23 वर्षीय भगत सिंह की लहू ने समूचे देश को अंग्रेजों के खिलाफ गोलबंद कर दिया था तो वहीं अब महज 23 वर्ष के शुभकरण की लहू ने एक बार फिर समूचे देश को अंग्रेजों के जासूस और दलाल मोदी सरकार और भाजपा के खिलाफ गोलबंद कर दिया है. 23 वर्ष के शुभकरण की शहादत ने संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं को झकझोर कर रख दिया और अब वह देशव्यापी लामबंदी के साथ दिल्ली पर चढ़ाई का आह्वान किया है.
ज्ञात हो कि पिछले किसान आंदोलन का नेतृत्व भी यही संयुक्त किसान मोर्चा ने किया था और अपने 13 महीने के सतत आंदोलन और 700 से अधिक किसानों की शहादत के बाद मोदी सरकार को घुटनों पर बिठा दिया था. संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) देश मर के 500 से अधिक किसान संगठनों का संयुक्त मोर्चा है, जिसने कल 22 फरवरी को राष्ट्रीय बैठक कर अपनी ठोस रणनीति का ऐलान किया है.
संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी राष्ट्रीय बैठक के बाद प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि एसकेएम की आम सभा ने आज अपनी लंबित मांगों को लेकर और किसानों के संघर्ष के दमन के खिलाफ पूरे भारत में कई कार्यक्रमों के साथ किसानों की एक विशाल लामबंदी आयोजित करने का फैसला किया.
आम सभा ने शहीद शुभकरण सिंह को श्रद्धांजलि दी, जिनकी कल पुलिस गोलीबारी में मौत हो गई थी, जब हरियाणा पुलिस ने अवैध रूप से सीमा पार किया और प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई. पुलिस ने प्रदर्शन स्थल पर किसानों के कई ट्रैक्टरों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया.
एसकेएम ने किसान आंदोलन को अलग-थलग करने और विभाजित करने के लिए प्रदर्शनकारियों पर गंभीर दमन करने, पंजाब के लोगों के बीच अलगाव पैदा करने और इस विभाजन का चुनावी लाभ उठाने की कोशिश करने की साजिश रचने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को सीधे तौर पर दोषी ठहराया.
एसकेएम ने अमित शाह और हरियाणा के मुख्य मंत्री और राज्य के गृह मंत्री, मनोहर लाल खट्टर और अनिल विज के इस्तीफे की मांग करते हुए प्रदर्शनकारियों की हत्या और चोट और विरोध स्थल पर कई ट्रैक्टर को नुकसान पहुंचाने के लिए पंजाब सरकार से उनके और हरयाणा पुलिस के खिलाफ धारा 302 के तहत एफआईआर दर्ज करने की मांग की.
इसके साथ ही एसकेएम ने गोलीबारी और ट्रैक्टरों को हुए नुकसान की सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश से न्यायिक जांच कराने की मांग की. इसमें पंजाब सरकार से हरियाणा के अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की भी मांग की गई है. और शोक संतप्त परिवार को मुआवजे के रूप में 1 करोड़ रुपये और क्षतिग्रस्त 100 ट्रैक्टरों की मरम्मत के खर्च की भी मांग की.
एसकेएम की आम सभा ने किसानों की मांगों को हासिल करने, मुद्दा आधारित एकता विकसित करने और एसकेएम का हिस्सा रहे सभी किसान संगठनों को एकजुट करने के उद्देश्य से संयुक्त कार्य योजना बनाने के लिए सभी पूर्व एसकेएम सदस्यों के साथ परामर्श करने के लिए एक छह सदस्यीय समिति बनाने का निर्णय लिया. सदस्यों में हन्नान मोल्ला, जोगिंदर सिंह उगराहां, बलबीर सिंह राजेवाल, युद्धवीर सिंह, दर्शन पाल और रमिंदर पटियाला शामिल हैं.
एसकेएम ने 23 फरवरी 2024 को पुतले दहन, मशाल जुलूस और विरोध प्रदर्शन करके दमन के खिलाफ काला दिवस/आक्रोश दिवस के रूप में मनाने का आह्वान किया. केंद्रीय श्रमिक संगठनों, स्वतंत्र/क्षेत्रीय फेडरेशनों के संयुक्त मंच ने पहले ही 23 फरवरी को काला दिवस का आह्वान किया था और जिला, स्थानीय और ग्राम स्तर पर विरोध को सफल बनाने के लिए किसान और मजदूर समन्वय स्थापित करेंगे.
एसकेएम ने 26 फरवरी 2024 को डब्ल्यूटीओ छोड़ो दिवस के रूप में मनाने का भी आह्वान किया, जिस दिन डब्ल्यूटीओ सम्मेलन अबू दाबी में शुरू होने जा रहा है. डब्ल्यूटीओ भारत सरकार को किसानों को एमएसपी न देने के साथ-साथ धन के रूप में लाभ के सीधे हस्तांतरण का तर्क देकर पीडीएस को वापस लेने के लिए मजबूर करने के लिए जिम्मेदार है.
दोनों प्रस्ताव किसानों, गरीबों और भारत की खाद्य सुरक्षा और संप्रभुता के लिए हानिकारक हैं. एसकेएम ने देश के किसानों से अपील किया है कि वे डब्ल्यूटीओ छोड़ने की मांग को लेकर सामूहिक बैठकें आयोजित करें और सरकार की नीति का विरोध करने के लिए यातायात को अवरुद्ध किए बिना राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों पर मार्च करें और अपने ट्रैक्टरों को खड़ा करें.
एसकेएम संघर्ष को तेज करने के लिए 14 मार्च को नई दिल्ली के रामलीला मैदान में एक विशाल किसान मजदूर महापंचायत आयोजित करेगा. इस महापंचायत में एसकेएम केंद्रीय श्रमिक संगठनों के संयुक्त मंच, अन्य मजदूर संगठनों, छात्रों, युवाओं, महिलाओं, सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं, छोटे व्यापारियों सहित सभी वर्गों से एकजुटता में भाग लेने की अपील करता है.
इस विशाल रैली से पहले एसकेएम की राज्य इकाइयों से केंद्रीय श्रमिक संगठनों के संयुक्त मंच के साथ समन्वय स्थापित करके किसानों के संघर्ष पर दमन रोकने और मांगों के समर्थन में पदयात्रा और राज्य राजधानी में राजभवन के समक्ष रैलियां आयोजित करने का आह्वान करता है.
चंडीगढ़ के किसान भवन में आयोजित संयुक्त किसान मोर्चा की आम सभा में पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, केरल, हरियाणा, झारखंड, उत्तराखंड, दिल्ली और पंजाब के 100 से अधिक सदस्य प्रतिनिधि शामिल हुए थे.