लाला लाजपत राय पर हुई लाठीचार्ज से हिल गया था पूरा देश
17 नवंबर को लाला लाजपत राय का निधन हो गया था। भारत को अंग्रेजों की गुलामी की जंजीरों से आजाद कराने में लाजपत राय ने अहम भूमिका निभाई थी। वह अंग्रेजों के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। लेकिन उस दौरान अंग्रेजों द्वारा किए गए लाठी चार्ज में लाला लाजपत राय बुरी तरह से घायल हो गई थे। इस घटना के कुछ दिनों बाद ही उनका निधन हो गया था। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर लाला लाजपत राय के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में…
जन्म और परिवार
जाब के मोगा जिले के अग्रवाल परिवार में 28 जनवरी 1865 को लाला लाजपत राय का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम मुंशी राधाकृष्ण आजाद था, जोकि उर्दु के टीचर थे। लाला लाजपत ने कानून की पढ़ाई की थी और इसी दौरान वह आर्य़समाज के संपर्क में आए थे। साल 1885 में कांग्रेस की स्थापना के दौरान वह उसके प्रमुख सदस्य बने थे।
देश में प्रदर्शन
बता दें कि कांग्रेस ने गांधी जी के नेतृत्व में पूरे देश में शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन करने का फैसला लिया। इस दौरान देशभर में ‘साइमन गो बैक’ का नारा गूंजने लगा। वहीं पंजाब में लाला लाजपत राय ने इस विरोध प्रदर्शन के नेतृत्व का जिम्मा उठाया। जब पंजाब के लाहौर में लाला लाजपत राय साइमन कमीशन का विरोध करते हुए काले झंडे दिखाकर विरोध जता रहे थे, तो बौखलाई ब्रिटिश सरकार ने भीड़ पर लाठी चार्ज कर दिया।
हमले में गंभीर रूप से घायल हुए लाजपत राय
इस दौरान हुए लाठी चार्ज में लाला लाजपत राय गंभीर रूप से घायल हो गए थे। यह लाठी चार्ज लाहौर पुलिस के SP James A Scott के नेतृत्व में हुआ था। ऐसे में लाला लाजपत को अस्पताल लाया गया, जहां पर वह 18 दिनों तक जिंदगी और मौत से जंग लड़ते रहे और अंत में 17 नवंबर 1928 को उन्होंने आखिरी सांस ली। उनकी मौत की खबर सुनकर पूरे देश में आक्रोश फैल गया और भगत सिंह और उनके साथी क्रांतिकारियों ने लाला की मौत का बदला लेने का फैसला किया।
पहला स्वदेशी बैंक
बता दें कि लाल लाजपत राय ने देश को पहला स्वदेशी बैंक दिया था। अपने समय में वह कांग्रेस के गरम दल के नेता थे और फेमस तिकड़ी लाल-बाल-पाल के लाला ने देश की आजादी में अहम योगदान दिया। इसके अलावा उन्होंने पंजाब में आर्य समाज की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
भगत सिंह ने अंग्रेजों से लिया था बदला
मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश हुकूमत के ताबूत में एक-एक कील का काम करेगी’… ये बात लाला लाजपत राय ने तब कही थी जब अंग्रेज़ों के सिपाहियों ने उनपर लाठियां बरसाईं और वो बुरी तरह ज़ख़्मी हो गए थे. 30 अक्टूबर 1928 का दिन था, लाहौर में साइमन कमीशन के खिलाफ एक विशाल प्रदर्शन चल रहा था, जिसमें लाला भी शामिल थे.
प्रदर्शनकारियों पर अंग्रेज़ों की पुलिस ने लाठी-चार्ज कर दिया, और इस लाठीचार्ज में लाजपत राय बुरी तरह से घायल हो गए. उस वक्त उन्होंने अपने शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी के बदले ब्रिटिश सरकार के ताबूत में जो कील ठोकने की बात कही, वो बिलकुल सही साबित हुई, और लाला लाजपत राय के बलिदान के 20 साल के अंदर ही ब्रिटिश हुकूमत का सूरज डूब गया.
दरअसल, 8 नवम्बर 1927 को अंग्रेजों ने भारत में संविधान सुधारो के अध्ययन के लिए साइमन कमीशन का गठन किया था. इस कमीशन में सात ब्रिटिश सांसदों को रखा गया था, इस कमीशन का खास मकसद मांटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार की जांच करना था. 3 फरवरी 1928 को साइमन कमीशन भारत आया. इसमें एक भी भारतीय सदस्य नहीं था जिसकी वजह से इंडियन नेशनल कांग्रेस समेत पूरे देश ने इसका जमकर विरोध किया और ‛‛साइमन कमीशन वापस जाओ के नारे लगाए गए. साइमन कमीशन के खिलाफ हुए इस आंदोलन में कांग्रेस के साथ मुस्लिम लीग ने भी हिस्सा लिया.
देश में प्रदर्शन करने का फैसला
कांग्रेस ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में पूरे देश में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया. ‘साइमन गो बैक’ का नारा देशभर में गूंजने लगा. पंजाब में लाला ने इस विरोध प्रदर्शन का जिम्मा उठाया. पंजाब के लाहौर में जब लाला लाजपत राय ने साइमन कमीशन का विरोध किया और काले झंडे दिखाते हुए विरोध जताया. इससे बौखलाई अंग्रेज़ों की पुलिस ने विरोध प्रदर्शन कर रही भीड़ पर लाठी चार्ज कर दिया, जिसका नेतृत्व लाला लाजपत राय कर रहे थे.
लाहौर पुलिस के SP James A Scott के नेतृत्व में हुए इस लाठीचार्ज में लाला गंभीर रूप से घायल हो गए. इसके बाद अस्पताल में लाला 18 दिनों तक जिंदगी और मौत से जंग लड़ते रहे और 17 नवंबर 1928 को उन्होंने आखिरी सांस ली.
लाला लाजपत की मौत की खबर से देशभर में आक्रोश फैल गया. लाला लाजपत राय अपने ओजस्वी भाषणों की वजह से पंजाब की आवाज बन चुके थे. पंजाब के लोग उन्हें बहुत मानते थे. यही वजह थी कि भगत सिंह और उनके साथी क्रांतिकारियों ने लाला की मौत का बदला लेने का फैसला किया था.
बदला लेने की योजना
भगत सिंह के साथ सुखदेव, राजगुरू और चंद्रशेखर आजाद ने मिलकर ने बदला लेने के लिए अंग्रेज़ पुलिस के अफसर जेम्स ए स्कॉट की हत्या की योजना बनाई. लेकिन पहचानने में गलती होने की वजह से भगत सिंह और राजगुरू ने स्कॉट के बजाय एक दूसरे पुलिस अधिकारी जॉन पी सॉन्डर्स को गोली मार दी, जो उस समय लाहौर का एसपी था.
दोनों ने 17 दिसंबर 1928 को उसे तब गोली मारी थी जब वो लाहौर के जिला पुलिस मुख्यालय से बाहर निकल रहा था. गोली मारने के बाद चंद्रशेखर आजाद ने उनकी भागने में मदद की.
देश का खोला पहला स्वदेशी बैंक
लाला लाजपत राय एक बेहद खास स्वतन्त्रता सेनानी यानि फ्रीडम फाइटर थे, जो एक राजनेता, इतिहासकार, वकील और लेखक भी रहे. उन्हें पंजाब केसरी के नाम से भी जाना जाता है. वो कांग्रेस के गरम दल के प्रमुख नेता थे, अपने समय की मशहूर तिकड़ी लाल-बाल-पाल के लाला ने जीते जी तो आज़ादी के आंदोलन में योगदान दिया ही, उनकी मौत ने भी देश के नौजवानों को आजादी की लड़ाई के लिए प्रेरणा देने का काम किया.
लाला राजपत राय 28 जनवरी 1865 को पंजाब के मोगा जिले के अग्रवाल परिवार में पैदा हुए, उनके पिता मुंशी राधाकृष्ण आजाद उर्दू के टीचर थे. उन्होंने कानून की पढ़ाई की. इसी दौरान आर्यसमाज के सम्पर्क में आए और फिर 1885 में कांग्रेस की स्थापना के वक्त उसके प्रमुख सदस्य बने.
फ्रीडम फाइटर होने के साथ लाला लाजपत राय एक समाज सुधार भी थे, उन्होंने शिक्षा के खास काम किया. समाज सेवा के लिए वो दयानंद सरस्वती से जुड़े, जिन्होंने आर्य समाज की स्थापना की. लाला ने पंजाब में आर्य समाज की स्थापना में अहम भूमिका निभाई. इसके अलावा देश को पहला स्वदेशी बैंक लाला लाजपत राय ने ही दिया. उन्होंने पंजाब में पंजाब नेशनल बैंक की नींव रखी, दयानंद एंग्लो वैदिक विद्यालयों यानि डीएवी स्कूलों का भी देशभर में प्रसार किया.