साक्षी मलिक ओलंपिक में पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला पहलवान हैं। उन्होंने 2016 रियो ओलंपिक में कांस्य पदक अपने नाम किया था। हालांकि, भारत के लिए किसी भी खेल में ओलंपिक पदक जीतने वाली खिलाड़ी कर्णम मल्लेश्वरी थीं। उन्होंने साल 2000 में भारोत्तोलन के 69 किग्रा भारवर्ग में कांस्य पदक जीता था।
साक्षी के नाम राष्ट्रमंडल खेलों में भी तीन पदक हैं। उन्होंने 2014 ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक हासिल किया था। उसके बाद गोल्ड कोस्ट 2018 में कांस्य जीता। 2022 में उन्होंने अपने पदक का रंग एक बार फिर बदला और बर्मिंघम में स्वर्ण जीता।
हरियाणा की रहने वाली हैं साक्षी
कुश्ती में प्रभावशाली करियर बनाने वाली साक्षी मलिक का जन्म हरियाणा के रोहतक जिले के मोखरा गांव में तीन सितंबर 1992 को हुआ था। उनके दादा सुबीर मलिक पहलवान थे, जिनसे प्रेरित होकर साक्षी ने बचपन से ही कुश्ती में करियर बनाने की ठान ली।
12 साल की उम्र से ट्रेनिंग
महज 12 साल की उम्र में साक्षी ने ईश्वर दहिया से प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया। अपने पांच से प्रशिक्षण अवधि में ही साल 2009 में साक्षी एशियाई जूनियर विश्व चैंपियनशिप में शामिल हुईं और फ्रीस्टाइल में 59 किलो भार वर्ग में रजत पदक हासिल किया। अगले साल 2010 में विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक, 2013 के कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों और ओलंपिक में देश का नाम रोशन किया।
विनेश फोगाट और साक्षी मलिक
बृजभूषण के खिलाफ धरना में लिया भाग
साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट जैसी दिग्गज पहलवानों ने इस साल 18 जनवरी को भारतीय कुश्ती संघ के तात्कालीन अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरना दे दिया। 21 जनवरी को सरकार के आश्वासनों के बाद यह समाप्त हुआ। पहलवानों ने 28 अप्रैल को फिर से दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दे दिया। इसके बाद पहलवानों ने मौसम की मार झेली, पुलिस के साथ झड़प हुई। पहलवानों के खिलाफ एफआईआर भी हुई, लेकिन विरोध प्रदर्शन जारी रहा। हालांकि, पहलवानों और गृहमंत्री अमित शाह के बीच मुलाकात के बाद कहानी बदल गई और पहलवान काम पर लौट गए।
पहलवानों को जल्द ही कुश्ती संघ में चुनाव कराने का आश्वासन मिला था। इसके लिए समिति भी बनाई गई थी। अब चुनाव हो गए हैं। संजय सिंह अध्यक्ष बन चुके हैं। उनके जीतते ही साक्षी ने संन्यास का एलान कर दिया। वह दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान रो रही थीं।