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समर डिप्रेशन : जानकारी और बचाव के उपाय 

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            डॉ. नीलम ज्योति 

तपती गर्मी में अक्सर लोग थकान और कमज़ोरी का अनुभव करते हैं। इसके अलावा व्यवहार में चिड़चिड़ापन भी बढ़ने लगता है। अधिकतर लोग गर्मी के बढ़ते स्तर को इस व्यवहार का कारण मानने लगते हैं। मगर उमस भरी गर्मी के अलावा समर डिप्रेशन इस समस्या का मुख्य कारण साबित होता है। दरअसल, इस स्थिति को सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर भी कहा जाता है। 

*समर डिप्रेशन किसे कहते हैं?*

       मौसम में आने वाले बदलाव का असर व्यक्ति के व्यवहार पर भी नज़र आने लगता है। गर्मी में देर तक रहना और बार बार होने वाली स्वैटिंग शरीर में निर्जलीकरण का कारण बनने लगती है। इस चीज़ का असर व्यवहार पर भी नज़र आने लगता है। सीज़नल चेंजिज के चलते समर डिप्रेशन का खतरा बढ़ने लगता है।

      समरटाइम सेडनेस के चलते व्यक्ति अकेला रहने लगता है और एंग्ज़ाइटी का शिकार हो जाता है। इसके चलते नींद की गुणवत्ता भी कम होने लगती है और एपिटाइट लो होने लगता है। इस समस्या को दूर करने के लिए शरीर को ठंडक प्रदान करना आवश्यक है।

       एनआईएच की रिपोर्ट के मुताबिक समर डिप्रेशन सीजनल एफेक्टिव डिसऑडर का हिस्सा है। इससे ग्रस्त लोगों को इरिटेशन, चिड़चिड़ापन और बेचैनी का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा एकाग्रता की कमी और एनर्जी का स्तर भी लो पाया जाता है। गर्मी आरंभ होने के साथ ही शरीर में इस तरह के बदलाव नज़र आने लगते हैं। शरीर में स्ट्रेस हार्मोन बढ़ने से वेटगेन का खतरा भी बढ़ जाता है।

ये संकेत बताते हैं कि आप हैं समर डिप्रेशन का शिकार :

~किसी भी सामाजिक या निजी गतिविधि में हिस्सा लेने से कतराना और हर पल अकेले रहना

~कोई भी कार्य करते वक्त एकाग्रता की कमी का अनुभव करना और काम को अधूरा छोड़ देना

~ऐसे लोगों में लो एनर्जी का स्ता बना रहता है। साथ ही हर पल थकान और कमज़ोरी से ग्रस्त रहना

~एपिटाइट में बदलाव आना और हर पल कुछ न कुछ खाते रहना, जिससे मोटापा बढ़ने का खतरा रहता है।

~खुद को घर में कैद कर लेना और सोशल सर्कल से डिस्कनेक्ट हो जाना

ये हैं समर डिप्रेशन से बचने के कुछ टिप्स :

*1. गर्मी में बाहर निकलने से बचें :*

तेज़ धूप के दौरान बाहर निकलने से व्यवहार में चिड़चिड़ापन और बेचैनी बढ़ने लगती है। इसके अलावा एनर्जी के स्तर में भी गिरावट आने लगती है। ऐसे में किसी भी कार्य को करने के लिए सुबह या शाम का वक्त ही चुनें। अपने मूड को नियंत्रित करने के लिए सिर ढ़ककर बाहर जाएं और आंखों को तेज़ रोशनी से बचाने के लिए सन ग्लासेज़ पहनें।

*2. सोने और उठने का समय तय करें :*

      समय पर सोने से शरीर में मेलाटोनिन हार्मोन प्राकृतिक रूप से रिलीज़ होने लगता है। इससे नींद न आने की समस्या से राहत मिलती है और शरीर एक्टिव बना रहता है। ऐसे में शरीर को एक्टिव रखने और डिप्रेशन को दूर करने के लिए सोने और उठने का एक निधार्रित कर लें।

*3. समरटाइम ट्रिगर अवॉइड करें :*

हीट और ह्यूमिडिटी बढ़ने से मूड स्विंग की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल, धूप में निकलते ही स्ट्रेस हार्मोन कार्टिसोल बढ़ जाता है, जिससे एंग्ज़ाइटी और तनाव महसूस होने लगता है। इसके चलते व्यवहार में इमोशनल चेजिज़ आने लगते हैं।

*4. एक्सरसाइज़ करें :*

दिन की शुरूआत व्यायाम से करें। इससे शरीर में एनर्जी का स्तर बढ़ने लगता है और हैप्पी हार्मोन रिलीज़ होने लगते हैं। साथ ही गुस्सा, तनाव और थकान को नियंत्रित किया जा सकता है। आउटडोर वर्कआउट की जगह इनडोर एक्टीविटीज़ को प्राथमिकता दें।

*5. शरीर को हाइड्रेट और कूल रखें :*

गर्मी से बचने के लिए नियमित मात्रा में पानी का सेवन करें और शरीर को ठंडक प्रदान करने के लिए रूम टेम्परेचर को सामान्य बनाए रखें। इसके अलावा कोल्ड शावर भी स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद साबित होता है।

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