राजेंद्र शुक्ला, मुंबई
बहुधा हम अपने जीवन में बहुत सी बातों की इसलिए उपेक्षा कर देते हैं, कि हमें लगता है वह बहुत छोटी बातें हैं, उनसे भला व्यक्ति, परिवार और समाज पर क्या असर पड़ता है?
उदाहरण के लिए केला खाकर सड़क पर छिलका फेंक दिया, किसी ने टोक दिया तो उत्तर मिलेगा- “इससे कौन सा प्रलय हो जाएगा?”
इधर-उधर थूकते फिरने, लाइन तोड़कर पहले टिकट लेने के लिए आगे बढ़ने, यातायात के नियमों को तोड़कर सड़क पर घूमने जैसी बातों को लोग महत्व नहीं देते, क्योंकि उनकी दृष्टि में यह बहुत साधारण और छोटी-छोटी बातें हैं, लेकिन छोटी-छोटी बातों को छोटी होने के कारण उपेक्षित नहीं किया जाना चाहिए।
विष का जरा सा अंश जीवन संकट खड़ा कर देता है। एक छोटी सी ब्लेड प्राणान्त की स्थिति ला देती है। एक छोटा सा घाव नासूर बनकर शरीर को गलाने लगता है। छोटी सी खरोच टिटेनस जैसा प्राणघाती रोग उत्पन्न कर देती है।
यह तो सामान्य जीवन की बातें हुई। सामाजिक जीवन में छोटी-छोटी बातों के कितने परिणाम होते हैं, इसके अनेकों उदाहरण यत्र-तत्र बिखरे पड़े हैं।
छोटी-छोटी लापरवाहियों के बहुत बड़े दुष्परिणाम होते हैं। जीवन में छोटी-छोटी बातों का महत्व दर्शाते हुए प्रसिद्ध विचारक बट्रेंड रसेल ने लिखा है- “आदमी की परख बड़ी-बड़ी बातों से उतनी नहीं होती, जितनी की छोटी बातों से। ये ही आगे चलकर बड़ी हो जाती है।
छोटा सा छेद बड़े से बड़े जहाज को डूबो देता है, छोटी सी फुंँसी बड़े से बड़े पहलवान को मार सकती है। अतः छोटी बातों की अपेक्षा न कीजिए। वे बड़ी से बड़ी बातों से भी बड़ी है।”
हम अपने में झांँकें, निहारें, देखें कि कहीं ऐसी थोड़ी सी भूल- चूक तो नहीं हो रही है? यदि कहीं कोई राईरत्ती भी दिख पड़े, तो उसे निकाल फेकें। इसी तरह जीवन में क्रांतिकारी मोड़ भी छोटे-छोटे अवसरों के माध्यम से आते हैं, उन्हें परखें और अपनायें। जीवन कहांँ से कहांँ पहुंँच जाएगा।
व्यक्तित्व के विकास के लिए इन्हीं सब छोटी-छोटी बातों में सावधानी बरतना आवश्यक है। वही व्यक्ति प्रभावशाली है, जो अपने जीवन की छोटी-छोटी बातों पर भी ध्यान देता है।