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कहानी : प्लेबॉय सर्विस 

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      (यह कहानी मेरे एक परिचित की जुबानी है)

     ~ आरती शर्मा 

मैं अंकित मिश्रा. मैंने पिछले साल ही अपना कॉलेज की पढ़ाई पूरी किया है. अभी जॉब कर रहा था, जो छूट गया. मेरी फैमिली में मैं, मेरे परेंट्स और मेरी 17 साल की बेटी शामिल हैं.

    मा की एज 50 है, पापा की 56  और मैं 22 साल का हूँ. मेरी मॉम कि कम उमर में शादी हो गयी थी, इसलिए उनकी और मेरी एज में गैप कम है. हम लोग एक नॉर्मल फैमिली से आते हैं.

     मेरे डेड की दुकान ऑन लाइन बिजनेस की वजह से खास नही चल रही थी. मेरी मॉम की भी एक्सपेक्टेशन बहुत थी मुझसे. मुझे उनको हर मंथ 10 हज़ार देने होते थे. मैंने कभी पूछा नही वो पैसे क्या करती  हैं. मैं ड्रिंक करने लगा. मेरी बजत और कम होने ने लगी. 

   मेरे एक दोस्त ने मुझे बताया कि उसकी जान- पहचान वाले एक सज्जन एस्कॉर्ट सर्विस चलाते हैं. उसमे   फीमेल और मेल दोनों को जॉब मिलती है. 

     पहले तो मुझे अजीब लगा, मगर जब उसने मुझे पैमेंट् बताया, तो मेरी आँखें खुली की खुली रह गयी. हर सेशन के 4000 मिलते हैं और माह में 8-12 सेशन आराम से मिल जाते हैं.

काफी सोच विचार करने के बाद मैं एस्कॉर्ट में चल गया.  पिछले 3 माह से इसमें काम कर रहा हूँ. नियमानुसार फीमेल क्लाइंट और मेल एस्कॉर्ट दोनों का फेस पूरी तरह से कवर होता है. सिर्फ ऑंखें और लिप्स खुले होते हैं. इस तरह का मास्क यूज किया जाता है. बाकी पूरा शरीर ओपन रहता है.

      इस सिस्टम की वजह से फिमेल क्लाइंट बिंदास एंजॉय करती हैं. प्ले बॉय को भी फुल सेफ्टी रहती है. कोई जान -पहचान का हुआ तो तो कुछ खतरा नही हो सकता है.

   मेरी कंपनी में दो तरह की सर्विसेज होते हैं. पहले लेडीज हाल में स्ट्रिपडांस का प्रोग्राम होता है. यहाँ मैं और मेरे जैसे एस्कॉर्ट बॉयस् न्यूड होते हैं. सिर्फ चेहरा मास्क से ढका होता है. लेडीज आती हमारे प्राइवेट पार्ट के साथ खेलती हैं और ड्रिंक करती हैं. फीमेल जिस मेल को पसंद करती है, उसे उसके साथ 1st फ्लोर में सेक्स के लिए शिफ्ट किया जाता है.

मैं अपने घर में खूब पैसे देने लगा था. मेरी मॉम अपनी सहेली के साथ खूब सारी शॉपिंग करती. मकेऊप भी करती. ऐसा लग रहा था जैसे उनकी एज 10 साल कम हो गयी है. वो अपनी फ्रेंड मीनल के साथ घूमने भी जाया करती थी.

एक दिन मेरी मॉम ने मुझसे अचानक 20 हजार मांग लिए. उस दिन भी मीनल ऑन्टी के साथ वे शॉपिंग करने गयी. जब वापस आई तो काफी खुश थी. उन्होंने कहा : बेटा रुको, मैं तुम्हे अपनी नई साड़ी पहन कर दिखती हूँ. इसे मैं कल मीनल की पार्टी में पहनूँगी.

    वो बाथरूम में ब्लैक सारी लेकर चली गयी. इधर मुझे क्या हुआ पता नही. मैं देखने लगा कि वे और क्या -क्या शॉपिंग की हैं. मैंने बैग में जो देखा, मेरी आँखें फटी की फटी रह गयी. ब्लैक कॉलर कि ट्रांस्पैरेंट पैंटी, ब्रा, कॉस्टली सेंट, और कंडोम भी. 

    सबकुछ मैं वापस बैग में रख दिया. सोचने लगा, अचानक ये सब क्यों लिया था मम्मी ने. मेरा पापा  तो दुकान से आते ही सो जाते हैं. उनके बीच सेक्स है नहीं. वो दोनों कहीं घूमने भी नहीं जाते थे. खैर! ये उनका सब्जेक्ट है, मुझे क्या. यह सोचकर मैं टॉपिक क्लोज कर लिया.

अगले दिन रोज़ की तरह मैंने खाना खाया और ड्यूटी पर चला गया. आपको बता दूँ हम प्लेबॉय को अमेरिकन वियाग्रा मेडिसिन दी जाती है, जिससे हमारा पेनिस लंबे समय तक खडा रह सके. हालांकि ऐसी मेडिसिन पेनिस की नशों पर बुरा इफेक्ट डालती हैं. एक दिन पुरुष नामर्द बन जाता है, लेकिन जॉब तो जॉब होती है. इसलिए हमारी मज़बूरी होती है. 

     मैं और मेरे सात प्लेबॉय मित्र रेडी होकर डांस रूम में थे. हमेशा की तरह लेडीज लोग पार्टी जोइंन करने लगी. हम लोग अपना काम करने लगे.

    मैं सीडूक्टिव डांस कर रहा था, कि अचानक मेरी नज़र ब्लैक साड़ी वाली लेडी पर पड़ी. वो वही साड़ी पहने थी जो कल माँ ने पहन कर दिखाई थी. मेरा दिल ज़ोर -ज़ोर से धड़कने लगा. मैंने देख उस लेडी के साथ एक और लेडी है जिसकी बॉडीसेप मीनल ऑन्टी से मिलती जुलती है। 

     मुझे लगने लग गया की ये मेरी माँ ही थी. मगर मैं कंफर्म नही बोल सकता था, क्योंकि मास्क इतना सॉलिड होता है, की किसी को यूँ देखकर पहचान पाना मुमकिन नहीं होता है.

   खैर! मैं इग्नोर करने की कोशिश करने लगा, और एंजॉय करने लगा. मैं उन दोनो से दूरी बनाये रखा. वो दोनो दूसरे प्लेबॉयस् के साथ एंजॉय करने लगी. मैंने भी सोच छोड़ो, अगर मेरी मॉम भी हुई तो मुझे क्या. मीनल ऑन्टी लेकर आई होगी एक्सप्लोर करने. वैसे भी पापा और उनके बीच सेक्स नहीं होता. 

     करीब 15 मिनट के बाद वे दोनो मेरे पास आ गयी और मेरे पेनिस से खेलने लगी. मैं कुछ बोल भी नहीं सकता था.  बॉस की ख़ुफ़िया नज़र रहती है. तभी मीनल ऑन्टी के मुह से निकला : देख मेरी जान अंजलि, असली मज़ा लाइफ का ये है.

 मेरे होश उड़ गए क्योंकि यह पक्का हो गया कि ये मेरी मॉम और उनकी फ्रेंड ही थी. मॉम मेरा हाथउठा कर अपनी योनि से टच करने लगी. मैं बहुत अन्कन्फ्रेंटेबल था. मैं मॉम को इग्नोर करके मीनल आंटी को टच करने लगा.

    मगर मुझे नही पता था इसका मेरी माँ पे उल्टा असर होगा. वो मीनल ऑन्टी को साइड में लेकर के कुछ कहने लगी और हमारे बॉस के पास चली गयी. 

     थोड़ी देर में बॉस मेरे पास आये और मुझे मॉम के साथ, दूसरे प्लेबॉय को मीनल के साथ उपर के कमरों मे जाने को कहा. बोले, एक घंटे की बुकिंग है. फुल एंजॉयमेंट् देना.

मैं उपर रूम में गया. किस करने, डांस करने तक तो फिर भी ठीक था, लेकिन अब सेक्स? मेरे पसीने छूटने लगे. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था. सोचा मॉम को सच बता दूँ. बिना कुछ किये उनको जाने को बोल दूँ. 

   जैसे ही मैं उनके करीब गया, उन्होंने मुझे लीपलॉक कर लिया. वे ज़ोर -ज़ोर से मेरे लिप्स चूसने लगी. उनके हाथ मेरे पेनिस को सहलाने लगे. अब जैसा सोचा था, वैसा कुछ पॉसिबल नहीं था. मैंने भी साथ दिया. वो बोलने लगी, और मैं भी आवाज़ बदल कर बोलने लगा. मेरा पेनिस चूसने के बाद उसे वे अपनी योनि में डाल ली. उन्हें बहुत आनंद आ रहा था, क्योंकि उनकी योनि ढीली नहीं थी. 

  वे बोली : दोस्त आज 6 साल बाद मुझे इतनी खुशी मिली है. थैंक्स यू माई बेनाम लार्ड. मेरे पति ने मुझे 6 साल से हाथ भी नही लगाया. नामर्द तो हैं ही वे. सहेली तुम तक लाई, उसका भी थैंक्स. अब जिंदगी भर बस तुम.

~कोई बात नही डीयर. आपको मैं कभी निराश नहीं करुँगा.

~अभी 20 मिनट बचे हैं. क्या एक बार फ़ास्टली हेवंस की सैर और नहीं करा दोगे?

    मैं फिर से सेक्स करना स्टार्ट किया. 20 मिनट के बाद भी वो रुकना नहीं चाहती थी. डिस्चार्ज हो गई थी, फिर भी और चाहती थी.

~ मैम, टाइम हो गया है.

~तुम यही रहते हो ना? फिर आऊँगी मैं.

~मैम बार-बार यहाँ आने पर आपका बहुत पैसा वेस्ट होगा. आप मुझे अपना नम्बर दे दीजिये. मैं आपसे संपर्क कर लिया करूँगा.

~तुम अपना नंबर. दो, मैं सेव करती हूँ.

~नो मैम.  गलती से भी बॉस को पता चला कि मैं प्राइवेट सर्विसेज देने लगा, तो मेरी जान पे बात आ जायेगी. एग्रीमेंट हुआ है मेरा उससे. मेरा मोबाइल भी जॉब के समय उसी के पास होता है.

~ Ok मेरी जान, मेरा नम्बर. लो.

   मैं बेड के पीछे उनका नंबर लिखने का नाटक करने लगा.  मुझे मॉम का नम्बर याद ही था.

    मॉम के साथ यह सिलसिला अब रेगुलर हो गया है. इस सिलसिले के दायरे में अब मेरी अपनी बेटी भी शामिल हो गई है. मीनल आंटी ने उसे भी इस दलदल में फसा दिया है. यह बात मेरी मॉम को पता नहीं है. बस ख़ुदा का इतना शुक्र है कि बेटी को भी उसने मेरे से ही जोड़ा. कम से कम इनका कुछ बुरा तो नहीं होगा. हप्ते में एक-एक बार दोनों मुझे लेती हैं.

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