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सुप्रीम कोर्ट के चंडीगढ़ मेयर के फैसले से केंद्र सरकार की बेशर्मी और लोकतंत्र विरोधी षड्यंत्र बेनकाब

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विजय दलाल 

*सुप्रीम कोर्ट के चंडीगढ़ मेयर के फैसले ने केंद्र सरकार की बेशर्मी और अनैतिक कार्य की पराकाष्ठा और लोकतंत्र विरोधी षड्यंत्र को बेनकाब करने के साथ आगे भी नाकाम कर दिया।*

*अनिल मसीह की अवैधानिक नियुक्ति से लेकर उसके द्वारा खुलेआम की गई हेराफेरी करवा कर चंडीगढ़ मेयर की जीत को बीजेपी के नेताओं ने जिस विश्वास के साथ अपनी जीत और इंडिया गठबंधन की हार प्रचारित किया उससे ऐसा लगता है कि उसे इस प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट ऐसा व्यवहार करेगा कतई आशा नहीं होगी।*

*क्योंकि उन्होंने अगली चाल के रूप में मेयर से इस्तीफा दिलवाया और इस उम्मीद में कि मेयर का चुनाव फिर से होगा और तीन आप के विधायकों को खरीद कर अपनी पार्टी में शामिल कर लिया था।*

*मगर सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने नौकरशाहों की मिलीभगत से मोदी – अमित शाह ने जो षड्यंत्र रचा था वो पुरी तरीके से बेनकाब हो कर बेकार हो गया।*

*इस प्रकरण ने जनता के साथ सुप्रीम कोर्ट के सामने भी साफतौर पर रख दिया कि वो चुनाव जीतने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।*

*और चुनाव आयोग और राज्यों का प्रशासन किस हद तक जाकर इसमें मदद कर रहा है और कर सकता है।*

*इसलिए ईवीएम के मामले में जो वो कर सकता है कि चुनाव प्रक्रिया में वीवीपेट पर्ची की 100% समानांतर गणना और मिलान करने का आदेश वो अपने ही वीवीपेट मशीन के इंट्रोड्यूस करते वक्त जिन सैद्धांतिक आधारों को स्वयं ने माना था उसी के आधार पर फिर से फैसला दे सकता है जो निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया तथा लोकतंत्र को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।*

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