5 हजार से ज्यादा लोगों की जान लेने वाली भोपाल की बंद पड़ी यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के जहरीले कचरे को पीथमपुर में नष्ट किया जाना है, जिसका पुरजोर विरोध स्थानीय जनता कर रही है
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 40 साल पहले जिस यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में हुए गैस रिसाव की वजह से 5 हजार से ज्यादा लोगों की जान गई थी, उसी फैक्ट्री के 337 टन जहरीले कचरे को नष्ट करने को लेकर बीते कई दिनों से विवाद चल रहा है। हाईकोर्ट के आदेश पर इस जहरीले कचरे को इंदौर के पास स्थित पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र की एक फैक्ट्री में नष्ट किया जाना है, लेकिन स्थानीय लोग इसका जमकर विरोध कर रहे हैं। अब इस मामले में भाजपा की दिवंगत नेता और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का संसद में दिया एक पुराना बयान भी वायरल हो रहा है, जो उन्होंने साल 2010 में लोकसभा में बतौर नेता प्रतिपक्ष इस मुद्दे पर बोलते हुए दिया था।
स्वराज ने तब इस जहरीले कचरे को पीथमपुर में जलाने का विरोध करते हुए कहा था कि ऐसा करना एक और हादसे की नींव रखने जैसा होगा। उन्होंने जोर देकर इस कचरे को वापस अमेरिका भेजने की मांग की थी। स्वराज ने कहा था कि जब यह रसायन भोपाल से पीथमपुर से जा सकता है तो अमेरिका क्यों नहीं?
सुषमा ने कहा था- वहां इसको नष्ट करने का मतलब है…
11 अगस्त 2010 को संसद में बोलते हुए सुषमा स्वराज ने कहा था, ‘एक प्रश्न है जो बहुत बड़ा है, इस फैक्ट्री (यूनियन कार्बाइड) में आज भी 20 हजार मीट्रिक टन रसायन बचा हुआ है। उस कचरे का विनाश कैसे किया जाए, उसको नष्ट कैसे किया जाए, यह एक बड़ा यक्ष प्रश्न बना हुआ है। फैक्ट्री वाले कहते हैं इसे पीथमपुर में ले जाओ, पीथमपुर इंदौर के पास धार जिले का एक औद्योगिक क्षेत्र है, वहां ले जाकर इसको नष्ट कर दो।’
आगे सुषमा ने कहा था, ‘वहां ले जाकर इसको नष्ट करने का मतलब है एक और हादसे की नींव रखना।’
‘जब केमिकल पीथमपुर जा सकता है तो US क्यों नहीं’
उन्होंने कहा था, ‘मैं पूछना चाहती हूं कि जब MIC (मिथाइल आइसोसाइनेट) आयात करके आती थी अमेरिका से, और जब यह रसायन भोपाल से बंद टैंकरों में पीथमपुर ले जाया जा सकता है, तो यह रसायन बंद टैंकरों में अमेरिका वापस क्यों नहीं भेजा जा सकता। उनके यहां बड़े-बड़े अच्छे इंसीनरेटर्स हैं, उनके यहां इतने अच्छे इंसीनरेटर्स हैं, हमारे यहां वो उपकरण नहीं है। उनके यहां वो हजारों-हजार, लाखों-लाख मीट्रिक टन को नष्ट करते हैं। हमारे यहां अगर थोड़ा सा रसायन भी विनाश से पहले एक और विनाश कर गया, तो एक और भोपाल घट जाएगा।’
आगे उन्होंने कहा था, ‘इसलिए इस पूरे कचरे के नाश के लिए इसको हमें वापस अमेरिका भेजना चाहिए। इसलिए मैं आपसे कहना चाहती हूं उपाध्यक्ष जी, पहली बार कि मेरे बोलते समय घंटी बजी। मैं तो घंटियां खड़का-खड़का कर इनको सुनाना चाह रही थी, क्योंकि धीरे-धीरे आत्मा जाग रही है लोगों की।’
5 हजार से ज्यादा लोगों की गई थी जान
बता दें कि भोपाल में दो और तीन दिसंबर 1984 की दरमियानी रात यूनियन कार्बाइड कारखाने से बेहद जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस का रिसाव हुआ था। इससे कम से कम 5,479 लोग मारे गए थे और हजारों लोग अपंग हो गए थे। इसे दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है। यह फैक्ट्री तब से ही बंद थी।
हाल ही में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश पर यूनियन कार्बाइड कारखाने का कचरा दो जनवरी को पीथमपुर में एक निजी कंपनी में संचालित अपशिष्ट निपटान इकाई (इंसीनरेटर) में नष्ट करने के लिए लाया गया था। इसके बाद पीथमपुर में पिछले सप्ताह हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए थे। फिलहाल इस औद्योगिक क्षेत्र में हालात शांतिपूर्ण हैं।
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने छह जनवरी को राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे के निपटान के लिए सुरक्षा दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए छह सप्ताह के भीतर कदम उठाए
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