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कहानी : काज़ी के कुत्ते

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पुष्पा गुप्ता

शहर क़ाज़ी के दो ख़ूबसूरत कुत्ते थे ! क़ाज़ी साहिब ने प्यार से उनके नाम रखे थे : ज़मीर और इंसाफ़ I

       वज़ीर की बेटी की शादी की दावत में बादशाह सलामत भी तशरीफ़ लाये ! वहाँ शहर क़ाज़ी भी आये थे, अपने दोनों प्यारे कुत्तों के साथ I बादशाह की नज़र कुत्तों पर पड़ी और पहली नज़र में ही उनपर उनका दिल आ गयाI

       लौटकर उन्होंने वज़ीर से कहा कि उन्हें हर कीमत पर ज़मीर और इंसाफ़ चाहिए I वज़ीर साहिब ने बादशाह की ख्वाहिश शहर क़ाज़ी तक पहुँचाई I क़ाज़ी साहिब बहुत परेशान हुए I कुत्ते उन्हें बहुत प्यारे थे, लेकिन जाहिर है, नौकरी और जान से ज्यादा नहीं !

      मन मसोसकर रह जाना पड़ा. ज़मीर और इंसाफ़ को बादशाह सलामत की ख़िदमत में पेश कर दिया गया !

      ज़मीर और इंसाफ़ बादशाह के महल में पहुँच गए I कुछ ही दिन बीते थे कि कुत्ते गायब हो गए ! बादशाह ने न उन्हें खोजा, न परेशान हुए !

दरअसल बादशाह का एक राज़ था, जिसे सिर्फ़ उनके खासुलखास ही जानते थे ! बादशाह को कुत्ते का गोश्त बहुत पसंद था.

       इंसाफ़ और ज़मीर बावर्चीखाने और दस्तरख्वान से होते हुए अब बादशाह और उनके उन ख़ास लोगों के पेट में पहुँच चुके थे जिन्हें बादशाह की संगत में कुत्ते खाने की लत लग गयी थी !

*इसी किस्से का एक मॉडर्न वर्शन :*

   सिविल लाइन्स में जज साहब और होम सेक्रेटरी के बंगले आजू-बाजू थे ! दोनों साथ-साथ मॉर्निंग वाक करते थे ! होम सेक्रेटरी के साथ मॉर्निंग वाक करने में जज साहब भी सुरक्षित महसूस करते थे ! 

      जज साहब के पास एक बिलायती पिल्ला था, जिसके पूर्वज आज़ादी के पहले किसी अंग्रेज़ अफसर के पालतू रहे थे ! पिल्ला कुछ कमज़ोर और बीमार सा था, लेकिन था तो बिलायती नस्ल का ! जज साहब उससे बहुत प्यार करते थे I उसका नाम उन्होंने रखा था : ‘जस्टिस’!

        एक बार जब होम सेक्रेटरी की बेटी की शादी की दावत में मंत्रीजी भी पधारे तो वहाँ जज साहब से उनकी मुलाक़ात हुई और औपचारिकतावश वह कुछ देर के लिए जज साहब के घर भी गये I वहाँ उन्होंने जस्टिस को देखा और देखते ही दिलो-जान से उसपर फ़िदा हो गये !

      फिर जो होना था, वही हुआ ! मंत्रीजी की बर्थडे पार्टी में जज साहब को भी निमंत्रण मिला ! जज साहब ने बर्थडे गिफ्ट के तौर पर जस्टिस को मंत्रीजी को भेंट कर दिया !

कुछ ही दिनों बाद मंत्रीजी के बंगले पर जस्टिस का दीखना बंद हो गया ! दरअसल मंत्रीजी देश-विदेश काफी घूमे हुए थे और नाना प्रकार के मांसाहार के शौक़ीन थे !

     वैसे सार्वजनिक तौर पर वह घोर शाकाहारी और गो-भक्त और भारतीय संस्कृति के पुजारी थे, लेकिन कुत्ते का मांस खाना उन्हें बहुत पसंद था !

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