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स्वच्छ भारत मिशन: स्वच्छ और स्वस्थ भारत के प्रति प्रतिबद्धता

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मधुकर पवार

इन दिनों समूचे भारत में स्वच्छता ही सेवा अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत विशेष रूप से केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों, कार्यालयों, सार्वजनिक व पर्यटक स्थलों, रेलवे स्टेशनों तथा आसपास के परिसरों आदि की साफ – सफाई के लिये विशेष सफाई अभियान चलाकर आम जनता की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है ताकि स्वच्छता अभियान सतत चलता रहे। विगत 19 सितम्बर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु उज्जैन प्रवास पर थीं। इस दौरान उन्होंने महाकाल परिसर में झाड़ू लगाकर श्रमदान कर यह संदेश दिया कि चाहे कोई व्यक्ति कितने ही बड़े पद पर क्यों न हो, स्वच्छता उनकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।

राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहा कि पिछले 10 वर्षों में स्वच्छता अभियान देशव्यापी जन आंदोलन बन गया है। मध्य प्रदेश में स्वच्छ भारत मिशन की उपलब्धियों की चर्चा करते हुये राष्ट्रपति ने कहा कि इंदौर ने लगातार सात बार देश का स्वछतम शहर बनने का कीर्तिमान स्थापित किया है। भोपाल को सबसे स्वच्छ राजधानी होने का गौरव प्राप्त है। राज्य के अनेक शहर वाटर प्लस और ओडीएफ डबल प्लस की श्रेणी में पुरस्कृत हुए हैं। उन्होंने स्वच्छता के क्षेत्र में मध्य प्रदेश की उपलब्धियों का श्रेय अग्रिम पंक्ति के सफाई मित्रों को दिया। उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन का दूसरा चरण सन 2025 तक चलेगा। इस दौरान हमें संपूर्ण स्वच्छता के लक्ष्य को पूरा करना है।
हाल ही में उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने भी राजस्थान के झुंझुनू जिला में स्वच्छता ही सेवा अभियान का शुभारंभ करते हुए कहा कि देश के अधिकांश परिवारों में शौचालयों का नहीं होना एक अभिशाप था। इससे सबसे ज्यादा बेटियों और महिलाओं को शर्मिंदगी उठानी पड़ती थी लेकिन अब स्वच्छ भारत मिशन से उनका सम्मान और गौरव बढ़ा है। यूनिसेफ के सर्वे में यह बात उभरकर सामने आई है कि अब करीब 93 प्रतिशत महिलाएं मानती हैं कि उन्हें सम्मान मिला है और वे सुरक्षित महसूस करती हैं। हाल ही में एक शोध में पाया गया कि स्वच्छ भारत मिशन के शुरू होने के बाद नवजात शिशुओं की मृत्यु दर में भी उल्लेखनीय कमी आई है। शोध के निष्कर्ष में बताया गया है कि भारत में सन 2014 के बाद से हर साल 60,000 से 70,000 नवजात शिशुओं की जान बच रही है।
भारत में स्वच्छ भारत मिशन को शुरू हुए लगभग 10 साल हो गए हैं। इस दौरान चरणबद्ध तरीके से शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में चलाए गए स्वच्छता अभियान के सार्थक परिणाम दिखाई दे रहे हैं। इस अभियान से बच्चे, युवा, जवान और बुजुर्ग सभी जुड़े और यह देखते ही देखते जन आंदोलन के रूप में परिवर्तित हो गया। गांव-गांव और शहर- शहर में स्वच्छता को लेकर होड़ सी लग गई और इसके परिणाम स्वरूप गांव, जिला और प्रदेश सहित समूचे भारत में स्वच्छता की बयार बहने लगी। पूरे भारत में आम जनता की सक्रिय भागीदारी से खुले में शौच से मुक्त यानी ओडीएफ घोषित कर दिया गया। करीब 10 साल पहले स्वच्छता को लेकर हमारी मानसिकता पर जो गर्द जमी हुई थी, वह अब पूरी तरह साफ हो गई है। हमारी नजरें अब स्वच्छता के बीच केवल गंदगी पर ही जाकर टिकती है। जब चारों ओर स्वच्छता का वातावरण बन रहा है तब कहीं जरा सी भी गंदगी रहती है, वहीं हमारी नजरें ठहर जाती हैं। यह स्वच्छता को लेकर बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ है।
स्वच्छता को लेकर प्रशासन के साथ आम नागरिकों में भी जुनून सवार है तभी तो मध्य प्रदेश का इंदौर शहर भारत में सबसे स्वच्छ शहर का तमगा लेकर 7 सालों से शीर्ष पर बना हुआ है। इसमें आम नागरिकों और स्वयं सेवी संगठनों का भी सहयोग अतुलनीय है। इंदौर को केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में भी स्वछतम शहर के रूप में मान्यता मिली हुई है। इसका परिणाम यह हुआ है कि अन्य शहर भी इंदौर से स्वच्छता के विभिन्न मापदंडों पर बराबर आने या इससे आगे निकलने की होड़ में शामिल होने के लिए जी तोड़ मेहनत करने लगे हैं। चूंकि स्वच्छता एक सतत प्रक्रिया है और निरंतर स्वच्छता को लेकर सजग रहकर इसके विभिन्न मापदंडों के स्तर को बनाए रखना सबसे महत्वपूर्ण होता है। अब स्वच्छता धीरे – धीरे आम नागरिकों की आदत में शामिल होने लगा है । इसी का परिणाम है कि आज स्वच्छता के मापदण्डों पर भारत की छवि एक स्वच्छ राष्ट्र के रूप में बन रही है।
भारत में सन 2014 से पहले निर्मल भारत अभियान चलाया जा रहा था जिसमें केवल शौचालय बनाना ही एकमात्र लक्ष्य था लेकिन राशि इतनी कम ( मात्र 4600 रूपये) थी कि इससे किसी तरह शौचालय ही बना पाते थे। यह कार्यक्रम औपचारिकता मात्र बन कर रह गया था लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की, शौचालय बनवाने के लिये राशि को बढ़ाकर 12,000 रूपये कर दिया जो शौचालय बनवाने के लिये पर्याप्त कही जा सकती है। शौचालयों के निर्माण के साथ पेयजल, स्वच्छता, पॉलिथीन मुक्त शहर – गांव आदि को भी इस अभियान में शामिल कर व्यापकता प्रदान की गई । प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाए जाने वाले मकानों में शौचालय बनाना अनिवार्य कर दिया जिससे स्वच्छता अभियान को नया आयाम मिला और गरीबों विशेषकर महिलाओं को सम्मान । इसका परिणाम यह हुआ कि सन 2014 में जहां देश में शौचालयों का प्रतिशत करीब 40 था, जो अब बढ़कर करीब 97 प्रतिशत हो गया है। देश में 11.6 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण करके यह सुनिश्चित किया गया है कि भारत खुले में शौच से मुक्त हो जाए। आज की तारीख में भारत के 50% गांव ओडीएफ प्लस मॉडल हो चुके हैं। भारत करीब – करीब खुले में शौच से मुक्त यानी ओ.डी.एफ. के आसपास पहुंच चुका।
स्वच्छ भारत मिशन में पेयजल उपलब्ध कराना भी एक महत्वपूर्ण कारक है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए जल जीवन मिशन चलाया जा रहा है। राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार देश के करीब 19.24 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से लगभग 13.76 करोड़ यानी 71.51 प्रतिशत परिवारों के घरों में नल से स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित कर दी गई है।
शहरी और अर्ध शहरी क्षेत्रों में स्वच्छता के साथ घर से निकलने वाले सूखे, गीले, जैव अपशिष्ट और इलेक्ट्रॉनिक व इलेक्ट्रिक अपशिष्ट के व्यवस्था शुरू करने से शहरी स्वच्छता में क्रांतिकारी परिवर्तन आया है। घर से निकलने वाले सभी तरह के कचरे को घर से ले जाने के लिए सभी नगरीय क्षेत्रों में माकूल व्यवस्था की गई है। अनेक शहरों में गीले कचरे से जैविक खाद और बायोगैस बनाई जा रही है। उज्जैन के महाकाल सहित देश के अनेक धार्मिक स्थलों में फूल, पत्तियां से अब जैविक खाद बनाने के अभिनव प्रयोग किए जा रहे हैं। इससे धार्मिक स्थलों में स्वच्छता का वातावरण निर्मित हो रहा है, कुछ लोगों को रोजगार भी मिल रहा है और धार्मिक ट्रस्टों को आमदनी भी होने लगी है। देश में रिसायकल नहीं हो सकने वाली पॉलिथीन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। स्वच्छता के लिये तीन आर यानि रिड्यूस, रियूज और रिसायकल अर्थात आवश्यकता कम करना, पुन: उपयोग करना और पुनर्चक्रीकरण पर बल दिया गया है। इस प्रयास से आम नागरिकों के व्यवहार में भी परिवर्तन दिखाई दे रहा है। एक बार ही उपयोग (सिंगल यूज) में आने वाले प्लास्टिक / पोलिथीन से बने गिलास, प्लेट्स आदि का विवाह, सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रमों में रोक लगाने के लिये प्रभावी कदम उठाए गये हैं। अनेक नगरीय निकाओं और ग्राम पंचायतों ने बर्तन बैंक बनाकर पोलिथीन मुक्त शहर / ग्राम बनाने की दिशा में अनुकरणीय पहल की है।
भारत में इस समय चलाया जा रहा स्वच्छता ही सेवा – 2024 एक राष्ट्रव्यापी स्वच्छता अभियान है जो स्वच्छ और स्वस्थ भारत के प्रति प्रतिबद्धता प्रदर्शित करता है। इस अभियान की विषयवस्तु स्वभाव स्वच्छता और संस्कार स्वच्छता है। यह स्वच्छ भारत मिशन के तहत एक दशक के परिवर्तनकारी कार्यों पर आधारित है, जिसने 2014 में अपनी शुरूआत के बाद से भारत के स्वच्छता परिदृश्य को मौलिक रूप से नया आयाम प्रदान किया है। पिछले दस वर्षों में स्वच्छता को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों के साथ आम नागरिकों की सक्रिय भागीदारी से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वच्छता का वातावरण निर्मित हो गया है। अब भारत की छवि स्वच्छ भारत के साथ स्वस्थ भारत के रूप में भी बन रही है। स्वच्छता को बनाये रखना सबसे बड़ी चुनौती है लेकिन यह असम्भव भी नहीं है।
(लेखक – मधुकर पवार, भारतीय सूचना सेवा के पूर्व अधिकारी)

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