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*ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनते ही समाजवादी क्यूबा फिर निशाने पर!*

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विजय दलाल

*सोवियत संघ और पूर्वी यूरोप के समाजवादी क़िले के ढहने और चीन के अंतर्राष्ट्रीय साम्यवादी सिद्धांतों से एक अलग जो आज की राष्ट्रीयतावाद के सिद्धांतों के ज्यादा करीब दिखता है जो दुनिया के मेहनतकशों एक हो के अंतर्राष्ट्रीय साम्यवादी सिद्धांत से अलग दिखता है उसका रास्ता अख्तियार करने के बाद दुनिया में क्यूबा अकेला देश बचा है जो समाजवाद के रास्ते चल कर साम्यवाद की ओर अग्रसर है।* भले ही अमेरिका उसे लम्बे समय तक आंतकवादी देशों की लिस्ट में डालकर भी न  अंतरराष्ट्रीय मदद से वंचित कर पाया और न ही दुनिया के सामने उसके द्वारा की गई या फैलाई गई आतंकी घटना का कोई सबूत दे पाया! बल्कि दुनिया ने इसके विपरित उसके विश्व बंधुत्व का आचरण देखा जब उसने कोरोना संक्रमण के कठीन दौर में दुनिया के कई देशों में अपनी मेडिकल टीम को भेजा।*

*अमेरिका के क्यूबा को आतंकवादी लिस्ट में शामिल होने के इतिहास को समझना होगा।*

*क्यूबा को अमेरिका का एक राज्य बनाने के लिए स्पेन से खरीदने के अपने प्रयासों में विफलता के बाद चे ग्वेरा और कास्त्रो के नेतृत्व में क्रांति के बाद सोवियत संघ के प्रभाव में आने के कारण 1982 में अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने क्यूबा को स्टेट स्पांसर ऑफ टेररिस्म की लिस्ट में डाल दिया था। अमेरिका की नाक के नीचे एक छोटा सा देश अमेरिका को छोड़कर सोवियत संघ के समाजवादी खेमे के प्रभाव में कैसे रह सकता है और विकसित हो सकता है?

*आतंकवादी की लिस्ट में शामिल होने का मतलब दुनिया के दूसरे देशों को भी अमेरिका की चेतावनी कि उसकी कोई मदद न करें।*

*मगर क्यूबा हर हालात में स्वतंत्र खड़ा रहा और अपने सीमित संसाधनों में ही विकसित होता रहा और समाजवाद की राह नहीं छोड़ी।*

*यह प्रश्न आज भी दुनिया के सामने है ? उदाहरण भी है और इसी के अंदर से  समाजवाद के भविष्य के रास्ते के लिए सबक भी!*

*1917 की रुस की क्रांति के बाद लगभग 63 सालों में सोवियत संघ को समाजवादी राष्ट्र की ओर विकसित करने के बाद 1980 के दशक में मिखाइल गोर्बाचोव के नेतृत्व 

पेरेस्त्रोइका ( पुनर्गठन) ग्लासनोस्त ( खुलापन ) यानी दो प्रमुख सुधारों का मकसद कम्युनिस्ट राज्य की आर्थिक और राजनीतिक प्रणाली में सुधार करना और व्यवस्था में पारदर्शिता और अभिव्यक्ति की आजादी को बढा़ना था। खुद के काम के अपनी जनता के प्रभावों को परखें साफ था बंद व्यवस्था ने इतने वर्षों में बदलती दुनिया से आंखें बंद करली, अमेरिकी साम्राज्यवाद से प्रतिस्पर्धा के अलावा दुनिया के इतर परिवर्तनों को जांच परखकर अपने विकास के रास्ते से मेल बिठाने के स्थान पर गैंडे की तरह एक ही दिशा में विकास को ठेला। फिर अचानक सब कुछ ताश के महल की तरह ढह गया।

*मगर समाजवादी खेमे के बिखराव के बाद भी फिडेल कास्त्रो के नेतृत्व में क्यूबा ने समाजवादी रास्ते को नहीं बदला इसलिए कि उसको बदलते समय के अनुरूप बदला।*

*समाजवादी रास्ते और बदलाव के लिए क्रांति में विश्वास रखने वालों के लिए क्यूबा एक बहुत बड़ा उदाहरण है और उसके साथ सबक और पाठ भी है।*

समाजवादी खेमे के बिखराव के समय 1992 में निकारागुआ के पत्रकार टामस बोर्गे से इंटरव्यू में कास्त्रो ने जो कहा वह हम सभी को जानना बहुत जरूरी है।

“”**1960 में सोवियत संघ और यूरोप के अन्य समाजवादी देशों के आर्थिक नियोजन में फर्क था। हमने उस फर्क की ओर हमेशा ध्यान रखा।वो यूरोपीय व्यवस्था पर आधारित थे हमने उनकी नकल की थी।

सोवियत संघ में विकास कार्यक्रम बहुत ही शक्तिशाली थे और जिन प्रधान निर्णयों ने सोवियत संघ को बड़ी आर्थिक शक्ति बनना संभव किया वह पूंजीवादी अर्थों में आय प्राप्ति की क्षमता या इस तरह के सोच से जुड़े हुए नहीं थे।

*यह दर्शन हमने भी लागू किया। 10-11 साल हमने भी इनके परिणामों का इंतजार कर रहे थे ढ़ेर सारी विकृतियां सामने आयी हमने उसे रोक दिया आगे के आर्थिक चिंतन को समय के अनुरूप बनाया।

आपको किसी सिद्धांतकार, राजनीतिज्ञ के विचार या किसी भी धारा के राजनीतिक विचार को अनन्य विचार या जड़सूत्र के रूप में नहीं लेना चाहिए।

*मैं उम्रभर जड़सूत्रवाद का दुश्मन रहा हूं।*

*मार्क्स, एंगेल्स, लेनिन और चेग्वारा के विचार जड़सूत्र नहीं हैं – वे प्रतिभा का तथा राजनीतिक, सामाजिक और क्रांतिकारी संदर्भ का मेघावी नमूना है, जिनको एक सुनिश्चित समय में रचा गया। वे हमेशा लागू किये जा सकते हैं, बशर्ते आप उनको अडिग जड़सूत्र न समझ लें, ऐसा करना वैज्ञानिक, राजनीतिक, क्रांतिकारी संदर्भ से काटकर उन्हें एक धर्म का मामला बना देना होगा।””

ट्रंप ने अमेरिका के करीब के उत्तरी अमेरिका के हैटी और दक्षिण अमेरिका के क्यूबा, निकारागुआ और वेनेजुएला के इमिग्रेशन पर रोक लगाई है।2023 में बाइडन प्रशासन ने अपनी नई नीति के तहत इसे लागू किया था।

इस उदार नीति के माध्यम से पिछले साल तक 5 लाख से अधिक प्रवासी अमेरिका में प्रवेश कर चुके थे।

ट्रंप प्रवासियों को खदेड़ने के लिए सेना का इस्तेमाल कर सकते हैं।

*वक्त बताएगा कि दुनिया में अमेरिकी वर्चस्व और दादागिरी कम होने साथ ही अर्थव्यवस्था की कमजोरियों के परिणामस्वरूप ट्रंप के घोर राष्ट्रवाद के रास्ते के विरुद्ध क्यूबा सहित दक्षिण अमेरिका के तीनों समाजवाद की ओर झुकाव वाले देश एकजुट होकर समाजवाद की ओर दुनिया को किस तरह से आगे बढ़ाते हैं।

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