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कहानी : शुभ विवाह*

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          ~ रीता चौधरी 

चेला-
गुरुजी क्या आदमी को शादी करना चाहिए?
गुरु-
हां अवश्य करना चाहिए।
चेला-
और कब करना चाहिए?
गुरु-
जब उसकी सभी इच्छाएं पूरी हो चुकी हों।

चेला-
गुरुजी विवाह हो जाने के बाद कौन अधिक प्रसन्न रहता है पति या पत्नी?
गुरु-
विवाह करवाने वाले।

चेला-
गुरुजी क्या आप विवाह व्यवस्था के समर्थक हैं ?
गुरु-
हाँ मैं विवाह व्यवस्था का समर्थक हूं
चेला-
आप विवाह व्यवस्था के समर्थक क्यों है?
गुरु-
इसलिए कि विवाह व्यवस्था के कारण समाज चलता रहता है और आदमी रुका रहता है।

चेला-
गुरुजी क्या आप प्रेम विवाह के समर्थक हैं?
गुरु-
हां मैं प्रेम विवाह का समर्थक हू।
चेला-
आप प्रेम विवाह के क्यों समर्थक हैं?
गुरु-
इसलिए कि प्रेम विवाह हो जाने के बाद पति और पत्नी प्रेम करने से बच जाते हैं।

चेला-
गुरुजी विवाह व्यवस्था कब शुरू हुई थी।
गुरु-
चेला जब मनुष्य असभ्य होने लगा था तो उसने विवाह व्यवस्था शुरू की थी।
चेला-
कैसे गुरु जी?
गुरु-
शादी का अर्थ है बंधन और बंधन का अर्थ है स्वतंत्रता का हनन और स्वतंत्रता के हनन का अर्थ है असभ्यता।

चेला-
गुरुजी वैवाहिक संस्था से समाज को क्या फायदा होता है?
गुरु-
समाज को फायदा ही फायदा है क्या फायदा है।
चेला-
क्या फ़ायदा है?
गुरु-
पति और पत्नी घर के बाहर किसी से झगड़ा नहीं करते।
चेला-
क्यों गुरुदेव?
गुरु-
इसलिए कि वह घर के अंदर बहुत आराम से यह काम कर लेते हैं।

चेला-
गुरुजी क्या विवाह जन्म जन्म का बंधन है?
गुरू-
हां शिष्य यह जन्म जन्म का बंधन है पर अलग प्रकार से।
चेला –
किस प्रकार से गुरु जी?
गुरु –
पति के लिए यह पिछले जन्म का बंधन होता है और स्त्री के लिए वर्तमान जन्म का।

चेला-
गुरुजी क्या प्रेम विवाह सफल होते हैं?
गुरु-
बहुत सफल होते हैं।
चेला –
कैसे?
गुरू-
प्रेम विवाह से पति-पत्नी प्रेम करना सीख जाते हैं जो आगे चलकर बहुत काम आता है।

चेला-
गुरु जी क्या आप तलाक के पक्ष में है?
गुरु-
हां मैं तलाक़ के पक्ष में हूं लेकिन एक शर्त पर।
चेला-
किस शर्त पर?
गुरु-
तलाक़ केवल स्त्री ले सकती है।
चेला-
पुरुष क्यों नहीं?
गुरु-
शादी के कुछ ही साल बाद पुरुष अदृश्य तलाक ले लेते हैं।

चेला-
गुरुजी अगर शादी व्यवस्था नहीं होगी तो समाज कैसे चलेगा?
गुरु-
चेला समाज चलेगा नहीं।
चेला-
फिर बड़ी मुश्किल हो जाएगी?
गुरू-
नहीं चेला….मुश्किल कैसी।
चेला-
क्यों गुरु जी?
गुरु-
शादी व्यवस्था नहीं होगी तो समाज दौड़ेगा।

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