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कहानी : दिल्ली की लड़की से मुझे बचाओ

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      प्रखर अरोड़ा

माँ जी दोपहर को मायके गई थी. शाम तक आने को बोली थी. रात के 9:00 बजने वाले हैं. अभी तक लौटकर नहीं आई. मोबाइल में बेल बजी मैंने तुरंत  कॉल रिसीव किया. उन्होंने कहा : आज मौसम खराब है रास्ते में बहुत जाम मिलेगा. इसलिए मैं कल सुबह आ जाऊंगी. खाना बाहर से खा लेना.

    मैंने ऑनलाइन खाना ऑर्डर कर दिया. लगभग 20 मिनट बाद एक मरियल सा आदमी साइकिल चलाता हुआ मेरे पास रुका. वह कुछ पूछता इससे पहले मैंने ही कह दिया मैंने ही खाना मंगवाया था.

   उसने एक मैसेज किया और मुझसे ओटीपी नंबर मांगा.  मैंने ओटीपी नंबर बता दिया. अचानक तेज बारिश की बौछार शुरू हो गई. वह खाना लाने वाला आदमी कुछ सोचता इससे पहले मैं उसे अपने कमरे के भीतर ले जाते हुए बोला : जब तक बारिश हो रही है आप मेरे कमरे में ठहर सकते हैं. वह मान गया. मुझे भी बड़ी खुशी थी क्योंकि मैं कमरे में अकेला था. 

    वह एक कुर्सी पर बैठकर मेरा मुंह तांकने लगा. मैंने प्लेट पर खाना निकाला और उनसे कहा भाई साहब आप भी मेरे साथ खाइए. पहले तो वह मना करने लगा लेकिन मेरे जबरदस्ती कहने पर उसने एक रोटी उठा ही ली.

    मुझे बड़ी खुशी हुई. मैंने रोटी खाते हुए पूछा, आप अपना परिचय नहीं देंगे? 

     उसने बताया :

  मेरा नाम दीपक है. मेरी कहानी कुछ अजीब है. एक जमाने में मैं गांव में रहता था. किसी ने मेरा रिश्ता दिल्ली की लड़की से करवा दिया.

   उस समय मैं फूला नहीं समा रहा था. अरे वाह! मेरी शादी दिल्ली की लड़की से हो रही है. मैं बड़ा किस्मत वाला हूं.

    उसकी फोटो देखकर तो मैं पूरी तरह पागल हो गया. गोरा रंग आंखों में काला चश्मा. पढ़ी-लिखी.  मेरी तो निकल पड़ी. खुशी के मारे मेरा नाचने का मन हो रहा था. शादी होकर जिस दिन वह गांव आई, मुंह बनाते हुए कहने लगी कि यह कैसा सुनसान सा गांव है. दूर-दूर तक कोई बाजार नहीं. ना सिनेमा घर. जहां भी नजर पड़ती है गाय , भैंस,  बकरी. यहां तो मेरा सारा मेकअप ही खराब हो जाएगा.

  मेरे माता-पिता मुझे एक कोने में ले जाकर बोले : शहर की लड़की है भला गांव में कैसे रह पाएगी.  दीपक तुम एक काम करो,  हम गांव की तेरे हिस्से की जमीन बेंच देते हैं. तू शहर में एक घर खरीद ले.

    कुछ दिनों बाद मैं 20 लाख रुपए और बीवी को लेकर दिल्ली चला आया. 

    18 लाख का हमें एक छोटा सा फ्लैट मिला. मगर बीवी ने कहा मुझे एक कार दिलवा दो. बीवी की खुशी की खातिर इंतजाम करके 19 लाख की कार खरीद ली और अब किराए पर एक फ्लैट ले लिया.

    किसी ने बताया तुम दिल्ली में नये हो एक मोटरसाइकिल खरीद लो और उस मोटरसाइकिल से डिलीवरी बॉय का काम शुरू कर दो.

    90 हजार रुपए की मेरी बाइक आ चुकी थी. दस हज़ार रुपए जो बचे थे. वह बीवी ने रख लिए कार में पेट्रोल डालने के लिए. मैं डिलीवरी से रोजाना 1700 से कभी 2000 कमाकर बीवी को देने लगा.

    तब बीवी बोली साठ हजार रुपए मुझे महीने के चाहिए. मैंने बजट बना लिया है बीस हजार रुपए फ्लैट का किराया, दस हजार रुपए की मेरी शॉपिंग, पंद्रह हजार रुपए का राशन और पांच हजार रुपए उसका पेट्रोल हम दोनों की कार और बाइक के लिए.

     दो हजार रुपए कमाने के लिए मैं सारा दिन बाइक लेकर दौड़ता भागता कभी-कभी रात के 11:00 बज जाते थका हारा घर आता तो बीवी आराम से सोई हुई मिलती.

   एक सप्ताह बाद जब मैं रात 11:30 बजे डिलीवरी का काम खत्म करके घर पहुंचा तो बीवी मुंह फुलाकर बैठी थी. कहने लगी, शाम को बाजार में सब्जी खरीदने के लिए कार ले गई थी लौटते समय सोचा थोड़ी दूर तक घूम आऊं. कुछ दूर निकल गई. तभी हाईवे पर मुझे शक हुआ कि शायद मेरी कार का ब्रेक फेल हो गया है. तब मैं चलती कार से कूद गई. शुक्र है मेरी जान बच गई.

    तब मैंने कहा कार का क्या हुआ? उसने कहा तुम्हें कार की पड़ी है. मेरे दोनों हाथ छिल गए. मेरे बारे में तुमने एक बार भी न पूछा. अगर मैं मर जाती तो. कार का क्या है. कार तो नई आ सकती है.

   वैसे वह कार का रंग मुझे पसंद भी नहीं था. वही कार बार-बार मोहल्ले में लेकर घूमो तो मोहल्ले में इज्जत घटती है. मैंने उसी रात गांव में बाबूजी को बताया कि मुझे 20 लाख रुपए चाहिए.

   20 लाख रुपए का नाम सुनकर बाबूजी कांपने लगे. दूसरे दिन मां और बाबूजी एक हाथ में थैला लेकर हमारे बताएं पते पर आ गए. मां ने बताया बेटा जो भी बची खुची जमीन थी 15 लाख ही मिल पाए. फिर हमने पूर्वजों से चला आ रहा पुश्तैनी मकान भी बेच दिया. तब जाकर 20 लाख रुपए इकट्ठे हुए हैं.

    अब गांव में अपना कुछ नहीं है. हम भी तेरे साथ शहर में रहेंगे. छोटा भाई छोटी बहन भी साथ में आई है.

मेरी बीवी उसी दिन एक लाल रंग की कार खरीद लाई. कहने लगी तुम में दिमाग की कमी है. अपनी नई-नई शादी है हमें फ्लैट पर्सनल चाहिए. तुम एक काम करो,  एक और फ्लैट किराए पर ले लो. उसमें मां – बाबूजी और तुम्हारे भाई बहन रह लेंगे.

      मैंने ऐसा ही किया क्योंकि मैं घर में बड़ा बेटा था मां मुझे समझदार मानती थी. गांव की जिंदगी से मां और बहन भी तंग आ चुकी थी और मुझे भी परिवार का साथ मिल गया. तब मैं अपनी बीवी की अक्लमंदी पर बहुत खुश था.

    बीवी ने मां और बहन को 2 सप्ताह के भीतर कार चलाना सिखा दिया. मां कार चलाकर सब्जी तरकारी ले आती. किसी की शादी हो या पार्टी बहन कार चला कर ले जाती. हम कार में पीछे बैठते. छोटे भाई को दिल्ली में दोबारा से पढ़ने के लिए तैयार कर दिया.

    मुझ अकेले पर सबका बोझ था लेकिन घर परिवार के हंसते चेहरे को देखकर मैं अपनी थकान भूल जाता था. बीवी ने मेरी बहन को एक नौकरी बताई. दिल्ली का एक सेठ है उनकी पत्नी को दफ्तर से घर और घर से दफ्तर ले जाने के 25000 रुपए में एक महिला ड्राइवर की जरूरत थी.

    मेरे छोटे भाई को भी किसी दूसरी कंपनी में ड्राइवर की नौकरी पर लगवा दिया और पढ़ाई करने की सलाह भी दी.  बीवी ने मुझसे कहा तुम डिलीवरी ही करते रहो तुम्हारे भाई बहन के दोनों के टोटल 50 हजार रुपए मेरे पास जमा होंगे. घर में कार खड़ी हुई है. मैं सोच रही हूं पास के स्कूल के बच्चों को मां और बाबूजी कार में ले जाकर घर छोड़े फिर समय पर स्कूल छोड़ दे तो कुछ पैसे वहां से भी इकट्ठे हो सकते हैं और उसने ऐसा ही किया.

    मां सुबह कार लेकर घर-घर जाकर बच्चों को लेकर स्कूल ले जाने लगी बाबूजी ने भी कमर कस ली बीवी ने सबको काम पर लगा दिया. खुद घर में अकेली टेलीविजन के सामने नए-नए धारावाहिक देखती. घर में दो नौकरानी रख ली. एक बर्तन साफ करने वाली एक खाना पकाने वाली.

    बीवी ने कहा था 3 साल बाद हमारा खुद का फ्लैट होगा. मगर 3 साल के बाद छोटे भाई की सरकारी नौकरी के लिए घरवाली ने सारी जमा पूंजी लगा दी. छोटे भाई की चपरासी में सरकारी नौकरी लग गई. रिश्ते दौड़े दौड़े आने लगे. घरवाली ने दहेज न लेकर नगद कैश लेने की बात कही 30 लाख रुपए की मांग पर शादी हो गई. मगर यह बात बाहर किसी को लीक नहीं होने दी.

  घरवाली ने दो अलग-अलग 15 लाख वाले फ्लैट खरीदे. एक छोटे भाई की घरवाली के नाम कर दिया दूसरा फ्लैट अपने नाम करवा लिया.

  3 साल और बीते. बहन के लिए दिल्ली में जिसका अपना फ्लैट है लड़का भी एकलौता है उसके साथ कोर्ट मैरिज करवा कर बहन को भी निकाल दिया.

   इन 6 सालों में हमारी एक ही बेटी है. दूसरे बच्चे का नाम सुनकर बीवी मुझे तलाक की धमकी देती है. तब मैं चुपचाप रह जाता हूं. मां और बाबूजी घरवाली के साथ ही रहते हैं. दिन में छोटे बेटे और बहू से भी मिलते हैं. हम दोनों भाइयों के फ्लैट नजदीक ही है.

बीवी ने फिर दोनों फ्लैटों को 50 लाख रुपए में बेच दिए. दिल्ली में संत नगर की कॉलोनी में 50 गज की जमीन लेकर चार मंजिला मकान बनवा दिये. दो कमरे खुद ने अपने नाम करवा लिए और दो कमरे छोटी बहू के नाम करवा दिए.

   नीचे वाले ग्राउंड फ्लोर पर मां बाबूजी रहते हैं. फर्स्ट फ्लोर पर मैं अपनी बीवी बेटी के साथ रहता हूं. सेकंड फ्लोर पर छोटा भाई अपनी बहू के साथ रहता है. थर्ड फ्लोर खाली पड़ा है बच्चों को पढ़ने के लिए, मेहमानों को रात बिताने के लिए.

     मेरी बीवी अब उस मकान को बेचने के चक्कर में है. ना जाने अब क्या करेगी. मेरे बाकी अपनों के साथ कल क्या होगा, यह भी पता नहीं. मेरी अपनी हालत तो आप आप देख ही रहें हैं. मेरी बाइक 12 सालों में कबाड़ हो चुकी थी. बीवी ने मुझसे कहा, अब साइकिल से डिलीवरी करो. घर पर आराम नहीं करने दूंगी.समझ नहीं पाता हूं दिल्ली की लड़की से शादी करके मैं फायदे में रहा या नुकसान में.

    बारिश खत्म हो चुकी थी. वह साइकिल उठाकर दूसरी डिलीवरी के लिए निकल पड़ा.

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