अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

चुनावी बॉन्ड पर SBI के रवैये पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती ने बेहद कड़ा संदेश दिया 

Share

चुनावी बॉन्ड से जुड़े फैसले पर अमल के मामले में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के ढीले-ढाले रवैये पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती ने बेहद कड़ा, मगर जरूरी संदेश दिया है। शीर्ष अदालत ने चुनावी बॉन्ड से जुड़े डीटेल्स जारी करने पर लंबा वक्त देने की SBI की गुजारिश न केवल खारिज कर दी, बल्कि उसके रुख पर सवाल करते हुए उसे आगाह भी किया।

1. गलत संदेश

यह पूरा मसला चुनावी बॉन्ड स्कीम से जुड़ा है, जिससे संबंधित प्रावधानों को सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को दिए अपने फैसले में असंवैधानिक करार दिया था। उसी फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने SBI को निर्देश दिया था कि 12 अप्रैल 2019 के बाद से हुई चुनावी बॉन्ड की खरीद से जुड़े डीटेल्स 6 मार्च 2024 तक इलेक्शन कमिशन को सौंप दे। ऐसे में लगभग इस पूरी अवधि के निकल जाने के बाद SBI सुप्रीम कोर्ट के पास 30 जून तक का वक्त देने का अनुरोध लेकर आया।

2. बैंक की दलील

आज की तारीख में जब टेक्नॉलजी इतनी आगे बढ़ी हुई है, तब देश के सबसे बड़े बैंक को एक खास स्कीम के तहत हुए लेन-देन के डीटेल्स निकालने में इतना वक्त लग जाएगा, इस पर सवाल उठ रहे हैं। SBI ने दलील दी कि बॉन्ड खरीदने और उसे छुड़ाने से जुड़ी सारी सूचनाएं तो उपलब्ध हैं, बस कन्फ्यूजन यह था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक क्या बॉन्ड को ग्रहणकर्ता के नाम के साथ मिलाकर देखना भी जरूरी है या नहीं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस मामले में बिल्कुल स्पष्ट था। उसमें सूचनाएं चुनाव आयोग को सौंपने का निर्देश था, उन्हें मिलाकर देखने को कहा नहीं गया था। इसी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने बैंक की इस दलील को नहीं माना।

3. कड़ी फटकार

शीर्ष अदालत ने अगले दिन यानी 12 मार्च को कामकाज समाप्त होने से पहले तक सारे डीटेल्स चुनाव आयोग को सौंपने का निर्देश देते हुए यह भी कहा कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो बैंक अधिकारियों के खिलाफ जानबूझकर अदालत की अवमानना करने का मामला चलाया जा सकता है। देश के सबसे बड़े बैंक को सुप्रीम कोर्ट की इस तरह की फटकार सुनने को मिले, यह कोई छोटी बात नहीं है।

4.समय पर कार्रवाई

दरअसल, चुनावी बॉन्ड से जुड़ा यह मामला देश की चुनाव प्रक्रिया की शुचिता से संबंधित है, जो किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है। ऐसे में सभी संबंधित पक्षों से यह अपेक्षा थी कि फैसले के शब्दों और उसकी भावनाओं को समझते हुए इस पर पूरी गंभीरता से अमल सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे। अफसोस की बात है कि SBI इस मामले में उम्मीद पर खरा नहीं उतरा, लेकिन राहत की बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस गड़बड़ी को दुरुस्त करने में देर नहीं लगाई।

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें