आर एन टी मार्ग, श्रीमाया से रीगल की तरफ रांग साइड से एक बाइक चालक चले आ रहे हैं, उन्होंने बाइक की टंकी पर एक नन्हे बालक को भी बैठा रखा है वो भी बगैर किसी सुरक्षा उपकरण के। एक बिल्डिंग की पार्किंग से दूसरी बाइक निकलती है और चूंकि यह मार्ग वन वे है अतः वो स्वाभाविक रूप से लेफ्ट टर्न लेता है और टर्न लेते ही सामने से रांग साईड आ रही बाइक से उसकी टक्कर हो जाती है। चित्र 1 में वो नन्हा मासूम स्पष्ट दिखाई पड़ रहा है और चित्र 2 में वो गायब है।
अब ऐसे में दोष किसको दिया जाएगा ? सही दिशा में जाने वाले बाइक चालक को, पुलिस को, प्रशासन को, नगर निगम को, सरकार को, या किसी और को ?
वो तो ईश्वर की असीम अनुकम्पा थी कि दोनों ही बाइक की गति कम थी, अतः टक्कर का झटका जोरदार नहीं था, अन्यथा एक बड़ी ह्रदय विदारक दुर्घटना घट गई होते जिसमें उस नन्हे मासूम की जान भी जा सकती थी।
सोचिए क्या होता अगर बच्चे का सर जोर से टंकी से टकराता, क्या होता अगर झटके से बच्चा बाइक से नीचे गिर जाता। कुछ भी हो सकता था।
इस तरह की संभावित दुर्घटनाओं को टालने का एक ही उपाय है कि हम यातायात नियमों के पालन की शपथ लें और अपने परिवार के समस्त सदस्यों से भी यातायात नियमों के पालन का पुरजोर आग्रह करें।
वैसे भी इतनी जल्दबाजी ठीक नहीं। ये चंद सैकंड और चंद कतरे पेट्रोल बचाने की जुगत किसी घातक दुर्घटना में भी बदल सकती है। दुर्घटना घट जाने के बाद, उसमें किसी की जान चले जाने के बाद, गलती किसकी थी यह सिद्ध कर देने से सिर्फ न्याय मिलता है, जो चला गया वो वापस नहीं मिलता।
आपको अपने परिजनों की सुरक्षा की चिंता रहती है तो अपने परिजनों की सुरक्षा के लिए उनको यातायात नियमों के पालन की शपथ दिलवाईये, देर ना कीजिए आज ही आग्रह कीजिए।
।। यातायात नियमों के पालन में ही सुरक्षा है ।।