग क्लास में लगभग 80,000 छात्र एनरोल्ड हैं. कई संस्थान SSC परीक्षा और डिफेंस के लिए भी प्रशिक्षण देते हैं. कुल मिलाकर, लगभग एक लाख छात्र सीकर की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में सहयोग करते हैं.” उनका अनुमान है कि सीकर की कोचिंग अर्थव्यवस्था लगभग 2,000 करोड़ रुपये की है, जो कोटा के 6,000 करोड़ रुपये के उद्योग का एक तिहाई है.

प्रतियोगी परीक्षा के ईको सिस्टम में सीकर के उभर के आने को केवल हाल के परिणामों से नहीं मापा जा सकता है. शहर में एक मजबूत स्कूल प्रणाली है और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के जिलों के लिए प्रदर्शन ग्रेडिंग सूचकांक के अनुसार, स्कूली शिक्षा में सर्वोच्च प्रदर्शन करने वाला जिला था.

शीर्ष संस्थानों में से एक एलन ने अपने क्षेत्रीय विस्तार योजना के हिस्से के रूप में सीकर में एक केंद्र खोला है.

एक वरिष्ठ फैकल्टी मेंबर ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “एलन सीकर एलन कोटा की नकल है. कोटा में जो कुछ भी होता है,यहां भी वही होता है,” उन्होंने जोर देकर कहा कि एलन के ‘आगमन’ से सकारात्मक बदलाव आए हैं, जिसमें अधिक पेशेवर शिक्षण और बेहतर गुणवत्ता वाली छात्रावास सुविधाएं शामिल हैं. उन्होंने कहा, “हमारे पास शहरी क्षेत्रों से अधिक छात्र आ रहे हैं. फिर भी, सीकर को कोटा के स्तर तक पहुंचने में कई साल लगेंगे.”

एक दशक में यह शहर बदल चुका है. यह इलाका कभी सुनसान हुआ करता था और लोग रात में यहां आने से डरते थे, लेकिन आज यह हमेशा चहल-पहल से भरा रहता है

एक दशक में यह शहर बदल चुका है. यह इलाका कभी सुनसान हुआ करता था और लोग रात में यहां आने से डरते थे, लेकिन आज यह हमेशा चहल-पहल से भरा रहता है

— सीकर में महाराजा ब्वॉयज़ हॉस्टल चलाने वाले मुकेश कुमार

राजस्थान के सीकर में सड़क पर छात्र | फोटो: कृष्ण मुरारी

सीकर की अर्थव्यवस्था में उछाल

पिपराली रोड सीकर का मुखर्जी नगर है. चाय की दुकानें, लॉन्ड्रोमेट और स्टेशनरी की दुकानें हॉस्टल, पेइंग गेस्ट आवास और सुपरमार्केट के साथ-साथ हैं. यह हमेशा छात्रों से भरा रहता है, जो या तो किताबों में डूबे रहते हैं या चाय की चुस्कियों के साथ करंट अफेयर्स पर बहस करते रहते हैं.

महाराजा बॉयज हॉस्टल में, रसोइया एक पेड़ के नीचे कढ़ी बनाता था जबकि छात्र पहली मंजिल से देखते थे. मुकेश कुमार ने कोचिंग संस्थानों में वृद्धि देखकर हॉस्टल खोलने का फैसला किया. लेकिन 12 कमरों में रहने वाले 24 छात्रों के लिए भोजन और आवास सस्ता नहीं है – वह सालाना 1 लाख रुपये और महीने में 8,000 रुपये से थोड़ा अधिक शुल्क लेते हैं.

सीकर के एक कॉलेज से बीएड करने वाले मुकेश ने कहा, “यह शहर एक दशक में बदल गया है. यह इलाका सुनसान हुआ करता था और लोग रात में यहां आने से डरते थे, लेकिन आज यह हमेशा व्यस्त रहता है.”

फोटो: कृष्ण मुरारी

छात्रों को दिन में तीन बार भोजन उपलब्ध कराने वाले मुकेश ने कहा, “अब हमें छात्रों से रोजगार मिल रहा है. वे इस शहर की पहचान हैं.” उनका अनुमान है कि सीकर में 3,000-5000 छात्रावास हैं. निवासी भी छात्रों के लिए अपने घर खोल रहे हैं.

साहिल चौधरी के अनुसार, पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था. “आज, कई परिवारों के लिए आय का मुख्य स्रोत किराया है.” छात्रों की आमद को देखते हुए नए होटल बनाए जा रहे हैं, खासकर NEET के नतीजों के बाद, और जमीन की कीमतें आसमान छू रही हैं.

तीन साल पहले, पिपराली रोड पर जमीन 55,000 रुपये प्रति गज पर उपलब्ध थी. अब यह 1.5 लाख रुपये प्रति गज पर पहुंच गया है

— राहुल कुमावत, प्रॉपर्टी डीलर

हालांकि, बाकी बुनियादी ढांचे ने इस तेजी से बढ़ते उद्योग के साथ तालमेल नहीं रखा है. खराब कनेक्टिविटी, स्ट्रीट लाइट और पार्कों की कमी और खराब सड़कें कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें कोचिंग संस्थान के मालिक उठाते रहते हैं. ये बुनियादी सुविधाएं हैं जिनकी किसी भी शिक्षा केंद्र को जरूरत होती है. कई कोचिंग संस्थान मालिकों ने कहा कि तभी सीकर का विस्तार होगा.

फोटो: कृष्ण मुरारी

कोटा से डरकर सीकर को चुना

राजस्थान के टोंक जिले के विकास मीणा उन हजारों छात्रों में से एक हैं, जिन्होंने NEET प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए कोटा छोड़कर सीकर जाने का फैसला किया. विकास ने इस साल अप्रैल में सीकर में दाखिला लिया, जबकि टोंक कोटा से करीब है. वह अलवर के बृजेश के साथ अपना कमरा शेयर करता है.

मीणा ने कहा, “टोंक कोटा से सिर्फ 150 किलोमीटर दूर है, लेकिन वहां के बिगड़ते माहौल और महंगी कोचिंग ने मुझे सीकर चुनने के लिए मजबूर कर दिया.”

विकास और बृजेश दोनों के भाई सीकर में पढ़े हैं और उन्होंने कोटा की तुलना में कम दबाव वाले माहौल की वजह से इसका सुझाव दिया है.

बृजेश ने कहा, “सीकर उभरते हुए चरण में है, इसलिए देखभाल की गुणवत्ता और स्तर उच्च है. कोटा में काफ़ी प्रतिस्पर्धा है, लेकिन यहां हम पर दबाव बनाने वाली ऐसी कोई दौड़ भरी प्रतियोगिता नहीं है. कम टेस्ट, नियमित मोटीवेशनल बातचीत, छात्रों और टीचर्स के बीच की आपसी बातचीत-शिक्षक आमने-सामने की बातचीत और सीकर का अल्प शहरीकरण इस शहर को दबाव मुक्त बनाती है,”

विकास और बृजेश ने कोटा के बदले सीकर के कोचिंग इन्स्टीट्यूट को चुना | फोटो: कृष्ण मुरारी

बृजेश ने कहा कि कोटा अक्सर खाने की मेज पर चर्चा में आता है और यह इतना बदनाम हो बन गया है कि अब बहुत कम लोग वहां जाना चाहते हैं.

17 वर्षीय बृजेश ने कहा, “मैं एक गांव से हूं और मैंने अपने पिता को मेरी शिक्षा के लिए संघर्ष करते देखा है. दबाव के बावजूद, मेरे पास एक जिम्मेदारी है, इसलिए मेरे परिवार को पिछड़ेपन से बाहर निकालने के लिए आत्महत्या कोई विकल्प नहीं है. सीकर में, कई छात्र ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते हैं और ज्यादातर की एक जैसी ही कहानी होती है.”

इस साल अकेले कोटा में 13 छात्रों ने कथित तौर पर अपनी जान ले ली है. 2023 में, यह आंकड़ा 26 तक पहुंच गया था, जिससे जिला प्रशासन में व्यापक दहशत फैल गई, जिसकी वजह से कोचिंग संस्थानों में एनरोल्ड छात्रों की सुरक्षा की निगरानी के लिए स्थानीय पुलिस को भी तैनात किया गया. परिवार अपने बच्चों को कोटा भेजने के बारे में दोबारा विचार करने लगे. इस साल, कोचिंग हब में दाखिले में भारी गिरावट देखी गई.

मैं एक गांव से हूं और मैंने अपने पिता को मेरी शिक्षा के लिए संघर्ष करते देखा है. दबाव के बावजूद, मुझ पर एक जिम्मेदारी है, इसलिए मेरे परिवार को पिछड़ेपन से बाहर निकालने के लिए आत्महत्या कोई विकल्प नहीं है. सीकर में, कई छात्र ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते हैं और ज्यादातर की कहानी एक जैसी ही है.

— सीकर में पढ़ रहे अलवर के एक उम्मीदवार बृजेश

कोचिंग संस्थान चाहे जो भी दावा करें, लेकिन सीकर के पास सभी सवालों के जवाब नहीं हैं. यह ध्यान देने वाली बात है कि यहां किसी छात्र की मौत की खबर राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शायद ही कभी सुर्खियों में आती है. आंकड़ों की कमी से मामला और उलझ जाता है.

नाम न बताने की शर्त पर सीकर के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “कोटा में दबाव का माहौल था. शुरुआत में मामले कम थे, लेकिन धीरे-धीरे मामले बढ़ते गए. हमें डर है कि उद्योग बढ़ने के साथ ही सीकर में भी ऐसा होगा.”

“कोचिंग सेंटरों को यह सुनिश्चित करना होगा कि आत्महत्या के मामले में सीकर नया कोटा न बन जाए.” फिलहाल, जिला प्रशासन छात्रों की सेहत पर नज़र रखने के लिए कोचिंग संस्थानों के साथ हर महीने बैठकें करता है.

पिछले साल, इस समस्या से निपटने के प्रयास में, राजस्थान सरकार ने कोचिंग सेंटरों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे, जिसमें कहा गया था कि वे टॉपर्स का महिमामंडन न करें या छात्रों को उनके शैक्षणिक प्रदर्शन के आधार पर अलग-अलग न करें.

हालांकि, सीकर के NEET-UG 2024 के प्रदर्शन की घोषणा और जश्न मनाने वाले अधिकांश होर्डिंग्स पर छात्रों के चेहरे लगे हुए हैं. विशाल पोस्टरों पर सफेद कोट और स्टेथोस्कोप पहने युवा पुरुष और महिलाएं उम्मीदवारों के नए आने वाले अभ्यर्थियों को देखकर मुस्कुरा रहे होते हैं.

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