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समाज और साहित्य….अनपढ माँ

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जूली सचदेवा (दिल्ली)

बेटे ने 10वीं की परीक्षा में
90% अंक प्राप्त किए
पिता ने मार्कशीट देखकर
खुशी-खुशी अपनी पत्नी को कहा
सुनो!
आज खीर या मीठा दलिया बना लो
हमारे लाड़ले को
90% अंक मिले हैं

मां किचन से दौड़ती हुई आई
और बोली
सच…..मुझे
भी दिखाइए
मेरे बच्चे की कामयाबी की पर्ची

ये सुनते ही बेटा फटाक से बोला
क्या पापा
किसे रिजल्ट दिखा रहे हैं
वह तो अनपढ़ है

अश्रुपूर्ण आँखों को
पल्लू से पोंछती हुई
मां चुपचाप
खीर बनाने चली गई

लेकिन ये बात पिता ने माइंड की
और परिणति देखी भी
फिर उन्होंने लड़के के कहे हुए
वाक्यों में समर्थन जोड़ा और
कहा, हां बेटा सच कहा तुमने
बिल्कुल सच
जानता है जब तू गर्भ में था
तब तक उसे दूध बिल्कुल पसंद नहीं था
तेरी मां ने तुझे स्वस्थ बनाने के लिए
हर दिन नौ महीने तक दूध पिया
तेरी मां तो अनपढ़ थी ना

तुझे सुबह सात बजे
स्कूल जाना होता था
इसलिए वह सुबह पांच बजे
उठकर
तुम्हारा मनपसंद नाश्ता और
डिब्बा बनाती थी.
जानता है क्यों
क्योंकि वो अनपढ़ थी ना

जब तू रात को
पढ़ते-पढ़ते सो जाता था
तो वह आकर तुम्हारी
कॉपी व किताब
बस्ते में भरकर
फिर तुम्हारे शरीर को
ओढ़नी से ढँक देती थी और
उसके बाद ही सोती थी
जानते हो क्यों
क्योकि अनपढ़ थी ना

बचपन में तुम अक्सर
बीमार रहते थे
तब वो रात- रात भर जागकर
सुबह जल्दी उठती थी और
काम पर लग जाती थी
जानते हो क्यों
क्योंकि वो अनपढ़ थी ना

तुम्हें ब्रांडेड कपड़े लाकर
देने के लिये
मेरे पीछे पड़ती थी
और खुद सालों तक
एक ही साड़ी में रही
क्योंकि वो सचमुच
अनपढ़ थी ना

बेटा!
पढ़े-लिखे लोग
पहले अपना स्वार्थ और
मतलब देखते हैं
पढ़ी लिखी माताएं
फिगर मेंटेन रखने के लिए
ब्रेस्टफीडिंग तक नहीं कराती
लेकिन तेरी मां ने आज तक
कभी अपना हित नहीं देखा
क्योंकि अनपढ़ है ना वो

वो खाना बनाकर
हमें परोसकर
कभी-कभी थकावत और
हमारी ख़ुशी में खुद खाना
भूल जाती थी
मैं तो गर्व से कहता हूं
तुम्हारी माँ अनपढ़ है

यह सब सुनकर लड़का
रोते रोते मां के पास पहुंचा
और उससे लिपटकर बोला
मां! मुझे तो कागज पर
90% अंक ही मिले हैँ
आप मेरे जीवन को
100% बनाने वाली
पहली गुरू हैं
आज 90% पाकर भी
खुद की नज़रों में
मैं सावित हुआ अशिक्षित हूँ
और आपके पास
पीएचडी से भी ऊपर की
उच्च डिग्री है
आज मैंने अपनी मां के
अंदर छुपे डॉक्टर, शिक्षक, वकील,
ड्रेस डिजाइनर, बेस्ट कुक,
इन सभी के दर्शन कर लिए
मुझे माफ कर दो मां…!!

मां ने तुरंत अपने बेटे को
सीने से लगाते हुए कहा
पगले रोते नही है
आज तो खुशी का दिन है
चल हंस और खीर खा
उसने उसे चूम लिया.
(चेतना विकास मिशन)

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